क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

हिमाचल प्रदेश: वो सीटें जहां सबसे कम मार्जिन से हुआ हार-जीत का फ़ैसला, वजह क्या रही

हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी के बीच महज 0.9 प्रतिशत वोटों का अंतर है, लेकिन इतने अंतर से 15 सीटों का फ़र्क आ गया. ऐसा क्यों हुआ.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
हिमाचल प्रदेश चुनाव
Getty Images
हिमाचल प्रदेश चुनाव

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ज़ोरदार वापसी की है. कुल 68 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटें और बीजेपी को 25 सीटें हासिल हुईं. जबकि आम आदमी पार्टी शून्य पर रही. तीन अन्य सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है.

दिलचस्प है कि कांग्रेस और बीजेपी की वोट हिस्सेदारी में एक प्रतिशत (0.9%) से भी कम का अंतर है. आम आदमी पार्टी को एक प्रतिशत से कुछ ही ज़्यादा (1.1%) वोट मिले जबकि नोटा पर 0.59% वोट पड़े.

गुजरात में रिकॉर्ड जीत के साथ हिमाचल में बीजेपी का प्रदर्शन सीटों की तुलना में भले ही निराशाजनक रहा हो, लेकिन वोट प्रतिशत के लिहाज से वो ख़ुद को कांटे की टक्कर में देख रही है.

हिमाचल प्रदेश चुनाव
Getty Images
हिमाचल प्रदेश चुनाव

वोट हिस्सेदारी में इतने कम अंतर के बावजूद कांग्रेस और बीजेपी के बीच 15 सीटों का अंतर है, जो 68 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए बहुत मायने रखता है.

आठ सीटें तो ऐसी हैं जहां जीत हार का अंतर 60 से लेकर 860 तक है, यानी एक हज़ार से भी कम का अंतर.

एक हज़ार से कम अंतर वाली इन आठ सीटों में पांच कांग्रेस के पास गईं, जबकि तीन बीजेपी के खाते में हैं. ऐसी 15 सीटें हैं जहां जीत का अंतर दो हज़ार से कम रहा.

हिमाचल की जीत-हार का सबसे कम अंतर 60 (भोरंज से कांग्रेस के सुरेश कुमार विजयी) रहा जबकि सबसे अधिक अंतर 38,183 (सेराज से बीजेपी के जयराम ठाकुर विजयी) रहा.

ये भी पढ़ें:-

जीत हार का अंतर
BBC
जीत हार का अंतर

प्रत्याशियों में 1000 से कम जीत हार का अंतर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आबादी के लिहाज़ से छोटे राज्यों और उन प्रदेशों में जीत के मामूली अंतर से बड़े फेरबदल होते रहे हैं, जहां मुख्य लड़ाई दो पार्टियों के बीच होती है.

केरल इसका उदाहरण है जहां जीत-हार का अंतर बहुत ही कम होता है. यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस नीत गठबंधन यूडीएफ़ और लेफ़्ट नीत गठबंधन एलडीएफ़ के बीच होता है, दोनों बारी-बारी से सत्ता में आते रहते हैं, हालांकि पिछली बार एलडीएफ़ ने इस ट्रेंड को तोड़ा है.

साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का अंतर काफ़ी कम था. इसका मुख्य कारण था, एनडीए और नीतीश-राजद के महागठबंधन के बीच लड़ाई का सिमट जाना.

हिमाचल जैसे छोटे राज्य में हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन एक लाख से कम वोटर हैं, थोड़ा भी अंतर बहुत उलट फेर कर दे सकता है.

वोट प्रतिशत के मामूली अंतर से सीटों में आए बड़े अंतर को समझाते हुए सीएसडीएस के निदेशक प्रोफ़ेसर संजीव कुमार कहते हैं, "हिमाचल में मतदाताओं के लिहाज़ से विधानसभा क्षेत्रों का आकार बहुत ही छोटा है. यहां जीत-हार का अंतर पहले से ही कम रहा है."

वो कहते हैं, "अगर 2017, 2012, 2007 और 2002 के चुनावी नतीजों को देखें तो क़रीब 30-35 सीटों पर जीत का अंतर ढाई से तीन हज़ार के बीच ही रहता है. हर बार के चुनाव में कम से कम 10-12 सीटों पर जीत-हार का अंतर तो 1000-1200 रहता है."

