भारत में सबसे पहले इस 20 साल की लड़की को हुआ कोरोना वायरस, पूरी तरह ठीक होने के बाद सुनाई 39 दिनों की आपबीती
तिरुवनंतपुरम। चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब दुनिया के 80 से भी अधिक देशों तक पहुंच गया है। जिससे अब तक तीन हजार से भी अधिक लोगों की मौत हो गई है और 94 हजार से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं। भारत में भी वायरस के 29 मामलों की पुष्टि हो गई है। यहां अलग-अलग राज्यों में सैकड़ों लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। देश में कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला केरल राज्य से सामने आया था।
39 दिनों तक वार्ड में रखा
यहां की रहने वाली एक 20 साल की लड़की चीन के वुहान शहर में पढ़ाई करती है। जब वह भारत लौटी तो उसकी जांच में वायरस के संक्रमण पाए गए। जिसके बाद उसे करीब 39 दिनों तक वार्ड में रखा गया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। अस्पताल से लौटने के बाद इस लड़की ने बताया है कि उसके जीवन के ये 39 दिन कैसे बीते।
टेस्ट 30 जनवरी को पॉजिटिव पाया गया
छात्रा ने बताया, 'मेरा टेस्ट 30 जनवरी को पॉजिटिव पाया गया। जिसके बाद मैंने अपने उन सभी दोस्तों को फोन करके जांच कराने को कहा जो मेरे साथ यात्रा करके आए थे। जो डॉक्टर और अधिकारी मेरे पास आए, उन्होंने मुझसे सभी तरह की जानकारी ली। जैसे मैं किस सीट पर बैठ थी, कौन लोग मेरे साथ थे। अलगाव में रहना काफी मुश्किल है लेकिन डॉक्टर मेरी लगातार जांच कर रहे थे और मेरी मानसिक स्थिति का भी ध्यान रख रहे थे।' छात्रा ने कहा कि वो वायरस से लड़ने के लिए खुद को मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार कर चुकी थी।
काउंसलिंग टीम का शुक्रिया किया
छात्रा ने डॉक्टरों और काउंसलिंग टीम का शुक्रिया करते हुए आगे बताया, 'मैंने ये बात सुनी थी कि चीन में लोग बीमारी से ठीक हुए हैं और मुझे पता था कि मैं शारीरिक तौर पर मजबूत हूं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने मेरी मां से फोन पर बात की और उन्हें आश्वस्त किया। आइसोलेशन वार्ड में इतने लंबे समय तक रहना आसान नहीं था, साथ ही घर आने के बाद भी वो सब भूल पाना आसान नहीं है। वहां मुझे लगातार काउंसलर फोन करके मुझसे बात करते थे, वो मानसिक तौर पर मेरा ख्याल रख रहे थे, जिससे मुझे काफी मदद मिली।'
17 जनवरी से मास्क पहनना शुरू किया
जानकारी के लिए बता दें वुहान यूनिवर्सिटी को 13 जनवरी को ही बंद कर दिया गया था और सभी छात्रों को छुट्टी भी दे दी गई। इस बारे में छात्रा ने बताया, 'वहां सड़कों पर सब सामान्य था और लोगों ने 17 जनवरी से मास्क पहनना शुरू किया। लेकिन फिर एकदम से हालात खराब हो गए। हमारी छुट्टियां चार हफ्ते की थीं और जून से शुरू होने वाली थीं। मैंने भी तभी घर आने का सोचा था लेकिन जब हालात ज्यादा खराब होने लगे तो मुझे 23 जनवरी का टिकट बुक करना पड़ा। चूंकि वायरस के कारण रूट्स में बदलाव किया गया था, तो हमें कनिंग से कोलकाता आना पड़ा। हमारे सीनियर्स ने ये बात 22 जनवरी को बताई कि सभी हवाई अड्डों को बंद कर दिया गया है। जिसके चलते हमने कनिंग से फ्लाइट ली और फिर अधिक देर ना हो तो ट्रेन से सफर किया।'
हमें अधिकारी फोन कर रहे थे
उसने आगे कहा, 'चीन में हर जगह जांच हो रही थी, जब हम यूनिवर्सिटी से निकल रहे थे, तो हमारे शरीर के तापमान की भी जांच की गई। इसके अलावा एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर भी जांच की गई। भारतीय दूतावास ने हमें फोन करके कहा कि भारत लौटते ही हमें नजदीकी स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में रहना है। मैंने 25 जनवरी को लौटने के बाद ऐसा ही किया। हमें अधिकारी फोन कर रहे थे और सब ठीक लग रहा था।
27 जनवरी से अचानक खराश महसूस हुई
छात्रा ने बताया कि उसे 27 जनवरी से अचानक खराश महसूस हुई। उसने कहा, 'खराश महसूस होने के बाद मैंने तुरंत अधिकारी को फोन किया। उन्होंने एंबुलेंस भिजवाकर मुझे अस्पताल में भर्ती किया। मेरे साथ मेरी मां भी थी। फिर मेरे सैंपल लिए गए, जब मैं आइसोलेशन रूम में भर्ती थी कि तो चार अन्य लोगों के भी सैंपल लिए गए। उनके सैंपल नेगेटिव आए। मुझे फिर 30 जनवरी को थोड़ा संदेह हुआ। उसी दिन मुझे पता चला कि मेरा टेस्ट पॉजिटिव है। मुझसे डॉक्टरों और नर्सेज की टीम मिली। उन्होंने मुझसे हर एक चीज के बारे में पूछा।'
क्लास में 45 छात्र भारतीय
छात्रा का कहना है कि अच्छे से इलाज किए जाने के कारण वो अब पूरी तरह स्वस्थ है। लेकिन फिलहाल उसे नहीं पता कि वो कब अपनी यूनिवर्सिटी वापस लौट पाएगी। उसका कहना है, 'मेरी क्लास में 65 छात्र हैं, जिनमें से 45 भारतीय हैं। अब हम सभी ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। जब आधिकारिक तौर पर घोषणा होगी तभी हम वहां जाएंगे।'
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