कोरोना के बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव जारी, ख़ौफ़ में कर्मचारी
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में आज 20 ज़िलों में मतदान हो रहा है. कोरोना की वजह से चुनाव में लगे कर्मचारियों में चिंता है और कई संगठनों ने चुनाव टालने की अपील भी की है.
"15 अप्रैल को धनूपुर ब्लॉक में चुनाव ड्यूटी कर चुका हूं. ब्लॉक में बहुत भीड़ थी. कोरोना से बचाव की कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी. बस्ता, डिब्बा लेने और जमा करने में हज़ारों की भीड़ थी. 21 तारीख़ तक घर में सबसे अलग रहा. शीशम के पेड़ के नीचे क्वारंटीन रहा. फ़िलहाल एकदम स्वस्थ हूं लेकिन अब बहुत डर लग रहा है क्योंकि सोमवार को दोबारा चुनाव ड्यूटी लग गई है और वो भी फ़तेहपुर में."
प्रयागराज के रहने वाले सुनील सिंह (बदला नाम) सिंचाई विभाग में नौकरी करते हैं और पंचायत चुनाव में उनकी दूसरी बार ड्यूटी लग रही है. पहले चरण में अपने ही ज़िले यानी प्रयागराज में जबकि तीसरे चरण में पड़ोसी ज़िले फ़तेहपुर में.
बातचीत के दौरान कहने लगे, "चुनाव ड्यूटी में जाने वाले सभी कर्मचारियों को पहले प्रयागराज के एक बड़े प्राइवेट स्कूल में बकरियों की तरह गाड़ियों में लादकर लाया गया और अब उसी तरह से फ़तेहपुर भेजने की तैयारी हो रही है. सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना प्रोटोकॉल जैसी चीज़ें बस कहने वाली हैं. हां, मास्क सभी लोगों ने ज़रूर लगा रखा है. इन्हीं में से कई लोग बीमार भी हैं लेकिन वो भी ड्यूटी पर जा रहे हैं क्योंकि आदेश बहुत सख़्त हैं."
महोबा में बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक राजीव यादव (बदला नाम) कहते हैं कि मतदान की ड्यूटी में रिज़र्व में रखा गया था और अब मतगणना में भी ड्यूटी लग गई है जबकि तबीयत ख़राब है.
वो कहते हैं, "मैं 20 अप्रैल से कोरोना संक्रमित हूं लेकिन मतगणना में ड्यूटी लगी है और सोमवार को प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है. मेरे जैसे कई अन्य संक्रमित शिक्षकों को भी मतगणना प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है. पिछले दो चरणों में ड्यूटी करने वाले तमाम लोग संक्रमित हुए हैं और कई लोग जान भी गँवा चुके हैं. लेकिन अब नौकरी करनी है तो सबको जाना है."
26 अप्रैल को तीसरे चरण में अमेठी, उन्नाव, औरैया, कानपुर देहात, कासगंज, चन्दौली, जालौन, देवरिया, पीलीभीत, फतेहपुर, फिरोजाबाद, बलरामपुर, बलिया, बाराबंकी, मेरठ, मुरादाबाद, मिर्जापुर, शामली, सिद्धार्थनगर और हमीरपुर में मतदान होना है. इन 20 ज़िलों में सुबह सात बजे से शाम छह बजे के बीच कुल 49,789 पोलिंग बूथों पर मतदान हो रहे हैं.
चुनाव टालने की अपील अनसुनी
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण मतदान में तैनात कई विभागों के कर्मचारी ख़ौफ़ में हैं और कई कर्मचारी संगठनों ने चुनाव टालने की अपील भी कर रखी है लेकिन फ़िलहाल चुनाव अपने समय से ही हो रहे हैं.
कई ज़िलों में कर्मचारियों ने चुनाव से ड्यूटी कटवाने के लिए प्रार्थना पत्र दिए हैं, कुछ कर्मचारियों ने ख़ुद को बीमार बताया है जबकि कुछ ने अपने परिजनों को संक्रमित बताते हुए ड्यूटी से छूट मांगी है. वहीं कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पिछले दो चरणों के चुनाव के दौरान किसी तरह के कोविड प्रोटोकॉल का कोई पालन नहीं हो पाया है इसलिए कर्मचारियों की जान ख़तरे में है और ड्यूटी में तैनात सभी कर्मचारी डरे हुए हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र कहते हैं, "पिछले दो चरणों में मतदान स्थल पर मतदाताओं की थर्मल स्कैनिंग और सैनिटाइज करने की कोई भी व्यवस्था नहीं थी. इन दो चरणों के मतदान के बाद हज़ारों मतदान कर्मी भी कोविड पॉज़िटिव हो चुके हैं और उनमें से कई कार्मिकों और शिक्षकों की मृत्यु भी हो गई है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चुनाव को स्थगित कर बाद में कराना चाहिए. प्रदेश की जनता भी वर्तमान में भयभीत है और कोविड दिशा निर्देश के पालन में कम से कम बाहर निकल रही है. ऐसी परिस्थितियों में पंचायत चुनाव कराने का निर्णय अलोकप्रिय है और जनता, कर्मचारियों साथ ही उनके परिवार के जान से खिलवाड़ करना जैसा है."
