वफादारी: लापता मालिक के इंतजार में 5 दिनों से टनल के बाहर इंतजार कर रहा है यह कुत्ता
लापता मालिक के इंतजार में 5 दिनों से टनल के बाहर इंतजार कर रहा है यह कुत्ता
नई दिल्ली। उत्तराखंड में पिछले रविवार को ग्लेशियर फटने से भयंकर तबाही मची।जिसमें कई लोगों ने अपनों को खो दिया और भयंकर बाढ़ आने के कारण कई लोगों के अपनों का पता भी नहीं चल रहा है। तपोवन हाइडल परियोजना स्थल जिसमें काम करने वाले कई मजदूर मारे गए उसी स्थान पर एक कुत्ता पिछले कई दिनों से बैठकर अपने मालिक का इंतजार कर रहा है। इस कुत्ते का नाम ब्लैकी है जब से इसका मालिक इस त्रासदी में खोया है ये उत्तराखंड की सुरंग के बाहर जहां बचाव अभियान चल रहा है, वहीं बैठ कर अपने मालिक का इंतजार कर रहा है। उत्तराखंड की सुरंग के बाहर जहां बचाव अभियान चल रहा है, वहां एक कुत्ता इंतजार कर रहा है, जिसे वह जानता था।
इंतजार में 5 दिनों से टनल के बाहर इंतजार कर रहा है यह कुत्ता
बता दें हिमस्खलन या ग्लेशियर टूटने के बाद अलकनंदा नदी में पानी में बढ़ोत्तरी होने के कारण बाढ़ आ गई थी। एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के 34 श्रमिक सुरंग के अंदर फंसे हुए थे। उत्तराखंड आपदा में नदी में डूबे दो और शवों की बरामदगी से 36 लोगों की मौत हो गई और रविवार से अब तक 168 लोगों के लापता होने की खबर है। ब्लैकी को इसी सुरंग में काम करने वाला एक शख्स खाना पानी देता था लेकिन जब से वो वापस नहीं आया है तभी से ब्लैकी ने सुरंग छोड़ी नहीं है।
सुरंग के आसपास ही बैठा रहता है ब्लैकी
बचाव कार्य के दौरान खुदाई करने वाले और ड्रिल करने वाले के बीच, कुत्ते उस आदमी के लिए सुरंग के बाहर इंतजार कर रहा है जिसने उसे खिलाया। वहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि इस सुरंग में हम काम करते थे तो हमारा एक दोस्त और हम ब्लैकी को खाना देते थे, सोने के लिए एक बोरी। रविवार को ये घटना हुई उसके बाद से दिन के दौरान ब्लैकी आसपास ही बैठा रहता है।
यही पर हुआ था इस ब्लैकी का जन्म
टनल में काम करने वाले लोगों ने बताया कि ये ब्लैकी परियोजना स्थल के आसपास पैदा हुई थी और यहां काम करने वाले सदस्यों के पास रहते हुए बड़ी हुई। जब बाढ़ आई, तो कुत्ता इधर-उधर था इसलिए बच गया और रात भर इधर-उधर अपने को बचाने के लिए घूमता रहा । एक स्थानीय ने बताया जब वह अगले दिन वापस आया, तो कोई भी आदमी आसपास नहीं था।कुत्ते को एहसास हो गया होगा कि कुछ गड़बड़ थी। "जगह अजनबियों से भरी हुई थी, जिन्होंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। हमें नहीं पता था कि पहली बार में क्या करना है,।
अपनी जान की परवाह किए बगैर यहां बैठा रहता है ये कुत्ता
बचाव दल ने कुत्ते को दूर भगाने की कोशिश की क्योंकि चारों ओर भारी मशीनरी लगाई जा रही थी। लेकिन कुत्ता आता रहा और वो तेज मशीनों की आवाज के बावजूद अपनी जान की परवाह किए बगैर वहां से हटा नहीं। स्थानीय लोग बताते हैं कि कुत्ता परियोजना स्थल के आस-पास ही रहा करता था। हम अब उसकी देखरेख कर रहे हैं। जो भी उसे चारों ओर देखता है वह उसे खिलाता है। इसकी तरह हमने उसे अपनाया है। कुत्ता पूरे दिन सुरंग के बाहर बैठता है, पूरी रात इंतजार करता है। स्थानीय लोगों ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही वो अपने मालिक को फिर से देख पाएंगा और मिल पाएगा।