Chandrayaan 2: भारत ने चुना सबसे मुश्किल मिशन, राह पहले भी भटक चुके हैं दुनिया के विकसित देश
नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान 2 मिशन को शनिवार सुबह तगड़ा झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। भले ही इसरो का ये मिशन कामयाब होकर इतिहास ना बना पाया हो, लेकिन पूरा देश वैज्ञानिकों के जज्बे को देश सलाम कर रहा है। भले ही चांद पर मानव के पहुंचने के 50 साल हो गए हों लेकिन तमाम विकसित देशों के लिए भी चांद को छूना आसान नहीं रहा है।
भारत ने चुना मुश्किल मिशन
48 दिन के महात्वाकांक्षी सफर की मंजिल तक पहुंचने से ठीक पहले इसरो के कंट्रोल रूम में एक अजीब सी चुप्पी छा गई। चंद्रयान-2 का सफर आखिरी और बेहद चुनौतीपूर्ण हिस्से तक पहुंच चुका था लेकिन ये इंतजार लंबा खिंचने लगा और इसरो की तरफ से औपचारिक ऐलान कर दिया गया कि लैंडर विक्रम से सेंटर का संपर्क टूट चुका है। पूरे देश में इसके बाद मायूसी छा गया।
'दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था'
भारत के वैज्ञानिकों ने चांद के सबसे मुश्किल हिस्से पर पहुंचने को अपना लक्ष्य बनाया था। मिशन के मुताबिक चंद्रयान- 2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। इस हिस्से पर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती है और इस वजह से लैंडर और रोवर के लिए सौर ऊर्जा हासिल कर पाना मुश्किल होगा। इसी वजह से पूरी दुनिया की नजरें इस पर थी। खुद पीएम मोदी इसका गवाह बनने बेंगलुरु रिसर्च सेंटर पहुंचे थे।
दुनिया के किसी देश को नहीं मिली कामयाबी
चांद के इस हिस्से पर अभी तक दुनिया के किसी देश की पहुंच नहीं हो पाई है, इसलिए वैज्ञानिकों को यहां की सतह की जानकारी नहीं थी। अमेरिका के अपोलो मिशन सहित ज्यादातर मिशनों में लैंडिंग चांद के मध्य में की गई और वहीं चीन का मिशन चांद के उत्तरी ध्रुव की तरफ था। चांद की पथरीली जमीन भी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बड़ी चुनौती थी, लैंडर विक्रम को दो क्रेटरों के बीच सॉफ्ट लैंडिंग की जगह तलाशनी थी।
विकसित देशो को भी हुई परेशानी
रूस ने साल 1958 से 1976 के बीच करीब 33 मिशन चांद की तरफ रवाना किए, इनमें से 26 अपनी मंजिल नहीं पा सके। वहीं अमेरिका ने साल 1958 से 1972 तक अमेरिका के 31 मिशन चांद की तरफ भेजे लेकिन 17 नाकाम रहे। अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच 26 मानव मिशन भी भेजे, इन मिशनों में 24 अंतरिक्ष यात्री चांद के करीब पहुंच गए लेकिन सिर्फ 12 ही चांद की जमीन पर उतर पाए। इसी साल अप्रैल में इजरायल का भी मिशन चांद अधूरा रह गया था।