मशहूर शायर राहत इंदौरी ने दिया पाकिस्तान को करारा जवाब, जानिए क्या किया
मुझे कुछ लोगों ने कहा कि भारत की ओर से कोशिशें होती हैं कि पाकिस्तान से भाईचारे और खुलूस के रिश्ते कायम किये जायें। लेकिन दूसरी ओर से ऐसी कोशिशें नहीं होतीं।’
नई दिल्ली। विश्व प्रसिद्ध शायर और हिंदी फिल्मों के जानेमाने गीतकार राहत इंदौरी ने पाकिस्तान दिवस की पूर्व संध्या पर कराची में 22 मार्च को आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में शामिल होने का न्योता ठुकरा दिया है। राहत इंदौरी के साथ ही साथ उनके बेटे सतलज राहत ने भी पाकिस्तान जाने से इंकार कर दिया है। आपको बता दें कि इस मुशायरे में शामिल होने के लिए दुनिया भर के नामचीन शायरों को न्योता भेजा गया था। इसी कड़ी में राहत इंदौरी को भी आमंत्रण भेजा गया था लेकिन उन्होंने पाकिस्तान जाने से साफ इंकार कर दिया।
क्यों किया इंकार
राहत इंदौरी ने इस तारीख को भारत में अपनी मसरूफियत का हवाला देते हुए पाकिस्तान के इस कार्यक्रम में शिरकत से इंकार किया है। लेकिन, उनका मानना है कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच जारी तनाव घटाने के लिये अब पाकिस्तान को पहल करते हुए ईमानदार कदम उठाने चाहिये।
किसी कीमत नी नहीं जाएंगे पाकिस्तान
राहत इंदौरी के बेटे सतलज राहत ने बताया कि वह और उनके पिता ने इस आयोजन में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि देश के कई बड़े शायरों ने राहत इंदौरी को इस आयोजन में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिशें की थीं। लेकिन राहत साहब किसी कीमत पर पाकिस्तान जाने को तैयार नहीं हैं।
पाकिस्तान चाहता है अपने बेटे संग आए राहत इंदौरी
राहत इंदौरी के बेटे सतलज भी एक शायर हैं जो हाल ही में सऊदी अरब से लौटे हैं। कहा जा रहा है कि दोनों बाप बेटे इसी महीने सऊदी अरब में आयोजित एक मुशायरे में गए हुए थे, जहां पाकिस्तान के लोगों को उनका अंदाज खूब पसंद आया था। इसीलिए पाकिस्तानी आयोजक चाह रहे थे कि राहत कराची में शिरकत करें, लेकिन बात नहीं बन पाई।
बेबाकी के लिए मशहूर हैं राहत इंदौरी
राहत इंदौरी देश के मशहूर शायरों में से एक हैं जिन्हें अपनी बेबाकी के लिए देशभर में जाना जाता है। उनकी शायरी सुनने वालों को मंत्र- मुग्ध कर देती है। वो सरकार पर भी अपनी शायरी से निशाना साधने से नहीं चूकते।
दिल्ली में हमीं बोला करें अमन की बोली, यारों कभी तुम लोग भी लाहौर से बोलो’
राहत इंदौरी ने कहा कि ‘मैं वर्ष 1986 से अब तक पाकिस्तान में आयोजित मुशायरों में 10-20 मर्तबा शामिल हो चुका हूं। हालांकि, मुझे कुछ लोगों ने कहा कि भारत की ओर से कोशिशें होती हैं कि पाकिस्तान से भाईचारे और खुलूस के रिश्ते कायम किये जायें। लेकिन दूसरी ओर से ऐसी कोशिशें नहीं होतीं।' इन्हीं हालात पर अपना पुराना शेर सुनाया, ‘दिल्ली में हमीं बोला करें अमन की बोली, यारों कभी तुम लोग भी लाहौर से बोलो।'
राजनीति पर तंज कसती हुई राहत इंदौरी की एक शेर
बन
के
इक
हादसा
बाजार
में
आ
जाएगा,
जो
नहीं
होगा
वो
अखबार
में
आ
जाएगा
चोर
उचक्कों
की
करो
कद्र,
की
मालूम
नहीं,
कौन,
कब,
कौन
सी
सरकार
में
आ
जाएगा...