भारत-बांग्लादेश के बीच दोबारा शुरू हुआ हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग, पहली मालगाड़ी बांग्लादेश हुई रवाना
भारत-बांग्लादेश के बीच हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग से पहली मालगाड़ी आज से शुरूभारत और बांग्लादेश के बीच आज यानि 1 अगस्त 2021 से हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग के माध्यम से मालगाड़ियों का नियमित संचालन शुरू हो गया है।
नई
दिल्ली,
1
अगस्त।
भारत-बांग्लादेश
के
बीच
हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी
रेल
मार्ग
से
पहली
मालगाड़ी
आज
से
शुरू
भारत
और
बांग्लादेश
के
बीच
आज
यानि
1
अगस्त
2021
से
हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी
रेल
मार्ग
के
माध्यम
से
मालगाड़ियों
का
नियमित
संचालन
शुरू
हो
गया
है।
भारतीय
रेलवे
ने
आज
पूर्वोत्तर
सीमांत
रेलवे
के
दमदीम
स्टेशन
से
पत्थरों
से
लदी
पहली
मालगाड़ी
को
बांग्लादेश
के
लिए
रवाना
किया।
1947 में विभाजन के बाद, भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (1965 तक) के बीच 7 रेल लिंक चालू थे। वर्तमान में, भारत और बांग्लादेश के बीच 4 परिचालन रेल लिंक हैं। ये चार रेल लिंक वे हैं - पेट्रापोल (भारत) - बेनापोल (बांग्लादेश), गेदे (भारत) - दर्शन (बांग्लादेश), सिंहाबाद (भारत) -रोहनपुर (बांग्लादेश), राधिकापुर (भारत) -बिरोल (बांग्लादेश) हैं। हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल लिंक एक ऐसा मार्ग है जो 1965 तक चालू था। वहीं, दोनों देश चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच 1965 से पहले के सभी रेलवे लिंक को दोबारा चालू किया जाए। इसलिए, इस रेल लिंक को पुनर्जीवित करने के लिए दोनों देशों के रेलवे द्वारा बहाली का काम किया गया था।
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दोनों
देशों
के
पीएम
ने
किया
उद्घाटन
मार्ग
की
बहाली
के
बाद
भारत
और
बांग्लादेश
के
प्रधानमंत्रियों
द्वारा
एक
वर्चुअल
कार्यक्रम
के
माध्यम
से
17.12.2020
को
इस
मार्ग
का
उद्घाटन
किया
गया।
हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी
रेल
लिंक
भारत
और
बांग्लादेश
के
बीच
5वीं
रेल
लिंक
है
जिसे
1
अगस्त
2021
से
चालू
किया
जा
रहा
है।
इन
वस्तुओं
का
हो
सकेगा
निर्यात
इस
मार्ग
के
माध्यम
से
भारत
बांग्लादेश
को
पत्थर,
बोल्डर,
खाद्दान,
ताजे
फल,
रासायनिक
उर्वरक,
प्याज,
मिर्च,
लहसून,
अदरक,
फ्लाई
ऐश,
मिट्टी,
चूना
पत्थर
और
लकड़ी
आदि
का
निर्यात
कर
सकेगा।
द्विपक्षीय
व्यापार
होगा
मजबूत
निश्चित
ही
इस
रेल
मार्ग
के
माध्यम
से
भारत-बांग्लादेश
रेल
कनेक्टिविटी
और
द्विपक्षीय
व्यापार
मजबूत
होगा।
यह
क्षेत्रीय
व्यापार
में
वृद्धि
का
समर्थन
करने
के
लिए
और
क्षेत्र
के
आर्थिक
और
सामाजिक
विकास
को
प्रोत्साहित
करने
के
लिए
मुख्य
बंदरगाहों
और
शुष्क
बंदरगाहों
तक
रेल
नेटवर्क
पहुंच
को
भी
बढ़ाएगा।