26 जनवरी को किसानों के उपद्रव पर अमेरिकी ने दी प्रतिक्रिया तो भारत ने याद दिलाया कैपिटल हिल हिंसा
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर किसानों को आंदोलन जारी है। आज 70 दिनों से ज्यादा का समय बीत चुका है और किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं। उनकी मांग है कि जबतक बिल वापस नहीं लिए जाते वो घर वापस नहीं जाएंगे। वहीं इस आंदोलन में बीते 26 जनवरी को हिंसा भी देखी गई जिसे लेकर पूरी दुनिया की नजर इसपर आ चुकी है। किसानों का ये आंदोलन अब दुनिया भर में सुर्खियां बंटोर रहा है। तमाम इंटरनेशनल हस्तियों समेत अमेरिका की ओर से भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी गई है। इस प्रतिक्रिया के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया। गुरुवार को किए गए इस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका की चिंता का जवाब दिया गया।
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भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि टिप्पणियों को अवश्य ही उनकी संपूर्णता में देखा जाना चाहिए। साथ ही, विदेश मंत्रालय 26 जनवरी को हिंसा और लाल किले में तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद भारत में हुई प्रतिक्रियाओं और प्रकट की गई भावनाओं की तुलना हाल ही में यूएस कैपिटल हिल में हुई हिंसा की घटनाओं से करता नजर आया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी भी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक आचार एवं राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में तथा गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार एवं संबद्ध किसान संगठनों के प्रयासों को अवश्य ही देखा जाना चाहिए।
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि 26 जनवरी को हिंसा की घटनाएं, लाल किले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की, जैसा कि छह जनवरी को (अमेरिका में) कैपिटल हिल घटना के बाद देखने को मिला था। भारत में हुई घटनाओं से हमारे संबद्ध स्थानीय कानूनों के मुताबिक निपटा जा रहा है।'' आपको बता दें कि अमेरिका ने किसानों के आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि वह बातचीत के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है। विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर एनसीआर के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा पर रोक लगाये जाने पर कहा कि यह और अधिक हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए था। MEA ने कहा कि भारत ने सिखों के मामले में जस्टिस/रेफरेंडम 2020 के लिए अमेरिका में एक म्युचुअल लीगल असिस्टेंस रिक्वेस्ट जारी की है। प्रक्रिया के अनुसार, संबंधित अधिकारियों द्वारा सीधे यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DoJ) को अनुरोध भेजा गया है।