Farooq Abdullah का दावा- भारत-चीन के बीच हालात सामान्य नहीं, इमरजेंसी के लिए तैयार रहना होगा
भारत और चीन के बीच तनाव खत्म नहीं हुआ है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, भारत को इमरजेंसी में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कश्मीरी पंडितों की स्थिति पर भी बयान दिया।
संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो चुका है कई मुद्दों पर गतिरोध भी देखा गया। विपक्ष विस्तृत चर्चा की मांग करता रहा। सरकार ने कहा कि वह चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष का आरोप है सरकार मुद्दों पर चर्चा से बचती रही। संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वे संसद में सीमा पर सुरक्षा के मुद्दे को लेकर चर्चा चाहते थे।
भारत और चीन के बीच कुछ भी हो सकता है
बता दें कि भारत के सीमावर्ती इलाकों पर चीन आक्रामक तेवर दिखा रहा है। इस संदर्भ में फारूक अब्दुल्ला ने कहा चीन और भारत के बीच कुछ इलाकों में परेशानियां हैं, लद्दाख में भी कुछ दिक्कतें हैं और उन्हें उम्मीद है कि बातचीत से मुद्दे का समाधान होगा, लेकिन भविष्य के बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। बकौल फारूक अब्दुल्ला, भारत को अपनी पूरी तैयारी रखनी होगी, क्योंकि कभी भी कुछ भी हो सकता है।
कश्मीरी पंडितों को प्रशासन की धमकी
जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, अगर कश्मीर के हालात सामान्य हैं तो प्रशासन कश्मीरी पंडितों को धमकियां क्यों दे रहा है ? फारुख अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि जम्मू कश्मीर का प्रशासन कश्मीरी पंडितों को धमकी दे रहा है कि उन्हें काम पर लौटना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर उनकी सैलरी कटेगी। ऐसा क्यों हो रहा है ?
कश्मीर में हालात सामान्य नहीं
अगर कश्मीरी पंडित खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो ड्यूटी पर जाने से क्यों कतरा रहे हैं ? इसका मतलब है कि सरकार जो दावे कर रही है वैसे हालात नहीं हैं। उन्होंने कश्मीरी पंडितों की समस्या को रेखांकित कर कहा, जब तक अतीत में की गई गलतियों को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उन्हें दोहराना बंद नहीं किया जाएगा, तब तक कश्मीरी कभी भी भारत का हिस्सा नहीं बन पाएंगे।
इतिहास की गलतियां स्वीकारनी होंगी, वरना...
बकौल फारूक अब्दुल्ला, "जब तक हम अपना दिल नहीं खोलते और यह स्वीकार नहीं करते कि अतीत में गलतियां हुई थीं, लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा। कश्मीरी कभी भी भारत का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। उन्होंने सवाल किया कि कश्मीरी पंडितों को राज्य में नौकरी खोने की धमकी क्यों दी जा रही है?
कांग्रेस सांसद ने भी चर्चा की मांग की
बता दें कि इससे पहले गत 19 दिसंबर को, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने टारगेट किलिंग के कारण घाटी से हो रहे कश्मीरी पंडितों के पलायन की पृष्ठभूमि में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग की थी। उन्होंने कहा, "आज कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ रहे हैं। आतंकवादी कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने के लिए उनके नामों की सूची तैयार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सदन में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।"
कश्मीरी पंडित और टारगेट किलिंग
बता दें कि पिछले कुछ महीनों में कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाए जाने की खबर सामने आई है। बुधवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के उत्तर में संसद में बताया था कि 2020 से 2022 तक कश्मीर घाटी में नौ कश्मीरी पंडित मारे गए थे। नौ में से कश्मीरी राजपूत समुदाय से संबंधित एक व्यक्ति सहित चार कश्मीरी पंडितों की हत्या 2022 में हुई। चार लोग 2021 में मारे गए, जबकि एक मर्डर 2020 में हुआ था। कांग्रेस सांसद राजमणि पटेल ने राज्यसभा में कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर सवाल पूछा था।
भारत और चीन के बीच हालात
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों की आक्रामकता के बाद भारत की तरफ से मुंहतोड़ जवाब देने की खबरें पिछले कई दिनों से सुर्खियों में है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने सरकार के रुख पर सवाल खड़े किए हैं। संसद में चर्चा की मांग भी की गई थी, लेकिन शीतकालीन सत्र एक सप्ताह पहले स्थगित हो गया और भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में चर्चा नहीं की जा सकी।