अमेरिकी अधिकारी ने कहा पाकिस्तान बढ़ा सकता है अपने परमाणु हथियारों की संख्या
पेंटागन के शीर्ष खुफ़िया अधिकारी ने कहा है कि भारत के परमाणु हथियारों की संख्या और पारंपरिक ताक़त को देखते हुए पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता बढ़ा सकता है.
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के शीर्ष खुफ़िया अधिकारी ने कहा है कि भारत के परमाणु हथियारों की संख्या और उसकी सैन्य ताक़त को देखते हुए, पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा सकता है. अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान परमाणु क्षमताओं का आधुनिकीकरण और विस्तार करना जारी रखेगा.
डिफ़ेंस इंटेजिलेंस एजेंसी के निदेशक लेफ़्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के सदस्यों से ये बात कही.
उन्होंने कहा, "भारत के परमाणु हथियारों और पारंपरिक सेना के बलों की मज़बूती को देखते हुए पाकिस्तान परमाणु हथियारों को अपने देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण मान रहा है."
"पाकिस्तान 2022 में अपने तैनात हथियारों के साथ प्रशिक्षण आयोजित करके और नई वितरण प्रणाली विकसित करते हुए, अपनी परमाणु क्षमताओं का आधुनिकीकरण और विस्तार करना जारी रखेगा."
रूस के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
उन्होंने पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए कहा, "फ़रवरी 2019 में कश्मीर में सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर हमला हुआ था जिसमें 40 जवान मारे गए थे हमले के बाद से भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं."
बेरियर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया वक़्त में स्थायी कूटनीतिक निष्कर्ष को लेकर कोई भी बेहतर प्रगति नहीं हुई है.
भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर को 370 के तहत मिला विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने का ऐलान किया और इसे केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर बना दिया. इस क़दम से नाराज़ पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर करते हुए इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था.
इसके अलावा जनरल स्कॉट बेरियर ने ये भी कहा कि भारत रूस से मिलने वाले मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम (एस-400) का प्रयोग चीन और पाकिस्तान से ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए करना चाहता है.
जनरल बेरियर ने कहा, " दिसंबर में भारत को एस-400 की शुरुआती खेप मिली थी. भारत जून 2022 तक इस डिफ़ेंस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान से ख़ुद को डिफेंड करने के लिए ऑपरेशनल कर सकता है."
उन्होंने कहा कि भारत हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल कार्यक्रम को भी विकसित कर रहा है और उसने 2021 में इस दिशा में कई टेस्ट किए है. इसके अलावा अंतरिक्ष में कई भारतीय उपग्रह हैं जो भारत की स्पेस में क्षमताओं को बढ़ाते हैं.
किसके पास कितने परमाणु हथियार हैं?
साल 2021 में आए स्वीडन के थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) ने सोमवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट के अनुसार, शीत के युद्ध के समापन (1990) के बाद से यह पहली बार है जब दुनिया में परमाणु हथियार बमों में कमी का सिलसिला थम गया है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि परमाणु हथियारों के मामले में भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान उससे कहीं आगे हैं.
भारत ने पिछले साल छह नए परमाणु हथियार बनाए और अब उसके पास करीब 156 परमाणु हथियार हो गए हैं.
पाकिस्तान ने पिछले साल के मुकाबले पाँच नए परमाणु हथियार बनाए है और उसके पास अब करीब 165 परमाणु हथियार हैं.
चीन ने पिछले साल की तुलना में 30 नए परमाणु हथियार बनाए हैं और अब पास करीब 350 परमाणु हथियार हो गए हैं.
- मोदी राज में कितनी मजबूत हुई भारतीय सेना?
- रूस के ख़िलाफ़ जंग में एक महीने बाद भी कैसे टिका हुआ है यूक्रेन
इसराइल के पास करीब 90 और उत्तरी कोरिया के पास 40-50 परमाणु हथियार हैं.
उत्तर कोरिया ने पिछले साल के मुकाबले करीब 10 नए परमाणु हथियार बनाए हैं और मौजूदा वक़्त में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार हैं.
फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स नामक संस्था के मुताबिक रूस के पास दुनिया भर में 5,977 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,500 एक्सपायर होने वाले हैं या पुराने हो जाने के कारण जल्द ही उन्हें तबाह कर दिया जाएगा.
चीन, फ़्रांस, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन उन 191 देशों में शामिल हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हुए हैं.
