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आखिर क्या है ये तलाक-ए-हसन, जिसके खिलाफ मुस्लिम महिला पहुंची सुप्रीम कोर्ट, लगाई गुहार

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नई दिल्ली, 04 मई। तीन तलाक का मुद्दा देश में काफी लंबे समय से लंबित था, जिस तरह से लोग फोन पर, गुस्से में या मैसेज के जरिए तीन तलाक देते थे, उसके खिलाफ एक अभियान शुरू किया गया और आखिरकार तीन तलाक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन का मसला पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके तलाक एक हसन और किसी भी अन्य तरीके से तलाक की प्रक्रिया को खत्म करने की अपील की गई है, जोकि कानूनी तौर पर मान्य नहीं है। इस तरह के तलाक को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने की मांग की गई है, अपील में कहा गया है कि इस तरह के तलाक मनमाना, तर्कहीन और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
गाजियाबाद की रहने वाली बेनजीर हिना ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है, जोकि खुद एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक ए हसन का शिकार हैं। उन्होंने अपील में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस बाबत केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह इसको लेकर दिशानिर्देश जारी करे और तलाक की प्रक्रिया को देश के हर नागरिक के लिए एक समान रखा जाए। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर तीन तलाक के बाद यह तलाक ए हसन क्या है और क्यों इसे खत्म किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

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कई देशों में प्रतिबंधित है तलाक ए हसन
दरअसल तलाक ए हसन भी तलाक देने की एक प्रक्रिया है, जिसे तीन महीने में एक-एक बार कहा जाता है। तीसरे महीने में जब तीसरी बार तलाक कहा जाता है तो तलाक को औपचारिक रूप से स्वीकृत माना जाता है। तलाक ए हसन के रिवाज को कई इस्लामी राष्ट्रों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन बावजूद इसके भारत में यह अभी भी जारी है, इसी को खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि तीन तलाक के आधार पर ही इसे भी प्रतिबंधित किया जाए और केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह इस बाबत गाइडलाइन जारी करे। गौर करने वाली बात है कि 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक को प्रतिबंधित कर दिया गया था, तीन बार तलाक बोलकर शादी को खत्म करने को असंवैधानिक करार दिया गया था।

इस्लाम में मुख्य रूप से तीन तरह के तलाक
मुस्लिम समुदाय में मुख्य रूप से तलाक देने के तीन तरीके हैं, इसमे एक तलाक ए हसन, तलाक ए अहसन और तलाक एक बिद्दत शामिल है। तलाक एक अहसन के तहत तीन महीने के भीतर तलाक दिया जा सकता है, लेकिन अहम बात यह है कि इसमे तीन बार तलाक बोलना जरूरी नहीं है, इस प्रक्रिया के तहत एक बार तलाक कहने के बाद तीन महीने तक पति-पत्नी एक घर में रह सकते हैं, इस अवधि में अगर दोनों के बीच सहमति बन जाती है तो वह फिर से शादी में बने रह सकते हैं।

तलाक ए हसन
वहीं तलाक ए हसन की बात करें तो इसमे तीन महीने की अवधि में हर महीने एक बार तलाक कहना होता है, तीसरे महीने अगर तलाक कह दिया जाता है तो इसे औपचारिक रूप से तलाक माना जाता है, लेकिन तीसरा तलाक कहने तक शादी पूरी तरह से जारी रहती है। लेकिन तीसरी बार तलाक कहते ही शादी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। हालांकि तीन बार तलाक देने के बाद भी पति-पत्नी दोबारा शादी कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए पत्नी को हलाला की परीक्षा देनी होती है। इसके तहत महिला को दूसरे व्यक्ति से शादी के बाद ही वापस से उसी व्यक्ति से शादी की इजाजत होती है जिसे उसने तलाक दिया था।

तलाक ए बिद्दत
तलाक ए बिद्दत की बात करें तो इस प्रक्रिया के तहत पति कहीं पर हो वह किसी भी समय पत्नी को फोन पर तलाक दे सकता है, वह पत्र लिखकर भी तलाक दे सकता है। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत भी पति-पत्नी फिर से शादी कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए भी पत्नी को हलाला से गुजरना होता है। तलाक की इस प्रक्रिया को लेकर कई मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि यह कुरान के लिहाज से गलत प्रक्रिया है। तलाक की इन तीनों प्रक्रियाओं के चलते महिलाओं को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब वर्ग की महिलाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

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English summary
Muslim lady files plea in SC to end Talaq E Hasan know all about it.
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