इंदिरा की तरह मोदी को ले डूबेंगे उनके भक्तः शिवसेना
शिवसेना के मुखपत्र सामना में मोदी समर्थकों को उनकी छवि धूमिल करने वाला बताया गया.
एक वक्त था जब इंदिरा गांधी के नाम के भी नारे लगाए जाते थे.
इंदिरा इज़ इंडिया जैसे नारे लगाकर उनके भक्तों ने देश का अपमान किया था.
इस अपमान से ऐसी चिंगारी पैदा हुई जिसका अंत उनकी हार में हुआ था
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि इंदिरा गांधी की तरह ही प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक उनके पतन का कारण बनेंगे.
हिंदी अख़बार जनसत्ता के अनुसार, बृहनमुंबई महानगर पालिका के कार्यक्रम में मोदी के समर्थन में लगे नारों से चिढ़ी शिवसेना ने संपादकीय में कहा है, "आज ग़ैरज़रूरी तरीक़े से मोदी के समर्थन में नारे लगाने वाले असल में उनकी छवि को धूमिल कर रहे हैं."
इसमें आगे कहा गया है, "एक वक्त था जब इंदिरा गांधी के नाम के भी नारे लगाए जाते थे. इंदिरा इज़ इंडिया जैसे नारे लगाकर उनके भक्तों ने देश का अपमान किया था. इस अपमान से ऐसी चिंगारी पैदा हुई जिसका अंत उनकी हार में हुआ था."
संपादकीय में लिखा गया है कि नरेंद्र मोदी पर गर्व करने और उनके नाम पर उन्माद फैलाने में फ़र्क समझना चाहिए.
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार पुलिसकर्मियों को बीफ़ की पहचान करने वाले पोर्टेबल किट्स मुहैया कराएगी.
अख़बार ने लिखा है कि महाराष्ट्र फ़ॉरेंसिक लैबोरेटरी एक ऐसी किट विकसित करेगी और पुलिस को मुहैया कराएगी जो ये पहचान कर सकती है कि संदेहास्पद मांस बीफ़ है या नहीं.
अलीमुद्दीन की हत्या में नई जानकारी
इंडियन एक्स्प्रेस ने ख़बर दी है कि झारखंड के रामगढ़ में आठ दिन पहले गोरक्षकों द्वारा अलीमुद्दीन अंसारी को पीट पीट कर मार डालने की घटना में एक नई जानकारी सामने आई है.
पुलिस ने जांच में पाया है कि मामले में गिरफ़्तार राजकुमार ने ही अंसारी को रामगढ़ से 15 किलोमीटर दूर स्थित बाज़ार से पीछा करना शुरू किया था और उसी ने गोरक्षकों को उसकी सूचना दी थी.
राजकुमार स्थानीय गोरक्षक दल का नया सदस्य था. उसे गुरुवार को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है.
द स्टेट्समैन की एक ख़बर के अनुसार, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड से जुड़े मु्द्दों पर अंतिम फ़ैसला एक बड़ी पीठ लेगी. ख़बर के मुताबिक अगर ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इसके लिए एक संविधान पीठ की स्थापना कर सकते हैं.
इस समय तीन सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार आईटी सेक्टर में छंटनी और अनिश्चितता के चलते मैट्रिमोनियल वेबसाइट में आईटी इंजीनियरों की डिमांड कम हो गई है.
आईटी इंजीनियरों की मांग कम
अख़बार के अनुसार, पारंपरिक शादियों में आईटी इंजीनियरों के प्रति उत्साह में कमी आई है. अमरीका में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश के कारण भारतीय आईटी कंपनियां अमरीका में ही नियुक्तियां कर रही हैं.
इसके अलावा आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन के कारण आने वाले समय और छंटनी की आशंका भी इस पेशे को अस्थिर बना रहा है.
नवभारत टाइम्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी आईआईटी संस्थानों में 2017 के नतीजों के आधार पर आगे की काउंसिलिंग और प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
आईआईटी जेईई पेपर में ग़लत सवाल परर तमाम स्टूडेंट् को ग्रेस के रूप में 18 नंबर दिए जाने को अदालत में चुनौती दी गई थी.
अदालत के इस फ़ैसले से 36 हज़ार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है, क्योंकि अगर मेरिट लिस्ट फिर से बनने की सूरत में उन्हें फिर से पूरी प्रक्रिया दोहरानी पड़ सकती है.
जीएसटी के मुताबिक एमआरपी
हिंदुस्तान टाइम्स की एक ख़बर के अनुसार, सरकार ने कंपनियों को अपने उत्पादों के लेबल पर जीएसटी के मुताबिक एमआरपी प्रिंट करने को कहा है.
सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कंपनियां ऐसा करने में असफल रहती हैं तो उन पर एक लाख रुपये तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है.
कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 30 सितम्बर तक का मौका दिया गया है.