क्यों ज्योतिरादित्य सिांधिया को भुलाए नहीं भुलती है 30 सितंबर 2001, जानिए क्या हुआ था उस दिन
नई दिल्ली। काफी अटकलों और अफवाहों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस के कद्दावर युवा नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आ गए है। बुधवार को उन्होंने आधिकारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ले ली। ज्योतिरादित्य साल 2001 में राजनीति से जुड़े और 18 बरसों से कांग्रेस के फायरब्रांड नेता के तौर पर आगे बढ़ते गए। ज्योतिरादित्य ने सदस्यता ग्रहण करने के बाद मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी में दो तारीखें काफी महत्वपूर्ण हैं। इन दो तारीखों से एक तारीख वह है जब उन्होंने अपने पिता को असमय ही खो दिया था।
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उत्तर प्रदेश के दौरे पर थे सीनियर सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को मीडिया से कहा, 'मेरी जिंदगी में दो तारीखें बहुत महत्वपूर्ण हैं- 30 सितंबर 2001 जब मैंने अपने पिता को खो दिया था। यह मेरे लिए एक जिंदगी बदलने वाला पल था। दूसरी तारीख है 10 मार्च 2020, मेरे पिता की 75वीं वर्षगांठ। इस दिन मैंने एक नया निर्णय लिया।' 30 सितंबर 2001 को ज्योतिरादित्य के पिता जो कि खुद कांग्रेस के एक कद्दावर नेता थे, उत्तर प्रदेश के दौरे पर थे। उनका प्लेन मैनपुरी जिले के बाहरी इलाके में था कि तभी इसके क्रैश होने की खबरें आई। इस हादसे में सिर्फ 56 वर्ष की आयु में सिंधिया का असमय निधन हो गया था।
आठ लोगों की हो गई थी मौत
सिंधिया जिस प्लेन मे थे वह एक प्राइवेट जेट ब्रीचक्राफ्ट किंग एयर सी90 था। सिंधिया सीनियर के साथ इस हादसे में उनके पर्सनल सेक्रेटरी रूपिंदर सिंह, इंडियन एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट संजीव सिन्हा, हिन्दुस्तान टाइम्स की अंजू शर्मा, गोपाल बिष्ट और रंजन झा के अलावा पायलट गौतम रे और को-पायलट रितु मलिक का भी निधन हो गया था। इस हादसे में कुल आठ लोग मारे गए थे। हादसे के बाद आटोप्सी और दूसरी कानूनी प्रक्रियाओं को एम्स में पूरा किया गया था।
सिर्फ 26 साल की उम्र में बने माधवराव सांसद
सीनियर सिंधिया यानी माधवराव ने साल 1971 में सिर्फ 26 वर्ष की आयु में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह उनकी राजनीतिक पारी का आगाज था और वह जनसंघ के टिकट पर संसद में पहुंचे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उनके पिता ने देश और राज्य की पूरी सेवा करने की पूरी कोशिश। ज्योतिरादित्य के मुताबिक आज जिस तरह के हालात बना दिए गए हैं, उनकी वजह से देश सेवा का लक्ष्य जो उन्होंने तय किया था, उसमें वह पूरी तरह से असमर्थ साबित हो रहे थे।
दादी से लेकर बुआ सब बीजेपी में
बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मीडिया को बताया कि वह जिस जनसेवा की भावना को लेकर राजनीति में आए और कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे वह अब पूरी नहीं हो पा रही थी। सिंधिया के शब्दों में कांग्रेस पार्टी अब वह पार्टी नहीं रह गई है जो कभी हुआ करती थी। ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयराजे सिंधिया बीजेपी की वरिष्ठ नेता थीं और उनकी दोनो बुआ, वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे भी राजस्थान और मध्य प्रदेश बीजेपी की सीनियर लीडर्स में से हैं। वसुंधरा तो राजस्थान की कई दफा सीएम भी रह चुकी हैं।