इस संधि के अंतर्गत उन्हें अपने परमाणु हथियारों के जख़ीरे को कम करना है और सैद्धांतिक तौर पर पूरी तरह से ख़त्म करना है.
1970 और 1980 के दशक में इन देशों ने अपने हथियारों की संख्या में बड़ी कटौती की है.
भारत, इसराइल और पाकिस्तान ने कभी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए. उत्तर कोरिया ने 2003 में ख़ुद को इस संधि से अलग कर लिया था.
विश्व की नौ परमाणु शक्तियों में से मात्र इसराइल ही ऐसा है जिसने आजतक कभी औपचारिक रूस से खुद के पास परमाणु हथियार होने की बात नहीं कही है.
लेकिन माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं.
विश्व हथियार आयात
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार 2010 से 2014 के दौरान विश्व हथियार आयात में भारत का हिस्सा 15 फ़ीसदी था.
इसके साथ ही भारत हथियार आयात के मामले में पहले नंबर पर था.
दूसरी तरफ़ चीन फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन को पीछे छोड़ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश के रूप में सामने आया है.
2005 में भारत ने अपनी ज़रूरत के हथियारों का 70 फ़ीसदी हिस्सा देश में बनाने का लक्ष्य तय किया था जो अब भी 35 से 40 फ़ीसदी तक ही पहुंच पाया है.
द स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में सैन्य खर्चों में हर साल 1.2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो रही है.
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के सैन्य खर्चों में अमरीका अकेले 43 फ़ीसदी हिस्से के साथ सबसे आगे है.
इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चार स्थाई सदस्य आते हैं. हालांकि बाक़ी के सदस्य अमेरिका के आसपास भी नहीं फटकते हैं.
चीन सात फ़ीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है. इसके बाद ब्रिटेन, फ़्रांस और रूस क़रीब चार फ़ीसदी के आसपास हैं.
परमाणु हथियारों से कितनी तबाही?
परमाणु हथियारों का मकसद ही है अधिकतक तबाही. लेकिन तबाही का स्तर नीचे दी गई चीज़ों पर निर्भर करती है -
•परमाणु हथियार का साइज़
•ज़मीन से कितने ऊपर इसका विस्फोट हुआ
•स्थानीय वातावरण
लेकिन छोटे से छोटा परमाणु हथियार में बड़ी संख्या में लोगों की जान ले सकता है और आने वाली पीढ़ियों पर भी असर डाल सकता है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराया गया अमेरिका परमाणु बम 15 किलोटन था.
आजकल के परमाणु बम एक हज़ार किलोटन तक के हो सकते हैं.
जैसे ही किसी इतने बड़े परमाणु हथियार के इस्तेमाल के बाद विस्फोट होगा, इसके आस-पास कुछ नहीं बचेगा.
परमाणु विस्फोट के दौरान, एक आँखे चौंधिया देने वाली रोशनी के बाद एक आग का गोला निकलता है जो अपने आस-पास कई किलोमीटर तक इमारतों और अन्य ढांचे को नेस्तनाबूद करते जाता है.
बिलावल भुट्टो और एंटनी ब्लिंकन की मुलाक़ात
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी से मुलाकात की. दोनों नेताओं की बातचीत क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही.
बिलावल भुट्टो एंटनी ब्लिंकन के निमंत्रण पर संयुक्त राष्ट्र में बुधवार को होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक "ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन" में भाग लेने बतौर विदेश मंत्री अपनी पहली अमेरिका यात्रा पर हैं.
अमेरिका मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और ब्लिंकन वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर एक्शन के लिए बैठक आयोजित करने के लिए न्यूयॉर्क में हैं.
बिलावल भुट्टो से पहली मुलाकात के ठीक पहले एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान की नई सरकार के साथ काम करने को लेकर काफ़ी खुश है.
- जब इसराइली लड़ाकू विमानों ने इराक़ का परमाणु रिएक्टर तबाह किया
- पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम बंद कराने के लिए जब अमेरिका ने डाला था दबाव
उन्होंने कहा, "हम दोनों यहाँ हैं, निश्चित रूप से सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण वजह खाद्य सुरक्षा पर होने वाली मंत्री स्तरीय बैठक है. ये एक ऐसी चुनौती है जो दुनियाभर के सामने है. कई जगहों पर खाद्य असुरक्षा की स्थिति पहले से ही थी लेकिन यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के आक्रामक हमले ने इसे बेहद गंभीर रूप से बढ़ा दिया है. अब अतिरिक्त 4 करोड़ लोग भी खाद्य असुरक्षा के दायरे में आ चुके हैं."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)