जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, बताया इसे संविधान के खिलाफ
Supreme court on forced conversion देश में जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने की मांग समय-समय पर होती रही है। श्रद्धा मर्डर केस के बाद से तो देश में एकबार फिर से इस पर बहस छिड़ गई है। इस बहस के बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर एक अहम टिप्पणी की। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है।
याचिका में क्या कहा गया है?
आपको बता दें कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा था उसमें धोखाधड़ी और डरा-धमकाकर होने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ जल्द ही कोई सख्त से सख्त कानून बनाया जाए और अगर ऐसा नहीं होता है तो भारत में जल्द ही हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने क्या कहा?
याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखा। सरकार ने कहा कि वह इस तरह के माध्यम से धर्म परिवर्तन पर राज्यों से जानकारी एकत्र कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। उन्होंने कहा कि वैधानिक शासन यह निर्धारित करेगा कि विश्वास में कुछ बदलाव के कारण कोई व्यक्ति परिवर्तित हो रहा है या नहीं।
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