जब दोस्त ने बताया मेजर चित्रेश के पिता को सच तो हाथ से गिर गया शादी का कार्ड
Recommended Video
देहरादून। 31 वर्षीय मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट जो शादी के लिए घर आने की तैयारियां कर रहे थे, अपने घर देहरादून तो पहुंचे लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए। मेजर चित्रेश शनिवार को जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा में हुए एक आईईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए। सात मार्च को देहरादून की ही अंकिता भंडारी के साथ उनकी शादी होने वाली थी। घर में शादी का माहौल, मेजर की शहादत के साथ गम के माहौल में तब्दील हो गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनकी मां को उनके शहादत की खबर नहीं दी गई थी। मां को सिर्फ यह बताया गया था कि बेटे की तबियत खराब है। मगर मां की दिल किसी आशंका से सहम गया था।
यह भी पढ़ें-100 घंटों में ही मास्टरमाइंड गाजी राशिद को मारकर लिया बदला
शादी की तैयारियों के बीच आई मनहूस खबर
मेजर चित्रेश जिस समय शहीद हुए, उस समय देहरादून की नेहरु कॉलोनी स्थित उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं। पिता एसएस बिष्ट, इंडियन पुलिस सविर्स से रिटायर इंस्पेक्टर हैं, कार्ड देने के लिए गांव गए हुए थे। उनका गांव रानीखेत के तहत आने वाला पिपली है। पिता का कॉल किया गया था मगर वह फोन नहीं पिक कर पाए। घर पर मां थी और उनकी मां को शाम 5:30 बजे जब फोन किया गया तो उन्होंने तुरंत फोन उठाया।
मां को बताया गया बेटे की तबियत खराब
मां को सिर्फ इतना बताया गया था कि बेटे की तबियत खराब है। वह यह सुनते ही घबरा गईं और फोन रख दिया। पिता को इस बात की खबर मिली और उन्होंने मेजर चित्रेश के साथी बिना घबराए सच बताने को कहा। साथी ने जब बताया कि मेजर आईईडी डिफ्यूज करते हुए शहीद हो गए हैं तो उनके हाथ से बेटे की शादी का कार्ड गिर गया।
बचपन से ही था सेना में जाने का सपना
मेजर चित्रेश इंडियन मिलिट्री एकेडमी से साल 2010 में पासआउट हुए थे। आर्मी की इंजीनियरिंग कोर के साथ अटैच्ड चित्रेश बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखते थे। शनिवार को वह एक आईईडी सफलतापूर्वक डिफ्यूज कर चुके थे। जैसे ही वह दूसरी आईईडी डिफ्यूज करने वाले थे उसमें ब्लास्ट हो गया और मौके पर ही वह शहीद हो गए। 28 फरवरी को वह शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आने वाले थे।
पिता बोले कैसा दुर्भाग्य
रविवार को मेजर चित्रेश का पार्थिव शरीर देहरादून के मिलिट्री हॉस्पिटल आया। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पिता एसएस बिष्ट ने कहा, 'यह कैसा दुर्भाग्य है वह तो शादी के लिए घर आने वाला था। अब हम उनके शव का इंतजार कर रहे हैं।' मेजर चित्रेश अपने मां-बाप की इकलौती संतान थे और अब वह बस उनकी यादों का हिस्सा बनकर रह गए हैं।