Video: महिला आईपीएस ने बताया कैसे पुलिस अधिकारी राजनेताओं के दबाव में करते हैं काम
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर महिला आईपीएस अधिकारी आजकल काफी चर्चा में है, उनके वीडियो को बड़ी संख्या में लोग देख चुके हैं। कर्नाटक की आईपीएस अधिकारी दिवाकर रूपा मुडगिल ने पहली बार टेक टॉक में नौकरी के दौरान अपने अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए बताया कि कैसे व्यवस्था में भ्रष्टाचार हावी है और क्यों यह खत्म नहीं हो रहा है। इस दौरान वह बताती हैं कि कैसे तमाम आला पुलिस अधिकारी राजनीतिक दबाव की वजह से अपने फर्ज को पूरा नहीं करते हैं और नेताओं के चलते लोगों की कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
मुंख्यमंत्री के खिलाफ वारंट
अपने 16 मिनट के भाषण में रूपा बताती है कि कैसे पुरुष प्रधान पुलिस सेवा में महिलाओं को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। वह बताती हैं कि जब कोई पुलिस सेवा में आता है तो वह दो बात सोचता है पहला कि कानून क्या मांग करता है और दूसरा उसका राजनीतिक बॉस क्या चाहता है। अपने अनुभव के बारे में वह बताती हैं कि जब 2004 में मेरा चयन हुआ तो मुझे धारवाड़ में पोस्टिंग दी गई, उस वक्त कोर्ट ने तत्कालीन मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था, इसका मतलब था कि मुझे उन्हें गिरफ्तार करना था।
वीआईपी कल्चर के खिलाफ किया काम
भारत में वीआईपी कल्चर का सिस्टम है, इसमे से एक कल्चर यह है कि नेताओं को गनमैन दिया जाता है, इसे स्टेटस सिंबल माना जाता है, जिसके पास जितने गनमैन उसकी उतनी साख मानी जाती थी, जिन लोगों को इसकी जरूरत नहीं थी उन्हें भी गनमैन दिए गए थे। मुझे इसकी जिम्मेदारी दी गई थी कि इसका खयाल रखा जाए। जब मैंने आंकड़ों को देखा तो 82 नेताओं को 216 गनमैन दिए गए थे, लेकिन वह उसके अधिकारी नहीं थे। मैंने धीरे-धीरे उन्हे वापस बुलाना शुरू कर दिया, जिसके बाद मेरे वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे मेरे सहयोगियों के सामने फटकार लगाई, लेकिन इसके बाद भी मैंने अपना काम जारी रखा और सारे गनमैन वापस बुला लिए जिन्हे बिना वजह नेताओं के साथ तैनात किया गया था।
खुलकर किया था विरोध
कुछ दिन पहले मैं बेंगलुरू की जेल में डीआईजी के तौर पर तैनात थी, जहां एक कैदी को कुछ अधिक ही सहूलियत दी गई थी, वह काफी ताकतवर नेता थी, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कालाधन रखने के मामले में जेल की सजा सुनाई थी। जेल के भीतर उन्हें दी जा रही सुविधाओं के खिलाफ मैंने अपनी आवाज उठायी, जोकि मेरी जिम्मेदारी थी, मैंने इसकी रिपोर्ट पेश की, लेकिन मुझे मानहानि का नोटिस मिला। इसी तरह कई मामलों का जिक्र करते हुए रूपा ने बताया कि कैसे राजनेता अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं और पुलिस अधिकारी व्यक्तिगत लाभ के लिए उनके सामने झुक जाते हैं।
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