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चावल मिल से कर्नाटक की सत्ता तक, दिलचस्प रहा है येदियुरप्पा का सियासी सफर

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बेंगलुरु। कर्नाटक में आज एक बार फिर से भाजपा सरकार की वापसी हुई है, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने आज चौथी बार सीएम पद की शपथ ग्रहण की है। बीएस येदियुरप्पा को राज्यपाल वजुभाई वाला ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई, इससे पूर्व उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

कर्नाटक के सीएम येदियुरप्पा का अब तक का सियासी सफर काफी संघर्षों से भरा रहा है, चलिए विस्तार से जानते हैं उनके बारे में....

चावल मिल के क्लर्क थे बीएस येदियुरप्पा

चावल मिल के क्लर्क थे बीएस येदियुरप्पा

चावल मिल के क्लर्क और एक किसान नेता से आगे बढ़कर दक्षिण में पहली बार भाजपा की सरकार के रूप में कमल खिलाने वाले बीएस येदियुरप्पा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, उनका जन्म 27 फरवरी 1943 को राज्य के मांड्या जिले के बुकानाकेरे में सिद्धलिंगप्पा और पुत्तथयम्मा के घर हुआ था। वो 4 साल के ही थे जब उनकी मां का देहांत हो गया। मां के जाने के बाद पिता ने ही उनकी जिम्मेदारी संभाली। पढ़ाई के साथ-साथ वो किसान के तौर पर खेतों के काम करते थे। फिर बीए पास करने के बाद उन्होंने चावल मिल के क्लर्क की नौकरी की, लेकिन वहां मन नहीं लगा तो नौकरी छोड़कर हार्डवेयर की दुकान खोल ली, इसी दौरान वो संघ के करीब आएं और उन्होंने संघ ज्वाइन कर लिया।

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येदियुरप्पा साल 1983 में पहली बार विधायक बने...

येदियुरप्पा साल 1983 में पहली बार विधायक बने...

साल 1972 में उन्हें शिकारीपुरा तालुका जनसंघ का अध्यक्ष चुना गया और इस तरह उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया, जहां से फिर येदियुरप्पा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1977 में जनता पार्टी के सचिव पद पर काबिज होने के साथ ही राजनीति में उनका कद और बढ़ गया। 1975 में इमरजेंसी के दौरान उन्हें 45 दिनों के लिए जेल भी जाना पड़ा। लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले येदियुरप्पा साल 1983 में पहली बार विधायक बने। उन्होंने शिकारीपुरा विधानसभा सीट से पहली बार जीत हासिल की और वो वहां से लगातार 7 बार जीतते आए हैं । पार्टी में 1988 में उन्हें कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया और तब से लेकर अब तक वो तीसरी बार पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। 1994 के विधानसभा चुनाव के बाद वे विपक्षी दल के नेता बने। साल 2008 में बीजेपी ने येदियुरप्पा के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को बड़ी जीत दिलाई।

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लिंगायत समुदाय

लिंगायत समुदाय

लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले येदियुरप्पा ने साल 2008 के विधानसभा चुनाव में 'ऑपरेशन लोटस' के जरिए कर्नाटक में सत्ता हासिल की थी। 110 सीटें जीतकर वो किंग बन गए थे, यहां आपको बता दें कि हमेशा सफेद सफारी सूट में नजर आने वाले येदियुरप्पा नवम्बर 2007 में जनता दल (एस) के साथ गठबंधन सरकार गिरने से पहले भी कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री रहे थे, येदियुरप्पा ने गठबंधन सरकार गिरने पर इसे जनता दल (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी द्वारा किया गया 'विश्वासघात' करार दिया था।

 25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था येदुरप्पा को

25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था येदुरप्पा को

लेकिन 2011 में बीएस येदुरप्पा पर रिश्वरखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लोकयुक्त ने उन पर 40 करोड़ की रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाया था। न केवल येदियुरप्पा बल्कि उनके बेटे और दामाद पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें अवैध खनन के मामले में दोषी पाया और कहा कि उनकी वजह से सरकारी ख़ज़ाने को 16 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का नुक़सान हुआ। इन आरोपों की वजह से उन्हें अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ी थी और साल 2012 में उन्होंने बीजेपी और विधानसभा सदस्य से अपना इस्तीफा सौंप दिया।

सीबीआई की विशेष अदालत ने बरी किया

इन आरोपों के चलते उन्हें 25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था हालांकि 2016 में उन्होंने सीबीआई की विशेष अदालत ने इन आरोपों से बरी कर दिया। भ्रष्ट्राचार के आरोपों से मुक्त होने के बाद येदियुरप्पा की बीजेपी में वापसी हुई और उन्हें 2016 में भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया।

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 सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे येदुरप्पा

सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे येदुरप्पा

भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीद्वार घोषित करके कर्नाटक विधानसभा चुनाव, 2018 लड़ा और पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए राज्य में 104 सीटें भी जीती लेकिन वो बहुमत से मात्र 8 सीटें पीछे रह गई, राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया और येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन वो सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए और उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और इसके बाद कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार बन गई।

वक्त ने ली फिर से करवट

वक्त ने ली फिर से करवट

लेकिन वक्त ने एक बार फिर से करवट ली और बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से 23 जुलाई को विधानसभा में हुए शक्ति-परीक्षण में कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ गई थी। कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 99 और विरोध में 105 मत पड़े थे। इस तरह कुमारस्वामी सरकार के विश्वासमत हारने के बाद तीन सप्ताह से चले आ रहे सियासी नाटक का पटाक्षेप हो गया था। सीएम कुमारस्वामी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसके बाद राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनसे अगली सरकार के गठन तक मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाले रहने को कहा, जिसके बाद भाजपा एक्टिव हुई और उसने सरकार बनाने का दावा पेश किया है।

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English summary
B S Yediyurappa takes oath as Karnataka CM, Read Profile in HINDI, its really interesting his journey.
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