सिंधिया ने दिया इस्तीफा, पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर कांग्रेस ने किया निष्कासित
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) से नाराज चल रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आखिरकार पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा, जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्कासित किया गया है।
मोदी-शाह से मुलाकात के बाद सौंपा इस्तीफा
मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठा-पटक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। सिंधिया ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया है। वहीं प्रदेश सरकार में कांग्रेस के कई मंत्रियों सहित 12 से अधिक विधायकों के बेंगलुरु जाने की खबर है। ऐसा माना जा रहा है कि ये विधायक इस्तीफा दे सकते हैं, जिससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जायेगी।
पार्टी में अनदेखी से क्षुब्ध थे ज्योतिरादित्य सिंधिया
ऐसे समय में राजनीतिक उठा पटक उत्पन्न हुई है जब प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। सिंधिया समर्थक विधायकों का कहना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपनी अनदेखी से क्षुब्ध हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा इस मामले में संसदीय दल की बैठक बुला सकती है।
कांग्रेस नेताओं ने बताया 'गद्दार'
सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेताओं ने उन्हें 'गद्दार' बताना शुरू कर दिया। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्कासित किया गया है। वहीं, कांग्रेस के नेशनल कोआर्डिनेटर डिजिटल कम्यूनिकेशन गौरव पांधी ने ट्वीट किया, 'गद्दार , गद्दार ही रहेगा और कोई भी तर्क विश्वासघात को सही नहीं ठहरा सकता है। समय!'
क्या बोले कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी?
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा, 'एक इतिहास बना था 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मौत से, फिर एक इतिहास बना था 1967 में संविद सरकार से और आज फिर एक इतिहास बन रहा है... - तीनों में यह कहा गया है कि हां हम है...' सुमित कश्यप ने लिखा है- 'माफ करें लेकिन इस बार गलती हमारी थी. हम एक साधारण समस्या हल नहीं कर सके. हम 3 नेताओं के अहंकार को रोक नहीं कर सके. कोई समाधान भी नहीं किया गया था. कुछ ऐलान हीं किया गया. कितनी देर तक हम सोचते रहेंगे कि समय के साथ समस्या खत्म हो जाएगी. कर्नाटक और एमपी, हम हार गए, बीजेपी नहीं जीती.'
सिंधिया के इस्तीफे के साथ ही कमलनाथ सरकार पर संकट गहराया