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निर्भया के गुनहगार पवन गुप्ता के वकील पर HC ने लगाया 25,000 का जुर्माना, अदालत का वक्त बर्बाद किया

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नई दिल्ली- दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया कांड के एक गुनहगार पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह पर जुर्माना लगाया है और साथ ही बार काउंसिल से भी उनके खिलाफ कार्रवाई को कहा है। दरअसल, इस केस में फांसी के तख्त के करीब पहुंच चुके पवन की ओर से अदालत में यह याचिका दी गई थी कि वह वारदात के वक्त नाबालिग था, लेकिन तब जांचकर्ताओं ने उसकी जांच करवाने की जरूरत ही नहीं समझी। जब अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि यह उसे गुमराह करने और केस को लंबा खींचने का हथकंडा है तो उसने उसकी याचिका ठुकरा दिया और वकील पर जुर्माना लगा दिया।

निर्भया के दोषी के वकील पर जुर्माना

निर्भया के दोषी के वकील पर जुर्माना

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस सुरेश कैत ने निर्भया के एक दोषी पवन कुमार गुप्ता के वकील एपी सिंह पर अदालत का वक्त जाया करने और मामले को लटकाए रखने वाले हथकंडे अपनाने के चलते 25,000 रुपये का जुर्माना ठोका है। अदालत ने दिल्ली बार काउंसिल से भी उम्र से संबंधित फर्जी एफिडेविट दायर करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। गौरतलब है कि इस केस में हाई कोर्ट ने दोषी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया गया है, जिसमें उसने अदालत से कहा था कि वारदात के वक्त वह नाबालिग था। बता दें कि हाई कोर्ट ने पहले उसकी याचिका को सुनवाई के लिए 24 जनवरी तक के लिए टाल दिया था। लेकिन, जब अदालत को बताया गया कि यह सब दोषी के वकील की ओर से मामले को लटकाने की चाल है तो जज ने उसकी याचिका खारिज करने का फैसला सुनाया।

फांसी को लटकाने की चाल नाकाम

फांसी को लटकाने की चाल नाकाम

अदालत ने पवन की याचिका तब खारिज की जब मामले को 24 जनवरी तक स्थगित करने के अदालत के आदेश के बाद निर्भया के माता-पिता और सरकारी वकीलों ने कोर्ट में उपस्थित होकर बताया कि यह सब मामले को लटकाने की चाल है। उन्होंने अदालत को बताया कि दोषी की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट से पहले ही खारिज हो चुकी है और ट्रायल कोर्ट डेथ वारंट जारी करने की सुनवाई के लिए 7 जनवरी का तारीख भी मुकर्रर कर चुकी है। इस पर जज ने कहा कि उन्होंने केस को आगे की सुनवाई के लिए इसलिए स्थगित किया था, क्योंकि दोषी ने बताया था कि वह अपनी याचिका में संशोधन करना चाहता है।

पवन ने खुद को नाबालिग बताने की कोशिश की थी

पवन ने खुद को नाबालिग बताने की कोशिश की थी

इससे पहले दोषी पवन की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि जांच अधिकारी ने उसकी उम्र का पता लगाने के लिए उसकी हड्डियों की जांच ही नहीं की थी। दोषी के वकील एपी सिंह ने कहा था कि इस मुद्दे को मामले के अंतिम निपटारे के बाद भी उठाया जा सकता है। दोषी के वकील ने जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत छूट का दावा किया और कहा कि इस कानून की धारा 7ए में यह व्यवस्था है कि नाबालिग होने का दावा किसी भी अदालत में किया जा सकता है। इस संबंध में वकील एपी सिंह ने दस्तावेज पेश करने के लिए कोर्ट से और वक्त मांगा था।

7 जनवरी को डेथ वारंट पर सुनवाई

7 जनवरी को डेथ वारंट पर सुनवाई

गौरतलब है कि पवन को निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस में 3 अन्य दोषियों के साथ फांसी की सजा सुनाई गई है और सुप्रीम कोर्ट से उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो चुकी है। निर्भया के चारों गुनहगार अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं। इतना ही नहीं, तिहाड़ जेल में उनकी फांसी की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है और 7 जनवरी को अब डेथ वारंट जारी करने पर सुनवाई होनी है। 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा की 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप और उसके शरीर के साथ बर्बरता करने के बाद नीचे फेंक दिया गया था। बाद में उसकी सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस केस में 6 आरोपी थी, जिसमें से एक ने तिहाड़ में ही खुदकुशी कर ली थी, जबकि तीसरा सबसे खतरनाक आरोपी नाबालिग होने का लाभ उठाकर बाल सुधार गृह में तीन साल बिताकर आजाद हो चुका है।

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English summary
Delhi High Court imposed a fine of 25 thousand on Pawan's lawyer in Nirbhaya case for wasting the court's time and delaying tactics.
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