उनके मुताबिक़, ''जब जीत-हार का अंतर इतना कम हो तो ये लाज़िमी है कि थोड़े से वोट का अंतर भी कई सीटें पर हार-जीत के लिए निर्णायक हो जाता है.''

ये भी पढ़ें:- इन पाँच कारणों से हिमाचल में नहीं बदला रिवाज, कांग्रेस को मिला राज

मोदी
Getty Images
मोदी

कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति में फ़र्क

लेकिन कांटे की टक्कर में पार्टियों की मौजूदा स्थिति और चुनावी रणनीति भी बहुत असर डालती है. बीजेपी के साथ यही देखा जा सकता है.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह गृह प्रदेश है और यहां पार्टी में तीन गुट हैं. एक तो नड्डा का है, दूसरा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का है जिनकी आकांक्षा प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की पहले से रही है, ऐसा जानकार मानते हैं. तीसरा गुट ख़ुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का रहा है.

इसकी संभावना है कि इस गुटबाज़ी ने चुनाव को प्रभावित किया हो. लेकिन चुनावी रणनीति में भी कांग्रेस ने बढ़त हासिल करने की कोशिश की.

हिमाचल प्रदेश नौकरी पेशा वाले लोगों की अच्छी-ख़ासी संख्या वाला राज्य है और कांग्रेस के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम एक बड़ा चुनावी प्लैंक रहा. वो पहले भी इसे राजस्थान में लागू कर चुकी है.

हालांकि राहुल गांधी, 'भारत जोड़ो यात्रा' में व्यस्त होने के चलते हिमाचल नहीं आ सके, लेकिन प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रचार की कमान थाम रखी थी.

प्रियंका ने राज्य कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का वायदा किया था, इसका भी प्रभाव पड़ा.

ये भी पढ़ें:- हिमाचल प्रदेश चुनाव: बीजेपी ने पांच साल में कितने वादे पूरे किए, कितने रहे अधूरे

हिमाचल प्रदेश चुनाव
Getty Images
हिमाचल प्रदेश चुनाव

ओल्ड पेंशन स्कीम और अग्निवीर का असर

राजनीतिक विश्लेषक अदिति फणनीस ने बीबीसी हिंदी से कहा, "उत्तराखंड की तरह ही हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है, जहां रोज़गार के अवसर बहुत सीमित हैं. रोज़गार का एक बड़ा साधन सरकारी नौकरियां हैं.

वहां सैलरी और पेंशन का बिल बहुत ज़्यादा है. यहां ओल्ड पेंशन स्कीम बहुत पॉपुलर रही है. नई पेंशन स्कीम के तहत जिनकी एक लाख तनख्वाह रही उन्हें अब तीन चार हज़ार रुपये पेंशन मिल रही है. इससे लोग बहुत निराश थे."

वो कहती हैं, "कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का वायदा किया और ये भी कहा कि पहली कैबिनेट बैठक में पहला फ़ैसला इसी पर लेंगे. ये एक बड़ा फ़ैक्टर ज़रूर था."

लेकिन उनका मानना है कि इस चुनाव में अग्निवीर पर सबसे कम बात हुई, जबकि 'कांगड़ा और अन्य इलाकों से ज़्यादातर लोग फ़ौज में शामिल होने की उम्मीद रखते हैं, इसलिए यहां फ़ौज में भर्ती की इस योजना को लेकर काफ़ी असंतोष था जो कांग्रेस की जीत में एक और फ़ैक्टर बन गया.'

फ़ौज में भर्ती के लिए अग्निवीर योजना के तहत अब चार साल के लिए भर्ती होगी और रिटायरमेंट के बाद उन्हें न तो पेंशन मिलेगी और ना ही पारम्परिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलेगा.

इसे लेकर देश में बड़े-बड़े प्रदर्शन भी हुए और मोदी सरकार को अंततः इनमें से 25 प्रतिशत को फ़ौज में परमानेंट नौकरी देने का वायदा तक करना पड़ा.

ये कुछ ऐसे फ़ैक्टर थे जिन्होंने वोटों में मामूली स्विंग लाने में भूमिका निभाई और भले ही मत प्रतिशत में 0.9 प्रतिशत का फ़र्क रहा हो, सीटों में इसने अपना असर दिखाया.

(कॉपी - संदीप राय)

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Himachal Pradesh: Those seats where the victory-defeat was decided by the lowest margin
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X