Jharkhand MLA Cash कांड की सच्चाई क्या है, बीजेपी या कांग्रेस कौन झूठ बोल रही है ? पूरा मामला जानिए
नई दिल्ली, 2 अगस्त: झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायकों के पास से कोलकाता में मिले कैश को लेकर काफी आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं। कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा का आरोप है कि यह रकम हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने के लिए थी। जबकि, कांग्रेस के जिस विधायक ने ऐसी शिकायत पुलिस के सामने दर्ज कराई है, उनकी कई तस्वीरें सामने आ गई हैं, जब वह खुद ही दिल्ली में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बैठे हुए हैं। मामले में अबतक क्या झोल नजर आ रहा है, आइए देखते हैं।
आरोप लगाने वाले कांग्रेस विधायक ही आरोपों से घिर गए
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार गिराने की साजिश और उसमें बंगाल से भारी मात्रा में कैश के साथ पकड़े गए तीन कांग्रेसी विधायकों का मामला उतना सामान्य नहीं लग रहा है, जितना बीते दिनों से बताने की कोशिश की जा रही है। असम में मंत्री और भाजपा के नेता पिजुष हजारिका ने कई तस्वीरों के साथ एक ट्वीट करके बड़ा दावा किया है। उन्होंने झारखंड में हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने वाले कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल के खिलाफ ही गंभीर आरोप लगा दिए हैं। उन्होंने कुछ तस्वीरों के साथ कई ट्वीट किए हैं और दावा किया है कि 'झारखंड के कांग्रेस एमएलए कुमार जयमंगल ने फर्जी आरोप लगाए हैं कि गिरफ्तार किए गए 3 एमएलए ने उन्हें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से मिलने का लालच दिया था।'
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विधायक जयमंगल का आरोप फर्जी- असम के मंत्री
हजारिका ने एक और ट्वीट में लिखा है, 'मनगढ़ंत एफआईआर दर्ज करवाने से 5 दिन पहले, मुख्यमंत्री सरमा उन्हें 26 जुलाई को ट्रेड यूनियन से संबंधित मामले में मदद करने के लिए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के आवास पर लेकर गए थे।' एक और ट्वीट में हजारिका ने दावा किया है कि 'जयमंगल सिंह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से लगातार मिलते रहते थे। उन्हें असम के मुख्यमंत्री और उन आदिवासी विधायकों के खिलाफ फर्जी आरोप लगाने के लिए कानून का सामना करना चाहिए।'
झारखंड में फर्जी एफआईआर हुई है- असम के मुख्यमंत्री
असम के कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता पिजुष हजारिका के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए असम के सीएम सरमा ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। असम के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा है, 'झारखंड में फर्जी एफआईआर हुई है। तथाकथित एफआईआर ऐसा ही है, जैसे कांग्रेस ओटावियो क्वात्रोक्की से कह रही हो कि बोफोर्स के खिलाफ मुकदमा करो।' उधर बीजपी विधायक सुशील सिंह ने वाराणसी में कहा, 'वह (झारखंड के कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल) अपने राज्य से संबंधित मुद्दे पर बात करने के लिए खुद ही केंद्रीय मंत्री से मिलने दिल्ली गए थे। एमएलए उन्हें (मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा) जानते थे।'
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प्रह्लाद जोशी से मुलाकात के बारे में जानते थे सोरेन- कांग्रेस विधायक
अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई में कांग्रेस एमएलए कुमार जयमंगल का कहना है, 'पिजुष हजारिका का ट्वीट डिलीट कर दिया गया, अगर वह सही था तो फिर डिलीट क्यों किया? मैं 25-26 जुलाई को प्रह्लाद जोशी के दिल्ली स्थित घर पर था। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा मुझे वहां लेकर गए थे। हमने कोयला के मुद्दे पर चर्चा की थी। झारखंड के सीएम इसके बारे में जानते थे।'
16 लाख रुपया कोई बड़ी रकम नहीं है-गिरफ्तार विधायक के पिता
उधर कैश कांड में गिरफ्तार झारखंड के जामताड़ा से कांग्रेस एमएलए इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी ने भी तीनों विधायकों पर लगे आरोपों को झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा है, '16 लाख रुपया कोई बड़ी रकम नहीं है। वह बिजनेस के सिलसिले में कोलकाता खरीदारी के लिए जाते रहते हैं और रुटीन का काम है। करोड़ों रुपये बरामद होने के आरोप गलत साबित हो चुके हैं।' उन्होंने यह भी कहा है कि 'कोई गुवाहाटी क्यों नहीं जा सकता,क्या यह भारत के बाहर है? जब वहां एक अच्छा स्कूल है, तब कोई वहां क्यों नहीं जा सकता ? ...बीजेपी सरकार गिराना चाहती है, यह जांच का विषय है, इसपर कुछ नहीं कह सकता।' लेकिन, उन्होंने इसके साथ यह भी कहा है कि 'विधायकों पर कार्रवाई करने से पहले उनसे जवाब मांगा जाना चाहिए था।'
क्या है झारखंड विधायकों का कैश कांड ?
गौरतलब है कि कोलकाता के पास हावड़ा से झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायकों की कार से 49 लाख रुपये कैश बरामदगी का दावा किया जा रहा है। इसी सिलसिले में वह तीनों विधायक- राजेश कच्छप, नमन विकसाल और इरफान अंसारी गिरफ्तार हैं और बंगाल की सीआईडी इसकी जांच कर रही है। आरोप ये भी लग रहे हैं कि यह रकम झारखंड में सोरेन सरकार को गिराने के लिए दिए गए थे। इस मामले में झारखंड में पुलिस के सामने पार्टी एमएलए कुमार जयमंगल ने शिकायत की है कि उन तीनों विधायकों ने उन्हें भी कोलकाता बुलाया था और 10 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर दिया था। इनका दावा है कि वह तीनों विधायक उन्हें सोरेन सरकार के खिलाफ हॉर्स ट्रेडिंग पर चर्चा के लिए असम के सीएम से मिलवाने ले जाना चाहते थे। सवाल है कि जब वह तीनों विधायकों की गिरफ्तारी से पहले खुद ही सीएम सरमा के संपर्क में थे तो उन्हें उनसे मिलने के लिए कोई तीसरा ऑफर क्यों दे रहा था?