मालेगांव ब्लास्ट: 10 साल पहले साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी से लेकर अब तक क्या क्या हुआ? जानिए
नई दिल्ली। मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों पर आतंकवाद की साजिश रचने के मामले में आरोप तय किए हैं। कोर्ट ने 2008 में मालेगांव में हुए बम धमाकों से जुड़े केस में सभी सात आरोपियों पर आतंकवाद की साजिश रचने का आरोप तय किया गया है। एनआईए कोर्ट ने आरोपियों पर हत्या, धमाकों की साजिश और इससे जुड़े दूसरे अपराधों को लेकर आरोप तय किए हैं। आरोप तय होने के बाद किसी आपराधिक मामले में निचली अदालत में मुकदमा शुरू होता है। सभी के खिलाफ यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम...
ब्लास्ट के एक महीने बाद ही हो गई थी साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी
29 सितंबर 2008: नासिक जिले के मालेगांव में पहला धमाका हुआ, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 80 लोग घायल हो गए थे। शुरूआती जांच में इस धमाके के पीछे मुस्लिम उग्रवादी संगठनों का शक जताया गया था। हेमंत करकरे की अध्यक्षता में हमले की जांच की जिम्मेदारी एंटी टेरर स्क्वेड को सौंपी गई। यह हमला नवरात्री के वक्त हुआ था।
23 अक्टूबर 2008: लगभग एक महीने बाद इस केस में सबसे बड़ी गिरफ्तारी साध्वी प्रज्ञा की हुई।
दूसरी बड़ी गिरफ्तारी कर्नल पुरोहित की हुई थी
24
अक्टूबर
2008:
जांच
में
एक
बाइक
बरामद
हुई,
जिसमें
पाया
गया
कि
उसमें
कम
तीव्रता
वाला
बम
रखा
गया
था।
लगभग
एक
महीने
बाद
जांच
के
दौरान
एटीएस
ने
पहली
बार
माना
कि
इन
धमाकों
में
किसी
हिंदू
चरमपंथी
समूह
का
हाथ
है।
4 नवंबर 2008: इस केस में दूसरी सबसे बड़ी गिरफ्तारी सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की हुई, जिन पर 2002-2004 में जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान हमले के लिए आरडीएक्स देने और साजिश रचने के आरोप लगा था।
पिछले साल सभी आरोपियों को मिली थी जमानत
15 अप्रैल 2015: अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की वजब से सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मकोका के फैसले को खारीज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को स्पेशल कोर्ट में पेश करने का भी निर्देश दिया।
28 जून 2016: साध्वी ठाकुर की जमानत याचिका को स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अप्रैल 2017: मालेगांव धमाका मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सात आरोपियों को अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।
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