सुशील कुमार: ओलंपिक मेडलिस्ट कैसे बन गए मोस्ट वांटेड
भारत के सबसे कामयाब ओलंपिक एथलीट सुशील कुमार इन दिनों हत्या के आरोप में जेल में हैं.
बीजिंग और लंदन ओलंपिक ने खेल की दुनिया में भारतीय पहचान को बदलने का काम किया.
2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक को भारतीय संदर्भ में गेम चेंजर कह सकते हैं, क्योंकि इस आयोजन में भारत ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक खेलों के अपने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन को पीछे छोड़ा था. 1952 में हॉकी के गोल्ड मेडल और कुश्ती में केडी जाधव के ब्रॉन्ज मेडल की बदौलत भारत ने कुल दो मेडल जीते थे.
सुशील कुमार गिरफ़्तार, पहलवान सागर धनखड़ की हत्या का है आरोप
रितिका: गीता और बबीता फोगाट की ममेरी बहन ने की आत्महत्या
इसके 56 साल और 14 ओलंपिक खेलों के आयोजन के बाद भारत ने किसी एक ओलंपिक में तीन मेडल जीतने का करिश्मा बीजिंग में दिखाया था. निशानेबाज़ी में जहाँ अभिनव बिंद्रा ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बनाया था, वहीं कुश्ती और मुक्केबाज़ी की व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भी ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुए थे.
चार साल बाद लंदन ओलंपिक में भारत ने छह मेडल जीतने का करिश्मा दिखाया. निशानेबाज़ी और कुश्ती में भारत को सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुए. जबकि मुक्केबाज़ी और बैडमिंटन में भारत को ब्रॉन्ज मेडल मिले थे.
बीजिंग ओलंपिक से लेकर लंदन ओलंपिक के बीच भारतीय पहलवान सुशील कुमार भारत के सबसे कामयाब एथलीट बन गए. लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीत कर वे लीजेंड्स में जगह बनाने में कामयाब रहे.
ओलंपिक इतिहास में आज तक सुशील कुमार दो व्यक्तिगत मेडल जीतने वाले इकलौते भारतीय खिलाड़ी बने हुए हैं. बीजिंग में उन्होंने जहाँ ब्रॉन्ज मेडल जीता था, वहीं लंदन ओलंपिक में उन्होंने अपने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था.
तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि टोक्यो ओलंपिक के आयोजन से पहले ओलंपिक लीजेंड मोस्ट वांटेड शख़्स बन जाएँगे. ओलंपिक मेडल के सम्मान को सुशील कुमार पर लगे हत्या के आरोप ने तार तार कर दिया है.
दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में चार-पांच मई, 2021 की दरमियानी रात पूर्व जूनियर रेसलिंग चैंपियन सागर धनखड़ की हत्या के आरोप में दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार इन दिनों मंडोली जेल में बंद हैं.
18 दिनों तक पुलिस के गिरफ़्त से फ़रार रहने के बाद सुशील कुमार को दिल्ली के मुंडका से गिऱफ़्तार किया गया था. जब वे फ़रार चल रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ लुक आउट नोटिस भी जारी किया था.
जब 2012 के लंदन ओलंपिक में सुशील कुमार ने सिल्वर मेडल जीता था, तब दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार ने कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाकर ओलंपिक मेडलिस्ट रेसलर को पहले घोषित एक करोड़ रुपए की इनामी रकम को दो करोड़ कर दिया था. पिछले महीने जब सुशील कुमार फ़रार चल रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने इनके बारे में जानकारी मुहैया कराने वालों के लिए एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया था.
दुर्भाग्य यह रहा है कि भारत के सबसे कामयाब रेसलर को 23 मई को गिरफ़्तार किया गया, कुश्ती की दुनिया इस दिन को वर्ल्ड रेसलिंग डे के तौर पर सेलिब्रेट करती रही है. पिछले साल दुनिया भर में कुश्ती को संचालित करने वाली संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने #ThisIsWrestling नाम से एक सोशल मीडिया कैंपेन शुरू किया था.
इसमें दुनिया भर के रेसलर, कोच, अधिकारी और फैन्स ने अपनी अपनी फेवरिट तस्वीरों को पोस्ट किया था. जिन तस्वीरों को सबसे ज़्यादा लाइक किया गया था, उनमें सुशील कुमार की पोस्ट की गई तस्वीर शामिल थी.
