लोकसभा चुनाव 2019: राहुल गांधी के साथ मंच पर क्यों नहीं दिखना चाहते तेजस्वी?
पटना। बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का अभी तक साझा चुनाव प्रचार क्यों नहीं हुआ? दो चरण के चुनाव खत्म हो गये लेकिन महागठबंधन के दो बड़े नेताओं ने अभी तक मंच साझा नहीं किया है। दोनों बिहार में चुनावी सभाएं तो कर रहे हैं लेकिन एक मंच पर नहीं दिखे हैं। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान कई संयुक्त चुनावी सभाएं कर चुके हैं। इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या राहुल गांधी, तेजस्वी के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते हैं ? या फिर दोनों जीत के प्रति इतने आश्वस्त हैं कि संयुक्त सभा जरूरी नहीं समझते?
राहुल गांधी की सभा में नहीं आये तेजस्वी
राहुल गांधी ने बिहार में जितनी भी सभाएं की हैं उनमें तेजस्वी यादव शामिल नहीं हुए हैं। 9 अप्रैल को गया में राहुल गांधी की सभा थी। इस सभा में तेजस्वी को भी जाना था। लेकिन तय कार्यक्रम के बाद भी तेजस्वी नहीं गये। क्या राहुल गांधी जानबूझ कर तेजस्वी की उपेक्षा कर रहे हैं? या तेजस्वी यादव बिहार में खुद को बड़ा चेहरा मान कर कांग्रेस से चिरौरी की उम्मीद लगाए बैठे हैं ? कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। झारखंड की चतरा सीट, बिहार की मधुबनी, सुपौल और मधेपुरा सीट को लेकर राजद और कांग्रेस में गहरी खाई बन गयी है। दोनों दल एक दूसरे पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। सबसे अधिक तनाव झारखंड की चतरा सीट को लेकर है। चतरा में लालू परिवार के करीबी और चर्चित बालू व्यवसायी सुभाष यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस भी ताल ठोक रही है। इन्ही विवादों ने राजद और कांग्रेस के रिश्ते में कड़वाहट घोल दी है।
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राहुल को पहले लालू से था परहेज
इसके पहले 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी, लालू यादव के साथ मंच साझा करने से बचते रहे थे। दागी नेताओं को राहत देने वाले ऑर्डिनेंस को फाड़ कर राहुल गांधी ने अपनी एक अलग छवि बनायी थी। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनका रवैया सख्त था। लेकिन बाद के दिनों में उनके विचार बदल गये। वे तेजस्वी के साथ एक मंच पर आते रहे हैं। लेकिन जब से उन्होंने रफायल का राग पकड़ा है, वे फिर सख्त मिजाज दिखने की कोशिश करते रहे हैं। रेलवे टेंडर घोटाला में तेजस्वी अभी जमानत पर बाहर हैं। क्या राहुल गांधी इस लिए तेजस्वी से परहेज कर रहे हैं ?
तेजस्वी की सभा से कांग्रेस के बड़े नेता गायब
तेजस्वी यादव राजद के नम्बर एक स्टार प्रचारक की भूमिका में हैं। लेकिन वे लालू यादव की तरह जीवट नहीं हैं। अभी तक उन्होंने अपने तय कार्यक्रम में से चार दिन चुनाव प्रचार किया ही नहीं। कभी स्वास्थ्य के नाम पर तो कभी अन्य कारणों से वे प्रचार से दूर रहे। घरेलू विवाद ने भी अपना असर दिखाया है। फिर भी उन्होंने अभी तक 50 से अधिक चुनावी सभाएं की हैं लेकिन इनमें कांग्रेस के बड़े नेता शामिल नहीं हुए हैं। कांग्रेस में दूसरी कतार या तीसरी कतार के नेता राजद की सभा में जाते हैं लेकिन राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के शीर्ष नेता गायब रहते हैं। दरअसल राजद ने अपने प्रत्याशियों के प्रचार पर अधिक ध्यान लगा ऱखा है। लालू की गैरहाजिरी में तेजस्वी पर दबाव है कि वे राजद के 19 उम्मीदवारों में अधिक से अधिक जीत दिलाएं। अभी तक महागठबंधन में शामिल पांच दलों के शीर्ष नेताओं के संयुक्त प्रचार का कोई कार्यक्रम नहीं बन पाया है। सभी खुद को मजबूत करने पर अधिक जोर लगाये हुए हैं। कांग्रेस और राजद की अंदरूनी खींचतान से स्थिति और खराब हो गयी है।
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