Monkeypox:विशेषज्ञों ने कम संक्रामक होने का किया दावा, लेकिन ऐसे लोगों के लिए हो सकता है घातक
नई दिल्ली, 24 जुलाई: भारत में मंकीपॉक्स के चार मामले आ चुके हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। दुनियाभर के 75 देशों में यह इस समय फैला हुआ है और राजधानी दिल्ली में रविवार को जो पहला मामला सामने आया है, उसने स्वास्थ्य एजेंसियों की चिंताएं और भी बढ़ा दी हैं, क्योंकि मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। केंद्र सरकार सतर्क है और जरूरी दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं, लेकिन राहत की बात ये है कि कई बड़े विशेषज्ञों की राय में घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह कोरोना की तुलना में कम संक्रामक है। लेकिन, फिर भी इससे पूरी तरह से सावधान रहना इसलिए जरूरी है, क्योंकि कुछ लोग इसकी चपेट में आसानी से आ सकते हैं और उनके लिए यह काफी घातक भी साबित हो सकता है।
पश्चिम अफ्रीकी क्लैड कम गंभीर- एनआईवी वैज्ञानिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न घोषित किया है, जो कि दुनिया भर के लिए चिंता की बात है। इधर भारत में भी इस बीमारी के चार मामले सामने आ चुके हैं और इसने राजधानी दिल्ली में एक शख्स को अपनी चपेट में ले लिया है। लेकिन, फिर भी रविवार को कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है- घबराने की जरूरत नहीं है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर प्रज्ञा यादव ने कहा है कि मंकीपॉक्स वायरस एक ढका हुआ डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है, जिसके दो अलग आनुवंशिक समूह हैं- मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) क्लैड और पश्चिमी अफ्रीकी क्लैड। उन्होंने कहा, 'अभी का जो प्रकोप है, जिसने कई देशों को प्रभावित किया है और चिंताजनक स्थिति पैदा हुई है, वह पश्चिम अफ्रीकी क्लैड की वजह से है, जो पहले की रिपोर्ट की गई कांगो क्लैड के मुकाबले कम गंभीर है।' नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक महत्वपूर्ण संस्था है।
'इस वायरस से ज्यादातर हल्की बीमारी होती है'
महामारी विशेषज्ञ और संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि मंकीपॉक्स कोई नया वायरस नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पांच दशकों से वैश्विक स्तर पर मौजूद है, और इसकी वायरल संरचना, प्रसार और रोगजनकता की उचित समझ मौजूद है। उनके मुताबिक, 'इस वायरस से ज्यादातर हल्की बीमारी होती है। यह कम संक्रामक है, जबकि,इसकी तुलना में एसएआरएस-सीओवी-2 सांस से फैलता था और उसमें एसिम्पटोमेटिक मामलों का अनुपात बहुत ज्यादा था।' लहेरिया ने कहा कि अभी सामान्य लोगों को टीकाकरण की सलाह नहीं दी जा रही है, क्योंकि, 'अभी तक हर कारण हैं यह मानने के लिए कि मंकीपॉक्स के प्रकोप से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है और कंफर्म मामलों को आइसोलेशन में रखकर, संपर्कों को क्वारंटीन करके और 'रिंग वैक्सीनेशन' के 'ऑफ लेवल' की तरह आधिकारिक स्मॉलपॉक्स वैक्सीन के इस्तेमाल से वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है। '
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ऐसे लोगों के लिए हो सकता है घातक
NTAGI के कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख डॉक्टर एनके अरोड़ा ने बताया है कि अभी इससे घबराने की इसलिए जरूरत नहीं है, क्योंकि यह बीमारी कम संक्रामक है और बहुत ही कम मामलों में घातक साबित हो सकती है। लेकिन, उन्होंने यह भी आगाह किया है कि कमजोर इम्यून वाले लोगों के लिए ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। उनके मुताबिक, 'हालांकि, इसका फैलना चिंता की बात है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। इस वायरस को सख्त निगरानी, कंफर्म मामलों के आइसोलेशन और संपर्कों का पता लगाकर नियंत्रित किया जा सकता है। ' हालांकि, कोविड-19 महामारी से सबक लेते हुए भारत ने अपने सर्विलांस सिस्टम को ऐक्टिवेट कर दिया है और मंकीपॉक्स के मामलों पर नजर रखना शुरू कर दिया है।
दिल्ली वाले मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं मिली
भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के चार मामलों का पता चला है। इसका भी पहला मामला कोरोना की तरह केरल (कुल तीन) में ही पाया गया है, जबकि चौथा केस दिल्ली में मिला है। दिल्ली में 34 साल के जिस शख्स में मंकीपॉक्स वायरस मिला है, उसकी विदेश की कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं है। इसके बाद ही केंद्र सरकार अलर्ट हुई है और राजधानी दिल्ली में रविवार को इसपर उच्चस्तरीय बैठक की गई है। पहले बंदरगाहों और एयरपोर्ट पर विदेशों से आने वाले यात्रियों पर नजर रखने की सलाह दी गई थी, लेकिन दिल्ली में सामने आए मामले ने चिंता बढ़ाई दी है।
मकीपॉक्स वायरस के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरल जूनोसिस (वायरस जो जानवर से इंसान में आया है) है, जिसमें पहले के स्मॉलपॉक्स मरीजों के समान ही लक्षण दिखता है, लेकिन क्लिनिकली यह कम गंभीर है। मंकीपॉक्स के मरीजों को बुखार, शरीर पर दाने और सूजे हुए लिम्फ नोड्स की शिकायत रहती है और इसकी वजह से कई तरह की मेडिकल परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाने वाली बीमारी है, जिसके लक्षण दो से चार हफ्तों तक रह सकते हैं। जानकारों के मुताबिक हाल के समय में इस बीमारी की मृत्य दर करीब 3 से 6 फीसदी रह गई है।
मकीपॉक्स से 5 लोगों की हो चुकी है मौत
शनिवार को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न घोषित किया है और देशों से कहा है कि उन समुदायों पर निगरानी रखें, जो पुरुष और पुरुष के बीच संबंधों के लिए जाने जाते हैं। ताजा प्रकोप की वजह से दुनिया भर के 75 देशों में इसके 16,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और अबतक तक इसकी वजह से 5 लोगों की मौत की सूचना है। (इनपुट-पीटीआई, कुछ तस्वीरें सांकेतिक)