दोराबजी टाटा: खिलाड़ियों को अपने ख़र्चे पर ओलंपिक भेजने वाले शख़्स
नरसिंह ने सुशील के कोच सतपाल पर लगाए आरोप
उन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में 66 किलोग्राम फ्री स्टाइल वर्ग की सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले की तस्वीर डाली थी. उनका मुक़ाबला कजाख़स्तान के पहलवान अकज़ेउरेक तानातारोव से हुआ था, सुशील यह मुक़ाबला जीत कर फ़ाइनल में पहुँचे थे और उन्होंने आख़िर में सिल्वर मेडल जीता था. यह ओलंपिक में भारत की ओर से कुश्ती में सबसे बेहतर प्रदर्शन साबित हुआ.
इस बार 23 मई को कुश्ती की दुनिया में जिस तस्वीर की सबसे ज़्यादा चर्चा हुई, वो भी सुशील कुमार की ही तस्वीर थी, जिनमें उनका चेहरा तौलिए से ढँका था और वे पुलिस हिरासत में थे.
एक प्रतिबद्ध मुक्केबाज़ का फिसलना
सुशील कुमार कुश्ती में गुरु शिष्य परंपरा, सीनियर-जूनियर परंपरा के पहलवान थे, कभी उनका जीवन केवल कुश्ती को ही समर्पित था.
सुशील कुमार के कोच और उनके साथ कुश्ती करने वाले, किसी से भी बात करें, तो वे बताते हैं कि चाहे बारिश हो रही हो या फिर कड़कड़ाती ठंड हो या झुलसाने वाले गर्मी, इन सबमें भी छत्रसाल स्टेडियम के मिट्टी वाले अखाड़े या मैट पर सुशील हमेशा अपने स्किल्स को बेहतर करते नजर आया करते थे.
अगर किसी वजह से वे किसी दिन प्रैक्टिस नहीं कर पाते थे तो अगले दिन सुबह से ही उसकी भरपाई करते थे.
2007 में सुशील के दादा का निधन हुआ, उन्होंने ही सुशील को ओलंपिक चैंपियन बनाने का सपना देखा था. सुशील के एक साथी रेसलर ने बताया, "जब सुशील को दादा के गुज़रने की ख़बर मिली, तो वह एकदम अपसेट हो गया था, लेकिन अंतिम संस्कार के बाद स्टेडियम लौट आया था, वह अगली सुबह फिर से अभ्यास के लिए मैट पर उपस्थित था."
"जब वह ओलंपिक मेडल जीत कर लौटा, तो कई जगह पर सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए जाना होता था लेकिन इसका भी असर एक भी दिन ट्रेनिंग पर नहीं पड़ा था."
कॉमनवेल्थ डायरी: मीडिया से क्यों बच रहे हैं सुशील कुमार?
दिव्या काकरान यानी एशियाई कुश्ती की नई चैंपियन
सुशील कुमार का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, उनके पिता बस ड्राइवर थे, लेकिन 2008 के बीजिंग ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद वे रातों रात स्टार बन गए.
बीजिंग ओलंपिक से पहले उन्होंने कभी जींस तक नहीं पहनाी थी, कार और बाइक तो दूर की बात है उन्होंने साइकिल भी नहीं चलाई थी. लेकिन बीजिंग ओलंपिक की कामयाबी ने उनकी और उनके परिवार की सामाजिक आर्थिक स्थिति बदल दी.
उन्हें वह सब हासिल होने लगा था, जिसका सपना भी उन्होंने नहीं देखा था. आर्थिक समृद्धि आने से जीवनशैली और रहन सहन भी बेहतर होने लगा था. बीजिंग ओलंपिक के बाद उन्होंने अंग्रेज़ी के शब्दों को सीखना शुरू किया, लैपटॉप का इस्तेमाल करने लगे. उनके पास एसयूवी आ गई और वे विज्ञापनों में भी नज़र आने लगे.
उनकी जब सगाई हुई थी, तो उसमें राहुल गांधी सहित कई बड़े नेता शामिल हुए. शादी में नेता ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के सितारे भी दिखाई दिए. जैकी श्रॉफ़ तो शादी के एक परंपरागत आयोजन में सुशील कुमार के घर जाकर शामिल हुए.
लंदन ओलंपिक के बाद भटकाव
इन सबके बाद भी सुशील कुमार का ध्यान नहीं भटका, उनका ध्यान अपने खेल पर बना रहा है और लंदन ओलंपिक में उनकी कामयाबी की एक बड़ी वजह यही थी. सुशील किस तरह के सहज इंसान थे, इसका अंदाज़ा एक वाक़ये से लगाया जा सकता है.
