प्रवासी मजदूर ने एक्टर सोनू सूद के नाम पर खोली वेल्डिंग शॉप, तस्वीर हुई वायरल
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) के बाद जब देशव्यापी लॉकडाउन लगा तो देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उनके लिए मसीहा की तरह बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद आए। सोनू सूद इस महामारी के दौर में अभी तक दिन रात प्रवासियों की मदद कर रहे हैं। जिसके बाद से उन्होंने लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना ली है। एक गर्भवती प्रवासी महिला ने अपने बेटे का नाम भी सोनू रखा था। अब एक प्रवासी मजदूर ने अपने गृहनगर में अभिनेता के नाम से दुकान खोली है। इस दुकान का नाम 'सोनू सूद वेल्डिंग वर्कशॉप' रखा गया है।
पुलिस को दान कीं फेस शील्ड
दुकान के बाहर लगे इस साइनबोर्ड पर सोनू सूद की तस्वीर भी लगी हुई है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस शख्स को सोनू सूद ने हवाई जहाज के जरिए कोच्चि से ओडिशा तक पहुंचाया था। हाल ही में सोनू सूद ने पुलिस को भी 25 हजार फेस शील्ड दान में दी हैं। महाराष्ट्र पुलिस को फेस शील्ड दान देने पर राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने उनसे मुलाकात की दो तस्वीरें ट्विटर पर शेयर करके लिखा, 'हमारे पुलिस कर्मियों के लिए 25,000 फेस शील्ड देने के आपके उदार योगदान के लिए मैं सोनू सूद जी को धन्यवाद देता हूं।' गृहमंत्री के ट्वीट के जवाब में सोनू सूद ने लिखा, 'आपके उदार शब्दों से सचमुच सम्मानित महसूस कर रहा हूं सर! मेरे पुलिस के भाई और बहन हमारे असली हीरो हैं और वो जो सराहनीय कार्य कर रहे हैं, उनके लिए मैं कम से कम इतना तो कर ही सकता हूं।'
किताब में सुनाएंगे अपनी कहानी
सोनू लोगों की मदद करने के दौरान कई लोगों से मिले और उनका दुख-दर्द बांटा। अब वह इन कोरोना काल के अनुभवों को एक किताब का रूप देना चाहते हैं। इस बात की जानकारी खुद सोनू सूद ने दी है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने से अधिक समय में मैंने जो देखा और महसूस किया उसने मेरे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। सोनू सूद ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मदजूरों के साथ 16 से 18 घंटे रहना, उनके दर्द को बांटने का सौभाग्य मुझे मिला। जब मैं उनके घर जाने वाले वाहन को विदा करता था तो मेरा दिल खुशियों से भर जाता था। अपने घर जाने की खुशी में मजदूरों की आंखों में आए आंसू मेरे जीवन के सबसे विशेष अनुभव रहेंगे।' उन्होंने कहा, 'मैं वादा करता हूं मैं तब तक यह काम करता रहूंगा जब तक आखिरी प्रवासी अपने घर और प्रियजनों के पास नहीं पहुंच जाता।'
'इसी अनुभव के लिए शहर आया था'
अपनी किताब का जिक्र करते हुए सोनू ने कहा, मुझे विश्वास है कि मैं इसी अनुभव के लिए शहर आया था, यही मेरा उद्देश्य था। मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए मुझे साधन बनाया। उन्होंने कहा, मुंबई मेरे दिल की धड़कन है लेकिन आज मुझे महसूस होता है कि यूपी, बिहार, झारखंड, असम, उत्तराखंड और कई अन्य राज्यों के गांवों में भी अब मेरा हिस्सा रहता है। इन क्षेत्रों से मुझे नए दोस्त मिल गए हैं और उनसे गहरे संबंध बन गए हैं।
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