अनंतनाग मुठभेड़ में मारा गया जर्नलिस्ट शुजात बुखारी की हत्या करने वाला आतंकी, शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने ढेर किए छह आतंकी
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में शुक्रवार को हुई मुठभेड़ में छह आतंकवादी ढेर हुए हैं। अनंतनाग के बिजबेहरा में हुई इस मुठभेड़ में सेना और सुरक्षाबलों ने जिन आतंकियों को मार गिराया है, बताया जा रहा है उनमें एक आतंकी जर्नलिस्ट शुजात बुखारी की हत्या में शामिल था। जून में आतंकियों ने राइजिंग कश्मीर के एडीटर शुजात बुखारी की उनके ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी। सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया की ओर से बताया गया है कि मारे गए आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं।
पाकिस्तान में रची गई थी साजिश
न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक शुजात बुखारी की हत्या में शामिल आतंकी आजाद मलिक मुठभेड़ में मारे गए छह आतंकियों में शमिल है। ऑपरेशन अभी तक जारी है। सेना को सेकीपोरा गांव में आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी। सेना की तरफ से तड़के कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन चलाया गया तो आतंकियों की तरफ से फायरिंग हुई और फिर एनकाउंटर शुरू हो गया। जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से कहा गया था कि सीनियर जर्नलिस्ट और राइजिंग कश्मीर के एडीटर शुजात बुखारी की हत्या की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। साजिश को घाटी में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अंजाम दिया।
बुखारी को मारी गई थीं 17 गोलियां
14 जून को श्रीनगर के लाल चौक पर आतंकियों ने उस समय बुखारी को गोली मार दी थी जब वह इफ्तार की पार्टी में शामिल होने के लिए जा रहे थे। उनकी हत्या ईद से ठीक एक दिन पहले की गई थी।आतंकी बाइक पर आए थे और उन्होंने बुखारी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। बुखारी पर काफी करीब से 17 गोलियां मारी गई थीं। उनके दोनों सिक्योरिटी गार्ड्स की भी इसमें मौत हो गई थी।मामले की जांच से सामने आया था कि इस हत्या को तीन स्थानीय आतंकियों और एक पाकिस्तानी आतंकी ने अंजाम दिया था।
कौन थे बुखारी
बुखारी ने एतेनियो दी मनीला यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में मास्टर्स किया था। इसके बाद वह एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्म के साथ बतौर फेलो जुड़े और फिर उन्हें वर्ल्ड प्रेस इंस्टीट्यूट की फेलोशिप हासिल हुई। इन सबके अलावा वह हवाई स्थित ईस्ट-वेस्ट सेंटर में भी फेलो रह चुके थे। 10 मार्च 2008 को बुखारी ने राइजिंग कश्मीर की शुरुआत की थी। देखते ही देखते इंग्लिश का यह न्यूज पेपर कश्मीर का नंबर दो सबसे ज्यादा पढ़ा जाना वाला न्यूज पेपर बन गया था। उन्होंने बतौर जर्नलिस्ट अपना करियर द हिंदू से शुरू किया था। वह द हिंदू के लिए जम्मू कश्मीर से रिपोर्टिंग करते थे।