डोनल्ड ट्रंप के ख़ास विमान और शानदार कार कितने सुरक्षित?
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को भारत दौरे पर आ रहे हैं. दो दिवसीय दौरे पर उनके स्वागत के लिए दिल्ली और अहमदाबाद में तैयारियां जोर-शोर पर हैं. राष्ट्रपति ट्रंप की आगवानी के लिए अहमदबाद के मोटेरा स्टेडियम के आसपास का इलाका सजाया जा रहा है, वहां की सड़कें नई हो चुकी हैं और एयरपोर्ट से साबरमती आश्रम के रास्ते पर पड़ने वाली
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को भारत दौरे पर आ रहे हैं. दो दिवसीय दौरे पर उनके स्वागत के लिए दिल्ली और अहमदाबाद में तैयारियां जोर-शोर पर हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप की आगवानी के लिए अहमदबाद के मोटेरा स्टेडियम के आसपास का इलाका सजाया जा रहा है, वहां की सड़कें नई हो चुकी हैं और एयरपोर्ट से साबरमती आश्रम के रास्ते पर पड़ने वाली झुग्गी बस्ती को छुपाने के लिए सात फुट ऊंची दीवार खड़ी की जा चुकी है.
आगरा में यमुना का प्रदूषण छुपाने के लिए हरिद्वार से गंगा का पानी छोड़ा जा रहा है.
डोनल्ड ट्रंप के दौरे में इस बात की चर्चा भी ज़ोरों पर है कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था कैसी रहने वाली है और वो विमान कितना ख़ास है जिसमें डोनल्ड ट्रंप भारत आने वाले हैं.
व्हॉइट हाउस के मुताबिक, अमरीकी राष्ट्रपति किसी भी वक़्त दुनिया के किसी भी कोने में जाने के लिए तैयार हो सकते हैं, इसके लिए एयरफ़ोर्स वन जैसा बेहतरीन विमान तैयार रहता है.
तकनीकी रूप से एयरफ़ोर्स वन अमरीकी एयरफ़ोर्स के उस विमान को कहा जाता था जिसमें राष्ट्रपति सफ़र करते थे. लेकिन 20वीं सदी के बाद कुछ चुनिंदा विमान ही रखे गए जो अमरीकी सेना के कमांडर इन चीफ़ के सफ़र के लिए पूरी तरह तैयार होते हैं.
क्या है इस एयरक्राफ्ट की ख़ासियत?
मौजूदा वक़्त में ये नाम एक या दो बोइंग 747-200B सिरीज़ के एयरक्राफ्ट को ही दिया जाता है जो बड़े स्तर पर मॉडिफ़ाइड होते हैं. इनके पीछे लिखा कोड 28000 और 29000 होता है. एयरफ़ोर्स में इस एयरक्राफ्ट का डेजिग्नेशन VC-25A है.
एयरफ़ोर्स वन अमरीका ही नहीं पूरी दुनिया में राष्ट्रपति की पहचान माना जाता है. इसमें 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमरीका' लिखे होने के अलावा अमरीकी झंडा और अमरीका राष्ट्रपति की मुहर भी होती है.
एयरफ़ोर्स वन में उड़ान के दौरान ही रीफ्यूलिंग की सुविधा भी है और जहां भी चाहें, राष्ट्रपति जा सकते हैं.
ऑनबोर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स पूरी तरह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स से एयरफ़ोर्स वन एडवांस सिक्योर कम्युनिकेशन इक्विपमेंट से लैस है और अमरीका में हमले की स्थिति में इसे मोबाइल कमांड सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
विमान में राष्ट्रपति और उनके सहयात्री 4000 स्क्वॉयर फुट का फ्लोर स्पेस इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें राष्ट्रपति के लिए एक सुइट भी है जिसके अंदर बड़ा ऑफिस, लैब और कॉन्फ्रेंस रूम भी है.
व्हॉइट हाउस मिलिट्री ऑफिस
विमान के अंदर एक मेडिकल सुइट भी है जो ज़रूरत पड़ने पर ऑपरेशन रूम का भी काम कर सकता है और विमान में डॉक्टर भी मौजूद होते हैं. विमान में मौजूद दो फूड गैलरी एक बार में 100 लोगों को खाना खिला सकती हैं.
एयरफोर्स वन में उन लोगों के लिए भी क्वॉर्टर हैं जो राष्ट्रपति के साथ यात्रा कर रहे होते हैं, जैसे वरिष्ठ सलाहकार, ख़ुफिया एजेंसी के अधिकारी, मीडिया और दूसरे मेहमान. कई कार्गो प्लेन एयरफोर्स वन के आगे उड़ते हैं ताकि सुनसान जगहों पर राष्ट्रपति को मदद पहुंचाई जा सके.
एयरफोर्स वन की देखरेख प्रेसिडेंशियल एयरलिफ्ट ग्रुप करता है, जो व्हॉइट हाउस मिलिट्री ऑफिस का हिस्सा है. एयरलिफ्ट ग्रुप की स्थापना साल 1944 में की गई थी.
एयरफ़ोर्स वन की स्पीड 630 mph है. हवाई हमले की स्थिति में भी यह विमान नुक़सान से बच जाएगा. यह दुश्मन के रडार को जाम कर सकता है और मिसाइल से हमला भी कर सकता है.
इसमें 82 टेलीफ़ोन, टू-वे रेडियो का कलेक्शन और कम्प्यूटर सेक्शन भी है.
