कृष्णगुरु एकनाम अखंड कीर्तन में शामिल हुए पीएम मोदी, बोले-भारत अब वंचितों को दे रहा है प्राथमिकता
पीएम मोदी ने कहा है कि देश में अब वंचितों का वरीयता और प्राथमिकता मिल रही है। वे असम के बारपेटा में आयोजित कृष्णगुरु एकनाम अखंड कीर्तन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए असम के बारपेटा में आयोजित कृष्णगुरु एकनाम अखंड कीर्तन में शामिल हुए। यह आयोजन विश्व शांति के लिए किया जा रहा है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जो वंचित थे अब उन्हें भारत वरीयता दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी सरकार उत्तरपूर्व और असम के विकास को प्राथमिकता दे रही है। उनके मुताबिक पर्यटन देश के इस हिस्से की अर्थव्यस्था में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बारपेटा के जिस सेवाश्रम में विश्व शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जा रहा है, वहां प्रत्येक 12 साल में इस तरह के कीर्तन और जाप की परंपरा चली आ रही है।
कृष्णगुरु
एकनाम
अखंड
कीर्तन
में
शामिल
हुए
पीएम
मोदी
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
वीडियो
कांफ्रेंसिंग
के
माध्यम
से
विश्व
शांति
के
लिए
आयोजित
कृष्णगुरु
एकनाम
अखंड
कीर्तन
में
शिरकत
की
है।
असम
के
बारपेटा
स्थित
कृष्णगुरु
सेवाश्रम
में
आयोजित
इस
कार्यक्रम
में
उन्होंने
कहा
है
कि
'आज
हम
उत्तरपूर्व
और
असम
के
विकास
को
प्राथमिकता
दे
रहे
हैं।
इस
क्षेत्र
की
अर्थव्यवस्था
में
पर्यटन
बड़ी
भूमिका
निभाता
है।
2023
के
बजट
प्रस्ताव
के
मुताबिक
पूरे
देश
में
पर्यटन
के
50
स्थानों
को
पूर्ण
रूप
से
पर्यटन
स्थलों
के
रूप
में
विकसित
किया
जाएगा।'
'भारत
की
संस्कृति
को
अनुभव
कर
रहे
हैं
गंगा
विलास
क्रूज
के
यात्री'
इस
मौके
पर
पीएम
ने
कहा
कि
'गंगा
विलास
क्रूज
जल्द
ही
असम
पहुंचेगा।
इसके
यात्री
भारत
की
संस्कृति
को
अनुभव
कर
रहे
हैं
और
जिन
स्थानों
पर
जा
रहे
हैं
वहां
के
बारे
में
सीख
रहे
हैं।
मुझे
पूरा
विश्वास
है
कि
असम
की
सुंदरता
और
संस्कृति
क्रूज
यात्रियों
के
माध्यम
से
विश्व
तक
पहुंचेगी।'
जो
वंतित
हैं,
उन्हें
देश
प्राथमिकता
दे
रहा
है-पीएम
मोदी
कृष्णगुरु
ने
विश्व
शांति
के
लिए
प्रत्येक
12
वर्ष
में
एक
महीने
का
अखंड
जाप
और
कीर्तन
शुरू
किया
था।
पीएम
मोदी
ने
कहा,
'अपने
देश
में
प्रत्येक
12
वर्षों
के
अंतराल
पर
इस
तरह
के
आयोजनों
की
एक
प्राचीन
परंपरा
रही
है
और
यही
इस
तरह
के
आयोजनों
की
मुख्य
भावना
रही
है।
आज
विकास
की
दौड़
में
जो
भी
पीछे
रह
रहा
है,
वही
देश
की
प्राथमिकता
है।
यानि
जो
वंतित
हैं,
उन्हें
देश
प्राथमिकता
दे
रहा
है।'
कृष्णगुरु
एकनाम
अखंड
कीर्तन
की
शुरुआत
6
जनवरी
को
हुई
थी।
परमगुरु कृष्णगुरु ईश्वर ने 1974 में इस सेवाश्रम की स्थापना की थी। वे वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के भक्त महावैष्णव मनोहरदेव के आठवें पूर्वज थे।
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