भारत-चीन बॉर्डर पर बस 400 मीटर की दूरी पर आमने-सामने सेनाएं, तलवार की धार जैसी स्थिति
नई दिल्ली। एक बार फिर से पूर्वी लद्दाख में चीन बॉर्डर भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प की खबरें हैं। पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से में एक बार फिर से भारत और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के बीच हिंसा हुई है। भारत की सेना ने 29 से 30 अगस्त की रात को रेजांग ला-रेचिन ला पर कब्जा कर लिया था। सात सितंबर को रेचिन ला पर दोनों देशों के बीच टकराव हुआ है। अभी तक भारत की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है लेकिन स्थिति एक हफ्ते बाद फिर से बेहद तनावपूर्ण हो चुकी है।
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चीन ने फिर की LAC में बदलाव की कोशिश
चीन ने एक बार फिर सोमवार को पैंगोंग त्सो के दक्षिणी स्थिति में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की स्थिति में बदलाव की कोशिशें की। चीन की तरफ से दावा किया गया कि भारत की तरफ से वॉर्निंग शॉट्स फायर किए गए हैं। भारत के अधिकारियों ने मंगलवार सुबह माना है कि स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण है लेकिन दोनों पक्षों के बीच ग्राउंड कमांडर वार्ता जारी है। रेचिन ला पर सोमवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट पर टकराव शुरू हुआ था। पीएलए के वेस्टर्न थियेटर कमांड की तरफ से सोमवार रात भारत के जवानों पर आरोप लगाया गया कि उनकी तरफ से वॉर्निंग शॉट्स फायर किए गए हैं। जबकि हकीकत यह है कि इंडियन आर्मी की तरफ से अगस्त माह के आखिरी हफ्ते में भी चीन को ग्रीन लाइन से दूर रखने के लिए इसी तरह के वॉर्निंग शॉट्स फायर किए गए थे।
ग्रीन लाइन पार करने की कोशिशें
ग्रीन लाइन वह हिस्सा है जिसे चीन सन् 1960 से एलएसी मानता है और यह पैंगोंग त्सो के दक्षिण में है। इस माह के पहले हफ्ते में ही पीएलए ने पैगोंग के दक्षिण में सभी लोकेशंस पर स्थिति को मजबूत कर लिया है। चीन की वेस्टर्न थियेटर कमांड की तरफ से कहा गया कि भारत ने उसकी सीमा पर कब्जे के मकसद से और पीएलए को इस क्षेत्र में दाखिल होने से रोकने के लिए फायरिंग की थी। सूत्रों की तरफ से ग्राउंड कमांडर्स को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वो स्थिति के मुताबिक फैसलें जिससे पीएलए को ज्यादा फायदा न हो। माना जा रहा है कि सोमवार रात जो कुछ हुआ है वह शायद उसका ही नतीजा है। रक्षा विशेषज्ञ नितिन गोखले की तरफ से ट्विटर पर बताया गया है कि एलएसी पर इस समय हालात बेहद नाजुक और किसी तलवार की धार से हैं।
भारत की तरफ से दी गई वॉर्निंग
उन्होंने अपनी ट्वीट में जानकारी दी है कि भारत की तरफ से मुखपारी चोटी पर कब्जा किया गया था और चीनी जवानों ने इस तरफ जब बढ़ने की कोशिशें की तो उस समय वॉर्निंग शॉट्स फायर करने पड़ गए। मुखपारी रेजांग ला के उत्तर में है और इस पर 29-30 अगस्त की रात कब्जा कर लिया गया था। 15 जून को गलवान घाटी हिंसा के बाद से भारत ने तय कर लिया है कि वह किसी भी तरह से चीन की आक्रामकता के आगे घुटने नहीं टेकेगा। चीन के बारे में विशेषज्ञों की मानते हैं कि बातचीत के समय वह पूरी संलिप्तता दिखाता है लेकिन बॉर्डर पर उसका आक्रामक रवैया बरकरार है। 30 अगस्त को जब से भारत की तरफ से पैंगोंग त्सो के दक्षिण में रणनीतिक तौर पर अहमियत रखने वाली चोटियों पर कब्जा किया है उसके बाद से ही सेना की तरफ से पीएलए के जवानों को दूर रहने की वॉर्निंग दी जा रही थी।
मुश्किल हालातों में डटे हैं हमारे सैनिक
भारत ने उसी समय चेतावनी दे दी थी कि अगर उन्होंने करीब आने की कोशिश की तो फिर उन पर फायरिंग हो सकती है। इस समय लद्दाख में भारत और चीन के सैनिक एक-दूसरे से 300 से 400 मीटर की दूरी पर हैं। मुश्किल रास्तों और मौसम के बाद भी वो पूरी मुस्तैदी से देश की रक्षा में तैनात हैं। पांच मई से ही लद्दाख में भारत और चीन के बीच टकराव जारी है। चार माह बीच जाने के बाद भी टकराव का कोई नतीजा नहीं निकल सकता है। अगस्त माह के अंत में चीन ने पैंगोंग के दक्षिण में कब्जे की कोशिशें की थीं और भारत की तरफ से इसका जवाब भी दिया गया था। इस वर्ष लद्दाख में एलएसी की रक्षा में 23 भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं।