Northeast election results: मोदी के आने के बाद 7 सिस्टर्स पर भी चढ़ा भगवा रंग, केवल दो में बची कांग्रेस
अगरतला। आज पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में मतगणना हो रही है, जो रूझान सामने आए हैं, उससे तो लग रहा है कि यहां एक बार फिर से मोदी मैजिक काम कर गया है। त्रिपुरा के चुनावी रूझानों में तो भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल हो गया है तो वहीं नगालैंड में नेफ्यू रियो के एनडीपीपी और बीजेपी अलायंस को बड़ा फायदा मिलता दिख रहा है जबकि मेघालय में भी बीजेपी ने पहली बार दस्तक दी है।
सेवन सिस्टर्स पर भी चढ़ा भगवा रंग
आपको बता दें कि देश के 7 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा 7 सिस्टर्स के नाम से जाना जाता है। अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर नार्थ ईस्ट के ये सात राज्य पूरी दुनिया में अपनी प्राकृतिक सम्पदा के लिए जाने जाते हैं। पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले इन राज्यों पर कांग्रेस और लेफ्ट का दबदबा रहा है।
मोदी का जादू
लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां सत्ता का रंग बदला है क्योंकि साल 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद असम में पहली बार कमल खिला था। अगर आज के विधानसभा चुनावों के रूझान नतीजों में बदलते हैं तो पूर्वोत्तर की 7 राज्यों में से 5 पर भाजपा का कब्जा हो जाएगा, जिसका क्रेडिट सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी को ही जाता है।
भाजपा ने लिया अहम फैसला
आपको बता दें कि भाजपा ने त्रिपुरा में एक सोची समझी रणनीति के तहत फैसला लिया । उसने इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन किया , जिसका फायदा उसे मिला जबकि 2013 में इन दोनों पार्टियों को यहां एक भी सीट नहीं मिली थी।
नैसर्गिक सुंदरता से सजे राज्यों ने ओढ़ी भगवा चूनर...
कुल मिलाकर कहा जाए कि नैसर्गिक सुंदरता से सजे इन राज्यों में कमल ही खिलता नजर आ रहा है और इसके पीछे कारण एक बार फिर से पीएम मोदी ही है, जिनके वादों और दावों पर जनता को भरोसा बना हुआ है। पूर्वोंत्तर की राज्यों में भाजपा ने जीरो से शुरूआत की थी इसलिए इन राज्यों में अगर कमल खिला है तो इसके पीछे भाजपा की राज्यों के निचले स्तर पर की गई मेहनत है। जिसके कारण उसने त्रिपुरा में लेफ्ट के किले को ढहाने की कोशिश की है।
भाजपा का छत्र राज्य...
गौरतलब है कि विभिन्न एग्जिट पोल में इन तीनों राज्यों में इस बार बीजेपी को एक बड़ी ताकत के रूप में उभरते हुए दिखाया गया है। यह 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का एक बड़ा चुनाव परिणाम है, जो न केवल पूर्वोत्तर के राज्यों, बल्कि देश की राजनीति पर भी गहरा असर डालेगा।
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