तो सीएम महबूबा नहीं चाहती है अलगावादियों के खिलाफ कड़े कदम?
श्रीनगर।
कश्मीर
के
अलगाववादी
नेताओं
को
मिल
रही
सुविधाओं
को
लेकर
पिछले
कई
दिनों
में
कई
तरह
की
बातें
हो
चुकी
हैं
और
कई
तरह
की
खबरें
आ
चुकी
हैं।
गुरुवार
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
एक
याचिका
पर
कहा
कि
उसे
भी
लगता
है
कि
इन
नेताओं
को
मिल
रही
आर्थिक
मदद
बंद
होनी
चाहिए।
फिलहाल
केंद्र
सरकार
ऐसा
कुछ
नहीं
सोच
रही
है।
इस
पूरे
मसले
के
बीच
अब
जम्मू
कश्मीर
की
मुख्यमंत्री
महबूबा
मुफ्ती
के
लिए
मुश्किलें
बढ़ती
नजर
आ
रही
हैं।
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बदलना पड़ा सरकार को अपना फैसला
गृह मंत्रालय इस बात पर फैसला ले चुका था कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को मिलने वाली सुविधाओं पर लगाम लगेगी लेकिन मुख्यमंत्री महबूबा ने इसे लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की थीं।
जिस समय ऑल पार्टी डेलीगेशन जम्मू कश्मीर गया था, उसमें शामिल कुछ नेताओं ने अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में कटौती को लेकर अपने विचार जाहिर किए थे।
इन नेताओं को भी सुरक्षा में कटौती को लेकर कुछ चिंताएं थीं। इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपना फैसला बदल लिया था।
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हालात बिगड़ने की संभावना
गृह मंत्रालय ने फैसला किया कि अब अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में किसी तरह की कोई कटौती नहीं होगी। जम्मू कश्मीर गए प्रतिनिधिमंडल से पहले बताया जाता है कि महबूबा मुफ्ती ने जेडी (यू) के नेता शरद यादव को कॉल किया था।
इस फोन कॉल में महबूबा ने इस तरह के कदमों को लेकर अपनी राय व्यक्ति की थी। सूत्रों की मानें तो महबूबा ने कहा था कि ऐसे कदमों से हालात और बिगड़ सकते हैं।
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इसलिए सरकार ने पीछे खीचें कदम
चार
और
पांच
सितंबर
को
जम्मू
कश्मीर
गए
प्रतिनिध
मंडल
ने
गृहमंत्री
से
मुलाकात
की
तो
उन्होंने
इस
मुद्दे
को
उठाया।
कश्मीर
की
समस्या
का
हल
तलाश
रही
केंद्र
सरकार
किसी
भी
तरह
से
प्रक्रिया
को
पटरी
से
नहीं
उतरने
देना
चाहती
थी।
मजबूरी
में
सरकार
को
अपने
कदम
पीछे
खींचनें
पड़े।