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सुप्रीम फैसले के बाद बड़ा सवाल? क्या वाजपेयी की तरह फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे देंगे येदुरप्पा

By स्टाफ
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नई दिल्ली। साल 1996 की गर्मियों में देशभर में हुए आम चुनावों में राम लहर के बीच भाजपा सबसे बड़ी पार्टी उभरकर सामने आई थी। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व और लाल कृष्‍ण आडवाणी के मार्गदर्शन में 161 सीट जीतने वाली भाजपा ने पंरपरा के अनुसार सबसे बड़ा दल होने के नाते सरकार बनाने का भी दावा कर दिया। वाजपेयी ने उस समय के राष्ट्रपति रहे शंकर दयाल शर्मा से सरकार बनाने का दावा किया जिसे उन्होंने मान लिया। हालांकि वाजपेयी को पता था कि बहुमत के लिए बाकी वोटों का इंतजाम करना इतना आसान नहीं है, लेकिन उन्हें उम्‍मीद थी कि सरकार बनाने के बाद बाकी दल आगे आएंगे और उन्हें समर्थन देकर पहली बार केंद्र में भाजपा की सरकर बनाने में सहयोग करेंगे।

karnataka floor test bs yedurappa atal bihari vajpayee साल 1996

राष्ट्रपति ने वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी और बहुमत साबित करने के लिए 14 दिनों का समय भी दे दिया, लेकिन वाजपेयी की वो आस अधूरी ही रह गई और अकाली दल और शिवसेना जैसे कुछेक दलों को छोड़कर तमाम हाथ पैर मारने के बाद भी कोई उनके सहयोग के लिए तैयार नहीं हुआ। नतीजतन बहुमत साबित करने से एक दिन पहले ही वाजपेयी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

सिद्धांतों के पक्के वाजपेयी सरकार तो ना बचा सके लेकिन उनकी इस बात के लिए तारीफ हुई कि उन्होंने सरकार बचाने के लिए अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया, कुछ वैसे जैसे झामुमो रिश्वत कांड में कांग्रेस के राज में पूरा देश देख चुका था।

परिस्थितियां एक बार फिर कुछ वैसी ही हैं जैसी 22 साल पहले थी। बस मामला केंद्र की बजाय कर्नाटक का है, यहां भी मुकाबला भाजपा बनाम विपक्ष ही है। विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 104 सीट पाने वाली भाजपा के मुख्यमंत्री येदुरप्पा पद की शपथ ले चुके हैं लेकिन उनके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है।

राज्य के राजनीतिक दलों और राज्यपाल के बीच मची इस नूराकुश्ती में अब सुप्रीम कोर्ट भी दखल दे चुका है। जिसके बाद खेल के नियमों में भी कुछ बदलाव आ गया है। राज्यपाल के निर्णय के अनुसार मुख्यमंत्री येदुरप्पा को जहां पहले 14 दिन में अपना बहुमत साबित करना था वहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यह मियाद दो दिनों की रह गई है, जिसके अनुसार येदुरप्पा को सरकार बचाने के लिए शनिवार शाम चार बजे तक फ्लोर टेस्ट पास करना जरूरी होगा। लेकिन ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या इतने कम समय में येदुरप्पा बहुमत साबित कर पाएंगे?

ये सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस परीक्षा में उनकी सरकार के साथ-साथ उनकी पार्टी भाजपा की साख भी दांव पर लगी है। अगर वह फ्लोर टेस्ट में फेल होते हैं तो उनके साथ साथ भाजपा को भी अच्छी खासी किरकिरी का सामना करना पड़ेगा, ऐसे में इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि येदुरप्पा फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दें। क्योंकि अब सारा मामला राज्यपाल से निकलकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चला गया है और ज्यादा जोड़तोड़ करने पर भी कोर्ट के डंडे का भी डर है।

येदुरप्पा के लिए मुश्किलें इस‌लिए भी बड़ी हैं कि कांग्रेस भी इस मुद्दे पर खासी मुखर है और किसी हाल में इसे आसानी से छोड़ने के मूड़ में नहीं है, पार्टी ने इसे पूरी तरह जीवन मरण का प्रश्न बना लिया है। हालांकि इससे पहले नवंबर 2007 में भी येदुरप्पा इसी तरह फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे चुके हैं। तब भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और जदएस के सा‌थ मिलकर सरकार बनाना चाहती थी, इसी कड़ी में येदुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी, लेकिन ऐन समय पर कुमारस्वामी की पलटी ने उनका सारा खेल बिगाड़ दिया था, नतीजतन सात दिन बाद ही येदुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक में इतिहास एक बार फिर खुद को दोहरा रहा है?

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English summary
karnataka floor test bs yedurappa atal bihari vajpayee
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