#FodderScam: लालू यादव के जेल जाने से बिहार की राजनीति में होंगे ये 3 असर
Recommended Video
रांची। बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के एक और मामले में रांची की विशेष CBI अदालत ने साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है, साथ ही 5 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। अगर जुर्माना नहीं दिया जाता है तो 6 महीने और जेल में बिताना होगा। चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के साथ-साथ दोषी करार दिए गए फूलचंद, महेश प्रसाद, बाके जूलियस, सुनील कुमार, सुशील कुमार, सुधीर कुमार और राजा राम को साढ़े तीन साल की सजा और पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया है। लालू यादव समेत सभी दोषी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम में सजा सुनाई गई है। इस फैसले के बाद अब लालू यादव को जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील करनी होगी। इस कोर्ट से उन्हें जमानत नहीं मिलेगी।
लालू यादव को साढ़े तीन साल की जेल, 5 लाख रुपये जुर्माना
बता दें कि 23 दिसंबर को सीबीआई कोर्ट ने कुल 22 आरोपियों में लालू समेत 15 को दोषी करार दिया था, जबकि बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र समेत 7 लोगों को बरी कर दिया था। लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा मिलने के बाद न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। लालू की पार्टी आरजेडी में तो इस खबर से भूचाल सा आ गया है। लोग जानते हैं लालू के जेल जाने का मतलब क्या होगा? आइए जानते हैं लालू के जाने का देश और बिहार की राजनीति पर पड़ेगा क्या असर और आरजेडी समेत लालू के परिवार पर प्रभाव पड़ेगा?
विरासत का सवाल और आरजेडी में टूट की आशंका
आरजेडी में लालू प्रसाद यादव के जाने के बाद पार्टी कौन संभालेगा? इस सवाल के जवाब में हर कोई एक ही नाम बोलता है- तेजस्वी यादव। खैर, कामकाज तो तेजस्वी संभाल लेंगे, लेकिन क्या पार्टी को संभालना उनके बस की बात है? आरजेडी में कई सीनियर नेता हैं, वो जब से पार्टी में हैं, तब तेजस्वी स्कूल पढ़ते होंगे। ऐसे में लालू गैरमौजूदी पार्टी में परेशानी खड़ी सकती है। मुलायम को अखिलेश यादव को सीएम बनाने का फैसला लेते वक्त जिस तरह की परेशानी हुई थी, कुछ वैसा ही आरजेडी में भी हो सकता है। ऐसे में सबसे बड़ा खतरा जो पैदा होगा, वो होगा पार्टी में टूट का। संभावना है कि लालू की गैरमौजूदगी में कई नेता इधर से उधर जा सकते हैं।
कांग्रेस के लिए झटका
लालू यादव को पिछड़ों का मसीहा माना जाता है। ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में वह ओबीसी से आने वाले पीएम नरेंद्र मोदी की काट के तौर पर तुरुप का इक्का साबित हो सकते थे। पीएम मोदी और बीजेपी का जितना मुखर विरोध लालू यादव कर रहे थे, शायद उतना किसी और ने नहीं किया। लालू के बाहर रहने से बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और जेडीयू को पटखनी देना अब कांग्रेस के लिए बड़ा मुश्किल हो जाएगा।
सियासी मैदान में नीतीश को थोड़ी राहत
लालू यादव को चारा घोटाले के एक और मामले में साढ़े तीन साल की सजा के बाद नीतीश कुमार को कम से कम फौरी राहत तो मिल ही गई है। एनडीए में नीतीश की घर वापसी के बाद से लालू ने जिस तरह से जेडीयू पर हमला बोला था, उससे नीतीश की बेचैनी लगातार बढ़ रही थी। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर भी लालू बेहद आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए थे। लेकिन अब लालू को दोषी करार दिए जाने के बाद नीतीश बिहार में यह संदेश देना चाहेंगे कि उनका एनडीए में जाना सही था। अब तक लालू उन्हें गद्दार कह रहे थे, लेकिन अब नीतीश की वह बात और पुख्ता हो जाएगी कि आरजेडी से उन्होंने भ्रष्टाचार के चलते पीछा छुड़ाया था।
इसे भी पढ़ें:- #FodderScam: RJD चीफ लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5 लाख रुपये जुर्माना