ट्रंप के साथ मौजूद रहता है ''फ़ुटबॉल''
वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, राष्ट्रपति के साथ हर वक़्त सेना के लोग भी होते हैं और आपातकालीन स्थिति के लिए अपने साथ ब्रीफकेस लेकर चलते हैं जिसे फ़ुटबॉल भी कहा जाता है.
इसमें 'गोल्ड कोड' होते हैं, जिनके जरिए आपात स्थिति में देश के परमाणु हथियारों को लॉन्च किया जा सके.
सैन्य सहयोगी राष्ट्रपति के आसपास ही रहते हैं क्योंकि कमांडर इन चीफ़ होने के नाते राष्ट्रपति ही उन कोड का इस्तेमाल करके हमले का आदेश दे सकते हैं.
इन्हें प्लास्टिक कार्ड में रखा जाता है, जिसे 'बिस्कुट' भी कहते हैं और इसे तभी पढ़ा जा सकता है जब इसका अपारदर्शी कवर हटा दिया जाए.
द बीस्ट: लिमोज़ीन कार
अमरीकी राष्ट्रपति कार काफ़िले में दो लिमोज़ीन कारों के अलावा दूसरे सिक्योरिटी और कम्युनिकेशन व्हीकल शामिल होते हैं. उन्हें अमरीकी एयरफोर्स के विमान से लाया जाएगा.
सड़क मार्ग पर डोनल्ड ट्रंप 'द बीस्ट' कही जाने वाली कैडिलैक वन में में सफ़र करते हैं. यह एक मॉडिफ़ाइड कार है. इस कार पर वाशिंगटन डीसी का लाइसेंस प्लेट होता है जिसका नंबर - 800-002 है.
ट्रंप के लिए कार का यह नया मॉडल साल 2018 में शुरू हुआ था. इसके लिए अमरीकी सीक्रेट सर्विस ने ट्वीट करके जानकारी दी थी. इसकी निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स, गाड़ी के स्पेशल सिक्टोरिटी फीचर्स के बारे में कोई जानकारी नहीं देती.
करीब 9 टन वज़न वाली कार एक टैंक के जैसी मज़बूत और विंडो बुलेटप्रूफ हैं. कार की खिड़कियों में लगे ग्लास पॉली कार्बोनेट की पांच लेयर्स से बने हैं, जो इसे बुलेटप्रूफ बनाते हैं. केवल ड्राइवर की तरफ की विंडो के ग्लास को ही खोला जा सकता है वो भी पूरा नहीं.
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ऑनबोर्ड मेडिकल सर्विस
कार से आंसू गैस के गोले लॉन्च किए जा सकते हैं. इसमें नाइट विज़न कैमरा और सैटेलाइट फ़ोन की भी सुविधा है. इस कार के रिम स्टील से डिजाइन किए गए हैं और ये पंक्चर नहीं होते. अगर टायर फट भी जाए तो गाड़ी की स्पीड पर असर नहीं पड़ेगा और तब भी इसे आसानी से चलाया जा सकता है.
इस कार में ड्राइवर और पैसेंजर के बीच का हिस्सा पूरी तरह ढंका होता है. ऐसा किसी भी केमिकल अटैक से बचने के लिए किया गया है. साथ ही इसके फ्यूल टैंक को भी ख़ास तरह के फ़ोम से ढंका गया है जिससे हमले की स्थिति में धमाके से बचा जा सके.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गाड़ी में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी मौजूद हैं. कार में सात लोग सवार हो सकते हैं और इसमें ऑनबोर्ड मेडिकल सर्विस भी उपलब्ध है. कार में एक फ्रिज़ भी होता है जिसमें राष्ट्रपति के ब्लड ग्रुप का ब्लड रखा होता है.
लेकिन इतना ही काफ़ी नहीं है.
सीक्रेट सर्विस और स्पेशल फ़ोर्स
जब राष्ट्रपति का काफ़िला निकलता है तो दूसरे वाहन भी उनके साथ होते हैं. इनमें बाहरी घेरे में पुलिस की गाड़ियां होती हैं, फिर सीक्रेट सर्विस के वाहन, जवाबी हमले और किसी भी ख़तरनाक हमले का जवाब देने के लिए तैयार टीम के वाहन इसके बाद होते हैं.
साथ ही सशस्त्र एसयूवी कम्युनिकेशन वाहन जिसे रोडरनर कहते हैं, के अलावा एंबुलेंस और मीडिया के वाहन भी होते हैं.
साल 2018 में ब्रिटेन की यात्रा के दौरान ट्रंप के साथ करीब 1000 सुरक्षाकर्मी थे जिनमें 150 से अधिक अमरीकी सीक्रेट सर्विस के एजेंट थे.
ट्रंप के साथ सफ़र करने वालों में मिलिट्री कम्युनिकेशन विशेषज्ञ, व्हॉइट हाउस के सहायक, डॉक्टर, शेफ़ और मीडिया के लोग भी होते हैं.
ट्रंप की यात्रा के दौरान भारतीय सुरक्षाबल भी तैनात रहेंगे. इसमें स्थानीय पुलिस के जवान भी होंगे. हालांकि भारतीय सुरक्षाकर्मी सबसे बाहरी घेरे में होंगे और बीच में अमरीकी राष्ट्रपति के अपने सुरक्षाकर्मी होंगे.