एमके स्टालिन ने बताया आखिर क्यों उन्होंने राहुल गांधी का नाम पीएम पद के लिए आगे बढ़ाया
नई दिल्ली। भाजपा शासित राज्यों में जिस तरह से कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की उसके बाद डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन राहुल गांधी के नाम को बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर आगे बढ़ाया। लेकिन स्टालिन के इस प्रस्ताव को तमाम विपक्षी दलों का समर्थन नहीं मिला है। विपक्षी दलों का इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं मिलने के बाद स्टालिन ने अपने प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष विपक्षी दलों को एकजुट करने और सेक्युलर विचारधारा के लोगों को साथ लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
पिता की भूमिका दिलाई याद
स्टालिन ने कहा कि सेक्युलर ताकतों को एकजुट करने के लिए राहुल गांधी के नाम को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाना सही कदम है। उन्हो्ंने कहा कि भाजपा शासित तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के लिए राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। स्टालिन ने कहा कि 1980 में उनके पिता करुणानिधि ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया था, जिसके बाद उनकी जीत हुई थी। इसके बाद 2004 में करुणानिधि ने जब सोनिया गांधी के नाम को आगे बढ़ाया था तो कांग्रेस को जीत मिली थी।
राहुल के हाथ मजबूत करने की जरूरत
स्टालिन ने कहा कि विपक्षी दलों को राहुल गांधी की ताकत को बढ़ाने की जरूरत है जिससे कि अंधकार में जा रहा देश एक बार फिर से उजाले की ओर बढ़ सके। आपको बता दें कि स्टालिन ने सोमवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया और विपक्षी दलों को एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि लोकतांत्रिक ताकतों का नेतृत्व करने वाला मजबूत नेता हो।यही वजह है कि मैंने राहुल गांधी के नाम को आगे बढ़ाया है। देश से सांप्रदायिक ताकतों को उखाड़ फेकने के लिए राहुल के हाथ मजबूत करने की जरूरत है।
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विपक्षी दल साथ नहीं
हालांकि स्टालिन के प्रस्ताव को तमाम विपक्षी दलों ने अपना समर्थन नहीं दिया। सपा मुखिया अखिलेश यादव, चंद्रबाबू नायडू, ममताबनर्जी, फारुक अब्दुल्ला, लालू प्रसाद यादव, , जनता दल, सीपीएम, एनसीपी के शरद पवार ने स्टालिन के इस प्रस्ताव से दूरी बना ली है। इन तमाम नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला चुनाव के बाद होना चाहिए।
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