बदमाशों की गोली का शिकार बने ASI की हरियाणा सरकार नहीं ले रही सुध
बदमाशों की गोली का शिकार बने ASI की हरियाणा सरकार नहीं ले रही सुध
चंडीगढ़। एक ओर तमाम सरकारें यह लगातार कहती रहीं हैं कि पुलिस नियमावली को बदला जा रहा है। पुलिसकर्मियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर फैसले लिए जा रहे हैं लेकिन हरियाणा में कुछ ऐसा हो रहा है जो इन तमाम दावों और वादों की पोल खोल रहा है। मामला राज्य के महेंद्रगढ़ का है, जहां बीते महीने 8 सितंबर को पांच लाख रुपए का इनामी बदमाश पप्पला अदालत परिसर से फरार होने में सफल हो गया। हालांकि उस वक्त एएसआई धर्मवीर ने पप्पला को रोकने की तमाम कोशिश की। लेकिन पप्पला के साथी बदमाशों ने उनकी कनपटी पर गोली मार दी। धर्मवीर अभी अस्पताल में भर्ती हैं। आरोप है कि अभी तक उनकी कोई मदद नहीं की गई है। राज्य के ही चरखी दादरी जिला स्थित मकड़ानी गांव निवासी धर्मवीर के पुत्र विकास ने वनइंडिया हिन्दी को बताया कि मोस्टवांटेड पप्पला जो अंडरट्रायल था, उसे पुलिस महेंद्रगढ़ कोर्ट में पेश करने के लिए लायी थी। 12 कैदी थे और 8 पुलिसकर्मी उनके साथ थे।
तभी शुरू हो गई फायरिंग
विकास ने बताया कि जैसे ही पप्पला को उतारा जाने लगा तुरंत बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी गई। इस दौरान 4 पुलिस वालों को गोली लगी। 2 पुलिसकर्मियों को पैर में, एक को पेट में और मेरे पिता को सिर में गोली लगी थी। विकास ने बताया कि गोली लगने के बाद भी पप्पला को उनके पिता धर्मवीर ने नहीं छोड़ा।
उन्होंने बताया कि धर्मवीर को रिवॉल्वर की बट से उनकी आंख के ऊपर मारा लेकिन उन्होंने छोड़ा नहीं। लेकिन पप्ला अपनी शर्ट की बटन तोड़कर भाग निकला। विकास ने कहा कि पहले उनके पिता को महेंद्रगढ़ के एक स्थानीय सरकारी अस्पताल में ले जाया गया जहां से उन्हें रोहतक पीजीआई के लिए रेफर कर दिया गया। लेकिन उनके अन्य साथी पुलिसकर्मियों ने सरकारी अस्पताल में इलाज कराने से मना कर दिया, क्योंकि वहां टाइम ज्यादा लग रहा था। इस के बाद वो रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में गए।
घटना 26-27 दिन हो गए लेकिन...
विकास ने बताया कि घटना को हुए 26-27 दिन हो गए लेकिन अभी तक पिता धर्मवीर थोड़ी बहुत आंख खोल रहे हैं और हल्का-हल्का हाथ पैर चला रहे हैं। विकास ने बताया कि तात्कालीन एसएपी ने 1 लाख 30 हजार रुपए इलाज के लिए सबमिट करा दिया था। लेकिन कर्मचारियों के लिए जो अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए वो सुविधा अभी तक उनके खाते में नहीं पहुंची।
स्थानीय स्तर पर नहीं आया कोई पूछने
विकास ने बताया कि उनके पिता धर्मवीर के इलाज से जुड़ी सारी कार्रवाई चंडीगढ़ से पूरी हो गई है लेकिन स्थानीय स्तर पर अभी तक कोई पूछने नहीं आया है। स्थानीय नेताओं समेत सरकार ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। परिजनों का यह आरोप भी है कि नारनौल के सीएमओ ने यहां तक कह दिया कि पहले मरीज लेकर आएं फिर सरकारी सहायता दी जाएगी। परिजनों की मांग है कि धर्मवीर के साथ इंसाफ किया जाए। उनकी बहादुरी को उचित सम्मान मिले तभी पुलिस बल का हौसला बना रह सकेगा।