Lok Sabha Elections 2019: भोपाल में तेज हुई भगवा बनाम भगवा की लड़ाई
भोपाल। भोपाल में भाजपा की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भोपाल चुनाव को धर्मयुद्ध क्या कह दिया, कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने उन्हें उन्हीं की शैली में जवाब देना शुरू कर दिया। ऐसा लगता है कि अब भोपाल का चुनाव भगवा बनाम भगवा की लड़ाई में बदलता जा रहा है। भाजपा तो भगवा रंगों का इस्तेमाल करती ही है, दिग्विजय सिंह भी भगवा का उपयोग करने लगे है। दिग्विजय सिंह मोहल्ले-मोहल्ले जाकर जनसंपर्क कर रहे हैं और उनके माथे पर भगवा गमछा बंधा है। यहां तक कि दिग्विजय सिंह के साथियों के माथे पर भी भगवा गमछे ही नजर आते हैं। कम्प्यूटर बाबा भी दिग्विजय सिंह के साथ है और रूद्राक्ष की माला, भस्म, त्रिशूल आदि लेकर चल रहे हैं। दिग्विजय सिंह का अपना तर्क है कि भगवा कोई भाजपा का रंग नहीं है, न ही भगवा पर भाजपा का कॉपीराइट है। सनातन धर्म को मानने वाले सभी लोग भगवा का सम्मान करते है और वे भगवा धारण करने के अधिकारी भी हैं।
भाजपा ने जहां साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के पक्ष में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो किया, जिसमें प्रज्ञा भी अमित शाह के साथ नजर आई। अमित शाह ने भाजपा को जिताने के लिए पुरजोर अपील की, तो कांग्रेस ने प्रदेश के दो मंत्रियों को दिग्विजय सिंह के जनसंपर्क में मदद के लिए लगा दिया। कांग्रेस के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को पूरी आशा है कि भोपाल का अल्पसंख्यक मतदाता और सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग उनके पक्ष में खड़ा है।
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भोपाल में धर्मयुद्ध तेज
भाजपा की नेता साध्वी प्रज्ञा कई साल जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर हैं। उनका वजन बहुत ज्यादा बढ़ गया है और वे नीचे जमीन पर आलथी-पालथी मारकर नहीं बैठ सकतीं। खराब स्वास्थ्य के कारण ही उनकी जमानत संभव हुई है। यहां तक कि साधु-संतों से मिलने के दौरान भी प्रज्ञा कुर्सी पर ही बैठती हैं। उनके लिए मोहल्ले-मोहल्ले जाकर जनसंपर्क करना इतना आसान नहीं है।
दिग्विजय सिंह ने शायद साध्वी प्रज्ञा की कमजोरी को भांप लिया है। करीब साढ़े छह महीने लगातार नर्मदा की परिक्रमा लगाने वाले दिग्विजय सिंह बीते कई दिनों से भोपाल में गली-गली पैदल घूम रहे हैं। उनके साथ आने वाले कार्यकर्ता भी पैदल ही होते हैं। यह दिग्विजय सिंह की स्टाइल है कि वे अधिकांश कार्यकर्ताओं को नाम लेकर पुकारते हैं, क्योंकि वे भले ही 10 साल भोपाल में नहीं रहे हो, लेकिन उनका जीवंत संपर्क भोपाल में पार्टी कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों से लगातार बना रहा है। यह सब दिग्विजय सिंह के लिए सकारात्मक बातें बताई जा रही है।
दिग्विजय सिंह भी कर रहे भगवा का उपयोग
दिग्विजय सिंह की पद यात्रा का तोड़ साध्वी प्रज्ञा ने मोटर साइकिल पर पीछे बैठकर जनसंपर्क करने के रूप में किया है। उनके साथ जाने वाले कार्यकर्ता जयश्री राम का नारा लगाते हैं। उन्होंने भोपाल संसदीय क्षेत्र के लिए भी अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है। यह संकल्प पत्र दिग्विजय सिंह द्वारा जारी चुनाव घोषणा पत्र की तुलना में कुछ कमतर ही है, क्योंकि साध्वी प्रज्ञा को भोपाल के स्थानीय लोगों की समस्याओं के बारे में उतनी ही जानकारी है, जितनी पार्टी कार्यकर्ताओं ने दी है। उन्होंने कहा है कि वे भोपाल से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें शुरू कराएंगी। भाजपा ने अपने शासनकाल में प्रदेश की राजधानी को बहुत कुछ दिया है। मैं उसमें और विस्तार करवाऊंगी। रेल सुविधाओं में वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का वादा प्रमुख है। साध्वी प्रज्ञा के निशाने पर दिग्विजय सिंह के शासनकाल में सड़क, बिजली और पानी की समस्या पर भी वे ध्यान दिलाती है। प्रज्ञा ने कहा कि वे जैन मुनियों के भ्रमण के दौरान आने वाली समस्याओं से भी निजात दिलवाएंगे।
दिग्विजय सिंह अपने आप को बता रहे पक्का सनातनी
दोनों ही नेता भोपाल के स्थानीय नेता नहीं हैं। शायद इसीलिए दोनों के भाषणों में क्षेत्र की समस्याओं से ज्यादा राष्ट्रीय मुद्दे नजर आते है। भोपाल के मतदाताओं का मानना है कि भोपाल से उस व्यक्ति को जीतने चाहिए, जो भोपाल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से भोपाल के लोगों का भला नहीं होगा और ना ही भोपाल का विकास होगा। साध्वी प्रज्ञा अगर सहानुभूति के रूप में वोट चाहती है, तो यह उनका निजी मामला है, लेकिन अपने बड़बोलेपन से उन्होंने मतदाताओं के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को भी निराश किया। मतदान का दिन करीब आते-आते दोनों ही प्रत्याशियों का जनसंपर्क और घना हो गया है और अब निजी आरोप-प्रत्यारोप भी छिछले स्तर पर लगने लगे हैं। दोनों ही नेताओं के समर्थक प्रतिपक्षी नेता के जीवन की पुरानी फाइलें प्रचारित करने में जुटे हैं। अनेक मुद्दों पर भाजपा आक्रामक मुद्रा में हैं और कांग्रेस रक्षात्मक रूख अपना हुए हैं। शुरू में दिग्विजय सिंह भी आक्रामक हुए थे, लेकिन बाद में पार्टी के सलाहकारों ने उन्हें आक्रामक नहीं होने की नसीहत दी। अब दिग्विजय सिंह अपने आप को पक्का सनातनी बता रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनकी धर्मप्रेमी हिन्दू होने की छवि चुनाव में उनकी रक्षा करेगी।