बंगाल का 'ऑक्सीजन मैन' कोरोना प्रकोप के बीच बना ढाल, 'सांसों पर ग्रहण' से दिलाया छुटकारा
नई दिल्ली, 09 सितंबर। दुनिया में कोरोना महामारी जब अपने प्रचंड वेग में थी लोगों को अपनी जान बचाने के लिए घरों में कैद होना पड़ा। लेकिन इस दौर कई ऐसे असली योद्धा निकलकर आगे आए जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सिर्फ मदद ही नहीं बल्कि उन्हें जीवन दान देने का काम किया। उन्हीं में से एक हैं बंगाल के सौमित्र मंडल जिन्हें कोरोना जंग में डटकर मुकाबला करने के लिए अमेजिंग इंडियंस अवार्ड (Amazing Indians Awards 2022) दिया गया है।
दुर्गम
क्षेत्र
में
भगीरथ
प्रयास
पश्चिम
बंगाल
का
सुंदरबन
दुनिया
का
सबसे
बड़ा
सक्रिय
डेल्टा
है।
क्षेत्र
के
भौगोलिक
स्थिति
के
चलते
इस
इलाके
में
स्वास्थ्य
और
बुनियादी
ढांचे
की
सबसे
खराब
स्थिति
है।
यहां
गोसाबा
ब्लॉक
के
नौ
द्वीपों
में
सिर्फ
एक
अस्पताल
है।
जब
दुनिया
में
सब
कुछ
ठप
था
तो
इस
क्षेत्र
की
चुनौती
और
अधिक
बढ़
गई।
संचार
की
स्थिति
खराब
होने
के
कारण
कोराना
काल
यहां
के
लिए
दुनिया
का
सबसे
बुरा
समय
रहा।
ऐसे
में
सौमित्र
ने
लोगों
तक
इलाज
की
हर
संभव
सहायता
पहुंचाई।
ऑक्सीजन
सिलेंडर,
कॉन्सेंट्रेटर
की
होम
डिलीवरी
पंश्चिम
बंगाल
के
सौमित्र
मंडल
एक
सामाजिक
कार्यकर्ता
हैं।
वो
गोसाबा
के
द्वीपों
में
कोविड-19
महामारी
के
दौरान
कोरोना
मरीजों
के
इलाज
के
लिए
भरपूर
प्रयास
किया।
पश्चिम
बंगाल
के
सुंदरबन
में
भौगोलिक
चुनौतियां
के
बावजूद
वो
डटे
रहे।
ऑक्सीजन
कॉन्सेंट्रेटर,
ऑक्सीजन
सिलेंडर,
दवाओं
के
साथ
वो
लोगों
के
दरवाजे
पर
तक
पहुंचते
रहे।
साइकिल
से
गांव-गांव
जाते
हैं
सौमित्र
कोरोना
काल
में
सौमित्र
ने
गोसाबा
में
कई
गांवों
का
भ्रमण
किया।
वो
साइकिल
से
जरूरतमंद
लोगों
के
घर
ऑक्सीजन
की
आपूर्ति
करते
रहे।
साइकिल
में
पीछे
ऑक्सीजन
कॉन्सेंट्रेटर
होता
था
और
एक
बैग
होता
था।
वे
मरीजों
से
संपर्क
करते
और
साइकिल
से
उनकी
मदद
करने
पहुंच
जाते।
'ऑक्सीजन
मैन'
सौमित्र
को
सुंदरबन
द्वीपों
के
'ऑक्सीजन
मैन'
के
रूप
में
भी
जाना
जाने
लगा।
द्वीपवासी
उन्हे
प्यार
से
'राजा'
के
नाम
से
पुकारते
हैं।
सौमित्र
मधुमेह
रोग
से
ग्रस्त
हैं।
इलाके
में
वो
एक
शिक्षित
युवा
हैं।
उन्होंने
भूगोल
के
ऑनर्स
स्नातक
के
बाद
बी.एड.
किया
है।
हालांकि
अभी
वो
बेरोजगार
हैं।
इसके
बावजूद
उन्होंने
महाारी
के
दौरान
सैकडों
लोगों
ऐसे
में
क्षेत्रों
में
बचाया
जो
बेहद
दुर्गम
इलाका
है।
उन्हें
जून
2021
में
कोरोना
हो
गया
था,
लेकिन
उन्होंने
ठीक
होने
के
बाद
तुरंत
समाजसेवा
का
कार्य
फिर
से
शुरू
कर
दिया।
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छात्रों
को
देते
हैं
मुफ्त
ट्यूशन
सौमित्र
छात्रों
को
मुफ्त
ट्यूशन
भी
देते
हैं।
कोरोना
के
दौरान
वो
3000
रुपये
प्रति
महीने
पर
एक
स्कूल
में
पढ़ाते
थे
लेकिन
2019
में
अपनी
नौकरी
खो
दी।
इसके
बावजूद
अपने
छात्रों
को
मुफ्त
ट्यूशन
देना
जारी
रखा।
सौमित्र
को
समाज
सेवा
के
लिए
कई
सामजिक
संस्थाओं
ने
सहायता
दी।
AALO
ट्रस्ट
से
प्रशंसा
का
प्रमाण
पत्र,
मालदा
कॉलेज
से
प्रशंसा
का
प्रमाण
पत्र,
विश्व
मानव
अधिकार
परिषद
ने
भी
सामाजिक
कार्यकर्ता
द्वारा
किए
गए
कार्यों
को
मान्यता
दी
है।