राहुल जिद पर अड़े रहे तो कांग्रेस में बन सकते हैं दो कार्यकारी अध्यक्ष, इनके नाम आगे
नई दिल्ली- लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। अब ऐसी चर्चा है कि अगर राहुल अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए, तो पार्टी में एक अध्यक्ष की जगह एक से ज्यादा कार्यकारी अध्यक्षों को जिम्मा सौंपा जा सकता है।
'एक से भले दो' पर मंथन
खबरों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के मैनेजर्स दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया पर मंथन में जुट चुके हैं। अलबत्ता, अघोषित तौर पर किसी भी फैसले पर अंतिम मुहर गांधी परिवार से ही लगना तय माना जा रहा है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक पार्टी में इस बात पर सहमति बन रही है कि अगर राहुल अध्यक्ष नहीं रहते हैं, तो उनकी जगह दो कार्यकारी अध्यक्ष होने चाहिए। इनमें से एक कार्यकारी अध्यक्ष दक्षिण भारत से भी बनाए जाने पर विचार चल रहा है, क्योंकि कांग्रेस की जितनी भी लाज बच पाई है, वह मुख्य रूप से केरल और तमिलनाडु में उसके प्रदर्शन के कारण ही हुआ है।
इन नेताओं को मिल सकता है चांस
कांग्रेस के अंदर इस विषय पर अभी जो विचारों का दौर चल रहा है, उसमें एक प्रस्ताव ऐसा भी है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसी नेता को ही यह जिम्मा मिलनी चाहिए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस तरह के सुझावों के बीच जो नाम प्रस्तावित किए गए हैं, उनमें अनुसूचित जाति के दो नेता सुशील कुमार शिंदे और मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम शामिल है। इनके साथ ही राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले युवा नेता के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी संभावितों में सबसे ऊपर माना जा रहा है। दिलचस्प बात ये है कि ये सारे वो नाम हैं, जिन्हें इसबार मतदाताओं ने अपनी अदालत में रिजेक्ट कर दिया है।
कुछ नेताओं पर गिर सकती है गाज
इससे पहले पार्टी में तीन कार्यकारी अध्यक्षों का भी प्रस्ताव आने की बात थी। इसमें उत्तर, दक्षिण और पूर्वी भारत से कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा थी। जरूरत पड़ने पर पश्चिम भारत से भी एक नाम चुनने का सुझाव था। माना जा रहा है कि दो कार्यकारी अध्यक्ष की तैनाती संसद के बजट सत्र के शुरू होने से पहले भी हो सकता है। इस प्रक्रिया के पूरा करने के साथ-साथ चर्चा उन नामों की भी हो रही है, जिनसे राहुल गांधी उनके चुनाव अभियान में दिल से पूरा योगदान नहीं देने के कारण खफा बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि ऐसे कुछ नेताओं को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलतो का नाम भी शामिल है, जिनकी लाख कोशिशों के बावजूद उनके बेटे वैभव गहलोत जोधपुर में चुनाव हार गए थे। जबकि, अशोक गहलोत ने अपने बेटे की हार के लिए उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया था।