बीजिंग ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद नई दिल्ली में पाकिस्तान के रेसलर के साथ उन्हें एक प्रदर्शनी मैच में हिस्सा लेना था. मुक़ाबला शुरू होने से ठीक पहले एक छोटी बच्ची ने सुशील से ऑटोग्राफ़ माँगा, चूँकि मुक़ाबला शुरू होने वाला था लिहाजा सुशील ने बच्ची से कहा कि मुक़ाबला ख़त्म करने के बाद निश्चित तौर पर ऑटोग्राफ़ मिल जाएगा.
ओलंपिक और भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन
महिला खिलाड़ियों के बारे में भारतीय क्या सोचते हैं?
सुशील आसानी से मुक़ाबला जीतने के बाद उस बच्ची को 15 मिनट तक तलाशते रहे, वह बच्ची नहीं मिली तो वह काफ़ी अपसेट होकर कहने लगे कि उसी वक्त ऑटोग्राफ़ दे देना चाहिए था.
लंदन ओलंपिक से पहले तक सुशील पूरी तरह कुश्ती के प्रति समर्पित रहे. हालाँकि लंदन ओलंपिक से एक साल पहले 2011 में उनकी शादी हुई थी. तब आलोचकों ने कहा था कि शादी के बाद सुशील का करियर ख़त्म हो जाएगा.
इन आशंकाओं को तब बल मिला, जब एशियाई क्वालिफ़ायर्स में सुशील ओलंपिक बर्थ हासिल नहीं कर पाए. अंतिम क्वालिफ़ायर्स मुक़ाबले में जाकर सुशील ओलंपिक का टिकट हासिल कर सके. इसके बाद अगले तीन- चार महीनों तक वे अपनी पत्नी से भी मिलने नहीं गए, पूरा ध्यान तैयारियों पर था.
इस दौरान वे अपने घर महज एक बार कुछ घंटों के लिए गए थे वो भी कुछ ज़रूरी काग़जों पर उनके हस्ताक्षर ज़रूरी थे. उन्होंने अपने आलोचकों को ग़लत साबित करते हुए लंदन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीत लिया. इसके बाद वे भारतीय खेल जगत के लीविंग लीजेंड्स में शामिल हो गए.
संपत्ति विवादों को सुलझाने लगे थे सुशील
इस कामयाबी से मिले नाम और शोहरत के बाद उनका ध्यान कुश्ती से भटका और वे दूसरी चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देने लगे. इसके चलते ही कुछ सालों में कभी लीजेंड रहे सुशील का मोस्ट वांटेड वाला रूप सामने आया.
पिछले कुछ सालों में खेल में उनका प्रदर्शन लगातार गिरता गया. प्रैक्टिस के बदले सुशील कुमार दर्जन भर हथियारबंद गार्डों के साथ सामाजिक आयोजनों में नज़र आने लगे. सुशील कुमार को पिछले 15 सालों से जानने वाले एक कोच ने बताया, "बाहुबली होने की सोच सुशील को दूसरी दुनिया में ले गई. वह वित्तीय और संपत्ति के विवादों में मध्यस्थता करने लगे. बाद में उन्हें सीधे तौर पर सुलझाने भी लगे."
"अवांछित लोगों के साथ उनका मेल जोल बढ़ने लगा था लेकिन गुरू-शिष्य परंपरा पर सुशील का यक़ीन था. इसी साल उत्तर प्रदेश में आयोजित सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में जब वे मिले, तो उन्होंने काफ़ी सम्मान दिया. ऐसे मेरे साथ ही नहीं हुआ, बल्कि हर कोच के साथ उनका बर्ताव ऐसा ही था. नए रेसलरों के साथ फोटोग्राफ़ लेने या ऑटोग्राफ़ देने में भी वे उदार दिखे. रेसलिंग की दुनिया में अभी भी लोग यक़ीन नहीं कर पा रहे हैं कि सुशील हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं."
सागर धनखड़ हत्याकांड में सुशील कुमार की कथित संलिप्तता ने कुश्ती की छवि को भी नुकसान पहुँचाया है, जिस खेल से 2021 में टोक्यो ओलंपिक में पदक की उम्मीद सबसे ज़्यादा थी, उसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है.
ओलंपिक मेडल की अहमियत और उसका सम्मान तो रहेगा, लेकिन सुशील कुमार पर हमेशा के लिए सवालिया निशान लग चुका है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)