ग्लोबल वार्मिंग से भारत में हीटवेव का खतरा 30 गुना बढ़ा: स्टडी
नई दिल्ली, 24 मई: दक्षिण एशिया में हीटवेव के बढ़ने के पीछे जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वजह है। इस साल मार्च और अप्रैल में भारत और पाकिस्तान में हीटवेव ने लोगों को काफी परेशान किया। भारत में मार्च में 122 साल का रिकॉर्ड टूटा तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी भीषण गर्मी पड़ी। मौसम में इस बदलाव के पीछे क्लाइमेट चेंज एक बड़ी वजह है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, क्लाइमेट चेंज ने भारत-पाकिस्तान में इस तरह की हीटवेव की संभावना को 30 गुना तक बढ़ा दिया है।
भारत, पाकिस्तान समेत कई देशों के वैज्ञानिकों ने रैपिड एट्रिब्यूशन स्टडी में बताया है कि भारत-पाकिस्तान में जिस तरह से गर्मीहुई है, उसके पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है क्योंकि हीट वेव का इतना बड़ा असर एक साथ होना सामान्य घटना नहीं है। ग्लोबल वॉर्मिंग ने ऐसी असामान्य घटना के होने की संभावना को 30 गुना ज्यादा बढ़ा दिया है।
शोध कहता है कि पहले इस तरह मौसम में अचानक बदलाव की संभावना 3000 साल में औसतन एक बार होती थी लेकिन क्लाइमेट चेंज के चलते वैश्विक तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। बढ़ी गर्मी का असर है कि भारत-पाकिस्तान में बीते पिछले दो महीने में कम से कम 90 लोगों की जान जा चुकी है।
अध्ययन में उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान में मार्च और अप्रैल के दौरान औसत अधिकतम दैनिक तापमान का विश्लेषण किया गया। ये इलाके हीटवेव से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। भारत में मार्च का महीना बीते 122 साल में सबसे ज्यादा गर्म दर्ज किया गया वहीं पाकिस्तान के कई इलाकों में भी पारा 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि वर्तमान में लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव जैसी घटना अभी भी दुर्लभ है लेकिन जलवायु परिवर्तन ने इसके होने की संभावना को 30 गुना बढ़ा दिया है।
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