क्या महाराष्ट्र को उपमुख्यमंत्री के लिए भी करना पड़ेगा लंबा इंतजार?
महाराष्ट्र की अघाडी सरकार को मुख्यमंत्री पद के लिए अभी भी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। जानिए क्या है वजह, आखिर में शिवसेना, एनसीपी,कांग्रेस किसका बनेगा डिप्टीसीएम,
बेंगलुरु। महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह महाविकास अघाड़ी की तीन पहियों की सरकार का गठन हो चुका है। लंबे इंतजार के बाद प्रदेश को उद्वव ठाकरे के रुप में नया मुख्यमंत्री भी मिल गया। लेकिन सरकार के गठन के इतने दिनों बाद भी उपमुख्यमंत्री कौन होगा ये पेंच अभी भी फंसा हुआ है। वर्तमान हालात को देखकर तो ये ही लगता है कि उपमुख्यमंत्री की कुर्सी को अभी और लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
बता दें सरकार के महाराष्ट्र में उद्वव सरकार के बहुमत परीक्षण के पहले भी कांग्रेस और एनसीपी के बीच डिप्टी सीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन पायाी थी। शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देने के बाद कांग्रेस-एनसीपी में उपमुख्यमंत्री पद के लिए आपस में मतभेद होने की बात सामने आयी थी। अघाड़ी सरकार में कांग्रेस को अध्यक्ष पद देने की बात हुई थी इसके बावजूद कांग्रेस उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रही थी। जबकि एनसीपी इस पद पर अपना दावा पहले ही ठोक चुकी हैं। दो उपमुख्यमंत्रियों पर भी एनसीपी राजी नहीं थी।
पूर्व में भी कांग्रेस नेताओं का कहना था कि पार्टी इस बात पर राजी है कि मंत्रिमंडल में भले उसे एकाध जगह कम मिले परंतु उपमुख्यमंत्री पद जरूरी है क्योंकि तभी महाविकास अघाड़ी की सरकार में तीनों दलों का गठबंधन दिखेगा। उद्धव के मुख्यमंत्री पद की शपथ से पहले भी अघाड़ी की बैठक में यह मुद्दा उठा था और तब भी कांग्रेस ने कहा था कि उसे उपमुख्यमंत्री पद नहीं मिला तो बेहतर होगा कि शिवसेना-एनसीपी मिलकर सरकार बनाएं। वह उन्हें बाहर से समर्थन देगी। वहीं कुछ कांग्रेस के कुछ नेता शुरू से ही यह चाहते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष का पद एनसीपी को देकर उसके बदले में दो मंत्री पद ले लिए जाएं।
हालांकि इन खबरों के बाद ही एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शनिवार को यह बयान दिया था कि महाराष्ट्र सरकार में एनसीपी का उपमुख्यमंत्री होगा और शरद पवार साहेब यह तय करेंगे कि यह पद किसे मिलेगा। हालांकि अभी उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है। वैसे भी इस पर कोई जल्दी नहीं है।
बता दें उपमुख्यमंत्री पद के लिए अजित पवार के साथ ही जयंत पाटिल भी प्रतियोगिता में है। जो नाम इस पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा है वो अजित पवार का है। वहीं एनसीपी के दिग्गज नेता जयंत पाटिल का भी नाम इस डिप्टी सीएम को लेकर चर्चा में है। यही वजह है कि पार्टी अभी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं सकी है।
जब इस बारे में अजित से सवाल किया गया तो अजित ने कहा कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी, वह उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाएंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अजित पवार को ही उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। जिसमें कहा जा रहा है कि कांग्रेस भी सरकार में अपना उपमुख्यमंत्री चाह रही है। यदि उसकी मांग मानी जाती है तो सरकार में दो उपमुख्यमंत्री होंगे।
माना जा रहा है, चूंकि कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हामी भर दी है, इसका मतलब है कि अब वह उपमुख्यमंत्री पद पर जोर नहीं देगी। फिलहाल माना जा रहा है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद एनसीपी के कोटे में जबकि विधानसभा अध्यक्ष का पद कांग्रेस के खाते में पहले ही जा चुका है। वहीं एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि नागपुर विधानसभा सत्र के अगले महीने खत्म होने के बाद उद्धव ठाकरे सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद भर दिया जाएगा। सत्र 22 दिसंबर को खत्म होगा।
बता दें इस सरकार के गठबंधन की जब से बात चल रही थी तभी से उपमुख्यमंत्री पद के लिए अजीत पवार का नाम सबसे ऊपर चल रहा था। लेकिन महाराष्ट्र में 23 नवंबर की सुबह महाराष्ट्र में एक अलग तरक का सियासी नाटक देखा गया। इससे एक दिन पहले एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस ने सरकार बनाने की बात कही थी। लेकिन अगली सुबह मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली। उनके साथ अजित पवार ने भी उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सबको चौंका दिया था।
उसके तुरंत बाद शरद पवार ने ट्वीट के ज़रिए कहा कि बीजेपी के साथ जाना अजित पवार का व्यक्तिगत फ़ैसला है। और वो उसका समर्थन नहीं करते हैं। इसके बाद अजित पवार को एनसीपी विधायक दल के नेता के पद से हटा कर जयंत पाटिल को बना दिया गया। अगले तीन दिन महाराष्ट्र की सियासत में काफ़ी गहमागहमी वाले रहे। अजित पवार की मान-मुनौव्वल की कोशिशें होती रहीं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। जिसके बाद अजित ने इस्तीफ़ा दिया और अब वो अपने चाचा की पार्टी और परिवार के पास लौट आए हैं।
अजित पवार की इस बगावत के बाद उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एनसीपी नेता दो हिस्से में बंट चुके हैं। अजित पवार, शरद पवार के भतीजे हैं इसलिए उनकी घर वापसी करना पार्टी और परिवार के लिए महत्तवपूर्ण था। फ़्लोर टेस्ट के समय विधायकों में दरार सामने न आए शायद ये सोचकर अजित पवार को वापिस लाने की भरसक कोशिश की गई।
लेकिन शरद पवार बड़े राजनीतिज्ञ हैं जल्दबाजी में अजित पवार को लेकर कोई निर्णय लेकर गठबंधन की सरकार को लेकर कोई भी खतरा नहीं ले सकते। उन्हें अच्छे से मालूम है कि अजित के विरोध या पक्ष में लिया गया उनका निर्णय , दोनों ही स्थितियों में विरोध हो सकता है। इसलिए उपमुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर महाराष्ट्र को और अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।