पंचायत चुनाव में सभी ज़िलों के कई विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों की मतदान और मतगणना में ड्यूटी लगी है. हालांकि सबसे ज़्यादा संख्या प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों की है. क़रीब 80 फ़ीसद परिषदीय शिक्षक निर्वाचन ड्यूटी में लगे हुए हैं.
न सिर्फ़ पंचायत चुनाव में तैनात किए गए कर्मचारियों ने बल्कि बांदा सदर से बीजेपी विधायक प्रकाश द्विवेदी ने भी यूपी में कोरोना की भयावहता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था. प्रकाश द्विवेदी इस समय ख़ुद संक्रमित हैं और घर पर ही आइसोलेशन में हैं. प्रकाश द्विवेदी ने पत्र में लिखा था कि कोरोना से गांवों में लोग मर रहे हैं, हालत ख़राब है, चुनाव रोके जाने चाहिए और लोगों की जान बचाना जरूरी है.
चुनाव के कारण बढ़े हैं संक्रमण के मामले
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि पंचायत चुनाव की वजह से राज्य में संक्रमण की रफ़्तार भी तेज़ हुई है. उनके मुताबिक़, आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि जिन 18 ज़िलों में पहले चरण में 15 अप्रैल को पंचायत चुनाव हुए थे, वहां चुनाव के बाद कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी. यही नहीं, चुनाव में ड्यूटी करने वाले कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.
राज्य के अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल कहते हैं कि मतदान में जिन कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगी है उन्हें कोविड प्रोटोकॉल के तहत सभी सुविधाएं दी गई हैं.
बीबीसी से बातचीत में नवनीत सहगल कहते हैं, "चुनाव हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रहे हैं. सरकार ने तो पहले ही उसे स्थगित किया हुआ था. लेकिन जो लोग भी ड्यूटी पर जा रहे हैं उन्हें पूरी सुविधा मुहैया कराई जा रही है. सभी जगह सैनिटाइज़ करने के निर्देश दिए गए हैं और कर्मचारियों को मेडिकल किट और अन्य ज़रूरी चीज़ें मुहैया कराई गई हैं. कोई बीमार भी होता है तो उसका इलाज और जो ज़रूरी सुविधाएं हैं वो भी मुहैया कराई जाएंगी."
सरकारी दावे और ज़मीनी हक़ीकत
15 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी कर चुके एक कर्मचारी कहते हैं कि दावे चाहे जो किए जाएं लेकिन मतदाताओं के संपर्क में कोई मतदानकर्मी न आए, ऐसा संभव नहीं है.
वो कहते हैं, "पर्ची पकड़ना, उनसे बैलट पेपर के काउंटर पर साइन कराना या अंगूठा लगवाना, ये सारे काम करने पड़ते हैं. क़रीब 500 मतदाताओं से नज़दीक से मुलाक़ात होती है, सैकड़ों लोगों के बीच ब्लॉक में समान लेना और जमा करना होता है. इन सबके बीच, कोई एक-दूसरे के संपर्क में कैसे नहीं आएगा."
एसीएस नवनीत सहगल कहते हैं कि कोरोना पॉज़िटिव होने पर किसी भी मतदानकर्मी की ड्यूटी नहीं लगेगी और लगी भी होगी तो वह कट जाएगी. उनका कहना है कि फ़िलहाल ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है. लेकिन कई ज़िलों में कोरोना पॉज़िटिव रिपोर्ट लेकर लोग रविवार तक ड्यूटी कटवाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.
अमेठी में सोमवार को पीठासीन अधिकारी के तौर पर नियुक्त किए गए माध्यमिक स्कूल के एक शिक्षक दिनेश कुमार कहते हैं कि कुछ लोगों में कोरोना के गंभीर लक्षण हैं और वो बीमार भी हैं लेकिन रिपोर्ट अभी नहीं आई है इसलिए उनका ड्यूटी से नाम नहीं कटा है.
वो कहते हैं, "ड्यूटी के बाद वो पॉज़िटिव आते हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि बहुत से लोगों को भी संक्रमित करेंगे. पहले दो चरणों में ऐसा हो भी चुका है लेकिन कोई भी अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है."
उधर, राज्य निर्वाचन आयोग कार्यालय में जब इन सब मुद्दों पर बात करने की कोशिश की गई तो पता चला कि आयोग के लगभग सभी अधिकारी और ज़्यादातर कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव हैं. उनमें से कुछ तो ठीक हो गए हैं लेकिन ज़्यादातर अभी भी अस्पताल में संघर्ष कर रहे हैं.
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