Prosperity Index:तरक्की कर चीन के करीब पहुंचा भारत
नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच समृद्धि की खाई कम हुई है। ब्रिटेन स्थित लंदन के लेगातुम इंस्टि्यूट के तेजा लेगातुम प्रॉस्परिटी इंडेक्स के अनुसार भारत साल 2012 के मुकाबले साल 2016 में चार स्थान करीब पहुंच कर रैंकिंग में 100 वें स्थान पर पहुंच गया है। स्टडी के अनुसार चीन का स्थान 90वां हैं। लेगातुम इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इस साल नोटबंदी और वस्तु एंव सेवा कर लागू करने के कारण GDP विकास को झटका लगा है। इसके बावजूद भी समृद्धि सूचकांक में आगे बढ़ना मायने रखता है।
इस वजह से चीन के करीब आया भारत
रिपोर्ट के अनुसार भारत में व्यावसायिक माहौल, आर्थिक गुणवकत्ता और प्रशासन में सुधार की वजह से चीन के करीब आ पाया है। लेगातुम इंस्टिट्यूट ने कानून बना कर नियकों को न्यायिक व्यवस्था मे चुनौती देने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भारत की सराहना की। रिपोर्ट में कारोबारी माहौल और आर्थिक समानता से लकेर बौद्धिक संपदा अधिकार में सुधार और बड़ी संख्या में भारतीयों का बैंक खाता खुलवाए जाने का हवाला दिया गया है।
इनके आधार पर हुई समीक्षा
समृद्धि सूचकांक में 9 उप सूचकांक हैं- इसमें कारोबारी माहौल, शासन,शिक्षा,स्वास्थ्य,बचाव और सुरक्षा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक पूंजी और प्राकृतिक वातावरण शामिल है। लंदन के स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, टुफ्ट्स यूनिवर्सिटी, ब्रूकिंग्स इंस्टिट्यूशंस और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया, सन डिएगो जैसे संस्थानों से विभिन्न विषयों के जानकारों के एक समूह ने इन नौ उप सूचकाकों के आधार पर देशों की समीक्षा की।
शैक्षिणिक स्तर पर उम्दा प्रगति की
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के लेगातुम प्रास्परिटी इंडेक्स में भारत ने आर्थिक समानता और शैक्षिणिक स्तर पर उम्दा प्रगति की है। इस सूचकांक को तैयार करने में 149 देशों को 104 विभिन्न-विभिन्न पैमानों पर जांचा परखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक अब पहले से अधिक लोग अपने जीवन स्तर और आमदनी से संतुष्ट हैं।
आर्थिक मोर्चे पर चीन कमजोर पड़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक मोर्चे पर चीन कमजोर पड़ा है क्योंकि लोगों को व्यापार करने में ज्यादा बाधाएं और कंपटीशन करने के लिए प्रोत्साहन की कमी महसूस हो रही है। इतना ही नहीं शिक्षा के मोर्चे पर भी चीन का प्रदर्शन कमजोर रहा है। पूरी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में समृद्धि बढ़ी है। अब दुनिया की समृद्धि 2007 के मुकाबले 2.6 फीसदी ज्यादा है।