Jamia Violence पर सुप्रीम कोर्ट का दखल से इनकार, SC ने कहा- हाईकोर्ट जाएं याचिकाकर्ता
नई दिल्ली। दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने 4 बसें फूंक दी थी और कई निजी वाहनों में तोड़फोड़ की थी। जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और लाठीचार्ज किया था। वहीं, इस मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। पूरे मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने का दिया। कोर्ट ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट नहीं हैं तो हर मामले की सुनवाई करें।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां-जहां प्रदर्शन के मामले सामने आए हैं, याचिकाकर्ता संबंधित हाईकोर्ट में जाएं। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की नियुक्ति कर सकता है। कोर्ट ने हिंसा करने वाले छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगाई है। इसके पहले, याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्होंने अपनी अपील के लिए पहले हाई कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया था?
कोर्ट ने कहा कि ये कानून-व्यवस्था का मामला है। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे पहले उन्हें समझाएं कि उनकी याचिका क्यों सुनी जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि छात्रों की तरफ से हिंसा नहीं हुई है। इसपर कोर्ट ने पूछा कि हिंसा नहीं हुई तो बसें कैसे जलीं थीं?
छात्रों की तरफ से इस मामले में पक्ष रख रहीं वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पुलिस बिना वीसी की इजाजत के यूनिवर्सिटी कैंपस में दाखिल नहीं हो सकती है। एक युवक की आंखों की रोशनी चली गई। कुछ छात्रों के पैर टूट गए। इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक भी छात्र की आंखों की रोशनी नहीं गई है। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस मामले में एसआईटी द्वारा जांच की जाए। कोर्ट ने तेलंगाना एनकाउंटर केस सुना, हम वैसे ही इस मामले में आदेश की मांग कर रहे हैं।
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि आप इस मामले पर आदेश क्यों नहीं दे रहे हैं। उनकी इस दलील पर चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि तेलंगाना मामले में एक गठित कमेटी अपना काम कर सकती है, लेकिन इस केस में कोई कमेटी पूरे देश के मामलों को नहीं देख सकती है। सभी मामलों में एक कमेटी बनाना संभव नहीं है।