कैसे बिना मास्क और सैनिटाइजर के भी अब तक कोरोना से बचा है लक्षद्वीप
नई दिल्ली- भारत समेत पूरी दुनिया भले ही कोरोना वायरस की चपेट में हो, लेकिन भारत का एक छोटा सा संघ शासित प्रदेश लक्षद्वीप में आजतक जिंदगी पूरी तरह से सामान्य है। न किसी को कोरोना हुआ है और ना ही किसी तरह की पाबंदी की जरूरत पड़ी है। वहां के लोगों को न तो मास्क लगाने की आवश्यकता है और ना ही सैनिटाइजर की। कोविड-19 से जुड़ी ज्यादातर प्रतिबंधों को वहां पर लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। आम जनजीवन पहले की तरह सामान्य है। लोग मजे से शादियों में शामिल हो रहे हैं और लोगों की भीड़ जहां जुटनी है, वहां बेरोक-टोक जुट रही है। ऐसा नहीं है कि जब चीन के वुहान से निकला एक वायरस समूचे विश्व को अपनी गिरफ्त में ले सकता है तो वह लक्षद्वीप जैसे सुंदर भारतीय द्वीप पर नहीं पहुंच सकता। लेकिन, यहां शुरू से कुछ ऐसी एहतियाती सावधानियां बरती गईं है, जिसके चलते इस द्वीप पर आज यानि 10 दिसंबर, 2020 तक कोविड-19 का एक भी केस नहीं आया है।
लक्षद्वीप में आजतक नहीं हुआ कोई कोरोना से संक्रमित
36 वर्ग किलोमीटर में फैले लक्षद्वीप पर कोरोना वायरस के नहीं पहुंचने की सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां आने-जाने के लिए कुछ सख्त नियमों का पालन किया जा रहा है। लक्षद्वीप के लोकसभा सांसद पीपी मोहम्मद फैजल कहते हैं, 'लक्षद्वीप से आजतक कोरोना वायरस का एक भी केस का पता नही चला है, क्योंकि यहां हमने कुछ बेहतरीन एहतियाती उपाय अपनाए हैं।' ऐसा इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि चाहे सामान्य आदमी हो या फिर अधिकारी या जनप्रतिनिधि- सबको कुछ सख्त नियमों का पालन करना पड़ा है। अभी देश की मुख्य भूमि से लक्षद्वीप पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर से या फिर जहाज से सिर्फ एक ही एंट्री प्वाइंट है- केरल का कोच्चि। सिर्फ उसी को लक्षद्वीप आने की इजाजत मिलती है, जिसने कोच्चि में अनिवार्य रूप से सात दिन का क्वारंटीन पूरा किया हो और जिसका कोविड रिपोर्ट निगेटिव हो।
बिना मास्क लगाए घूमने की आजादी
लक्षद्वीप आज भी देश का ऐसा हिस्सा है, जहां स्कूल भी खुले हुए हैं और क्लास भी चल रहे हैं। लक्षद्वीप से दो बार के सांसद फैजल कहते हैं- '21 सितंबर के बाद से प्रधानमंत्री ने स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी है..........यहां सब कुछ सामान्य है। सभी तरह के कार्यक्रम जैसे कि धार्मिक और विवाह वगैरह पहले की तरह हो रहे हैं। यहां सबकुछ आम दिनों की तरह हो रहा है।' यहां के लोगों पर कोविड-19 की पाबंदियां नहीं लगाई गई हैं- 'कोई मास्क नहीं, कोई सैनिटाइजर नहीं, क्योंकि यह ग्रीन एरिया है।' देश का सबसे छोटा संघ शासित प्रदेश लक्षद्वीप 36 द्वीपों का एक समूह है। ये सभी द्वीप केरल के समुद्री शहर कोच्चि से 220 से लेकर 440 किलोमीटर दूर तक फैले हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 64,000 थी।
कोई भी हो ये नियम सबके लिए सख्त हैं
स्थानीय सांसद फैजल के मुताबिक इस साल जनवरी में जैसे ही देश के पहले केस का केरल में पता चला, स्थानीय प्रशासन तत्काल अलर्ट हो गया। पहली चिंता यह थी कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों पर्यटकों का आने से कैसे रोका जाए। मार्च में ही सैलानियों का लक्षद्वीप आना बंद कर दिया गया। इसके बाद प्रशासन ने सभी द्वीपों पर एंट्री के लिए परमिट देना बंद कर दिया। कोच्चि से सिर्फ राजधानी कवरत्ती जाने के लिए ही मंजूरी दी जाने लगी। इस एंट्री परमिट से द्वीप के बाहर के लोगों का आना काफी नियंत्रित हो गया। लक्षद्वीप के जो लोग देश के दूसरे हिस्से या विदेशों से आने लगे उनके लिए भी पूरी व्यवस्था तय कर दी गई। पहले तो उन्हें अनिवार्य रूप से कोच्चि में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन होना पड़ा और फिर जब लक्षद्वीप में अपने द्वीपों पर पहुंचते तो वहां भी सात दिनों के लिए क्वारंटीन रहने की व्यवस्था अपनाई गई है। जबकि, कोच्चि से रवाना होने से पहले उनके कोविड टेस्ट की भी व्यवस्था है और निगेटिव रहने पर ही आगे जाने की अनुमति दी जाती है। क्वारंटीन की गाइडलाइंस को पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सख्ती से पूरा करता है।
सांसद को भी मानने पड़े सारे नियम
फैजल का कहना है कि उन्हें इस दौरान तीन बार दिल्ली जाना पड़ा, लेकिन हर बार उन्होंने द्वीप पर वापसी में तय नियमों का पालन किया है, जिसके तहत कोच्चि में सात दिन क्वारंटीन रहना शामिल है। उन्होंने कहा- 'टेस्ट में निगेटिव आने के बाद मैं लक्षद्वीप लौटा जहां मुझे एक और हफ्ते अपने घर में क्वारंटीन रहना पड़ा।' ये एक बार मानसून सत्र के लिए और दो बार सरकारी बैठकों के लिए दिल्ली गए थे। इनके मुताबिक कोच्चि में क्वारंटीन रहने के दौरान कई कोरोना वायरस के मामले सामने आए। ऐसे लोगों को 10 दिन कोच्चि में स्पेशल फैसिलिटी में रखा जाता है और जब वह निगेटिव हो जाते हैं तो और 14 दिन सरकारी फैसिलिटी में रहने के बाद एक और टेस्ट कराकर ही द्वीप की ओर जाने की इजाजत दी जाती है।
लक्षद्वीप के दिवंगत प्रशासक का बहुत बड़ा योगदान
लक्षद्वीप के सांसद के मुताबिक इसे कोरोना मुक्त रखने में यहां के दिवंगत प्रशासक दिनेश्वर शर्मा की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा है, 'हमारे द्वीप को हर मुमकिन तरीके से ग्रीन बनाए रखने के लिए वह बहुत ही सजग थे। उन्होंने इसके लिए बहुत आगे बढ़कर काम किया और वह बहुत ही अच्छे इंसान भी थे।' गौरतलब है कि शर्मा का निधन पिछले 4 दिसंबर को फेफड़े की गंभीर बीमारी की वजह से हो गई थी।
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