DSP पंडित की दर्दनाक मौत के वीडियो को महबूबा सरकार ने किया नष्ट, 200 लोगों की भीड़ ने की थी हत्या
श्रीनगर। पिछले दिनों जम्मू कश्मीर पुलिस में डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को श्रीनगर में भीड़ ने बेदर्दी से मार डाला। अब इस घटना में एक नया खुलासा हुआ है। कहा जा रहा है कि जिस समय डीएसपी पंडित को भीड़ मार रही थी एक व्यक्ति ने उसका वीडियो बना लिया था। राज्य सरकार को यह वीडियो मिला लेकिन उसने जनता के गुस्से से डरकर इस वीडियो को नष्ट कर डाला। सरकार के एक अधिकारी की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। श्रीनगर के जामिया मस्जिद के बाहर 200 लोगों की भीड़ ने डीएसपी पंडित की हत्या कर दी थी।
23 जून को हुई थी हत्या
57 वर्षीय पंडित का शव श्रीनगर की मुख्य मस्जिद के बाहर मिला था। उनकी हत्या 23 जून को उस समय हुई जब लोग रमजान की पवित्र रात शब-ए-कद्र की नमाज अदा करने के बाद मस्जिद के बाहर इकट्ठा थे। टॉप अधिकारी के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है, 'उनके कपड़े फंटे हुए और वह पूरी से नग्न थे और उन्हें काफी बुरी तरह से पीटा गया था। उनकी बांह और पैर मुड़े हुए थे और बिल्कुल उसी तरह से टूट हुए थे जिस तरह से कोई गन्ना तोड़ता है।' इस अधिकारी ने पंडित की हत्या का वीडियो देखा था। इस अधिकारी की मानें तो उन्हें इस वीडियो को हासिल करने और इसे नष्ट करने के लिए ओवरटाइम करना पड़ा। इस वीडियो को उस नागरिक ने रिकॉर्ड किया था जो कि राज्य में कई एजेंसियों के लिए मुखबिर का काम करता है।
काफी देर बाद हो सकी शव की पहचान
पंडित की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि उनके खिलाफ अत्यधिक हिंसा हुई थी। उनके कई नाजुक अंगों को हिंसा की वजह से काफी नुकसान पहुंचा और इसी वजह से उनकी मौत हो गई। पुलिस इस मामले में तीन नागरिकों का बयान भी रिकॉर्ड करेगी। ये वे लोग हैं जिन्होंने दावा किया है कि पंडित की ओर से आत्मरक्षा के लिए चलाई गई गोलियों में उन्हें चोट लगी। मस्जिद के बाहर डीएसपी पंडित के शव की पहचान काफी देर बात हो सकी थी। घटनाके कई घंटे बाद इस बात का पता लग पाया कि मृतक डीएसपी अयूब पंडित हैं। इंटेलीजेंस ब्यूरों और अर्धसैनिक बलों से पूछताछ की गई कि उनके संगठन का कोई सदस्य तो गायब नहीं है। राज्य पुलिस के डीएसपी के एसपी वैद ने कहा है कि कश्मीर की जनता को अब अपने अंदर झांकने की जरूरत है। हुर्रियत कांफ्रेंस की ओर से भी पंडित की हत्या के बाद बयान जारी किया गया था। राज्य पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद आमतौर पर हुर्रियत की ओर से कोई बयान कभी जारी नहीं किया जाता है।