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#FarmersProtest: आरएसएस से जुड़े संगठनों का एमएसपी पर क्या कहना है?

नए कृषि क़ानूनों में आरएसएस से जुड़े संगठन भी कुछ सुधार चाहते हैं. भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच मानते हैं कि नए कृषि क़ानूनों में कुछ कमियाँ हैं जिन्हें दुरुस्त किया जाना चाहिए.

By सरोज सिंह
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किसान आंदोलन
Getty Images
किसान आंदोलन

नए कृषि क़ानूनों पर केंद्र सरकार अपने सहयोगी अकाली दल को नहीं मना पाई थी. इस वजह से अकाली दल ने एनडीए से बाहर होने का फ़ैसला कर लिया.

इसके बाद एनडीए के दूसरे घटक दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी किसान आंदलोन के बीच केंद्र सरकार को धमकी दे डाली.

राजस्थान से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने एनडीए छोड़ने की धमकी देते हुए कहा, "आरएलपी एनडीए का एक घटक दल है, लेकिन इसकी ताक़त किसान और सैनिक हैं. अगर मोदी सरकार कोई त्वरित कार्रवाई नहीं करती है, तो मुझे एनडीए के सहयोगी होने पर विचार करना पड़ सकता है."

इस बीच ख़बर है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े दो बड़े संगठन भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच भी नए कृषि क़ानूनों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं.

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन
Twitter/AshwiniMahajan
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन

स्वदेशी जागरण मंच की सुधार की माँग

इन दोनों संगठनों को भी नए कृषि क़ानूनों में कुछ कमियाँ नज़र आ रही हैं और उन्हें लगता है कि इसमें सुधार किया जाना चाहिए.

'किसान आंदोलन का कैसे होगा समाधान?' इस विषय पर बीबीसी ने मंगलवार को वेबीनार के ज़रिए चर्चा का आयोजन किया था. चर्चा में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने हिस्सा लिया.

उन्होंने नए कृषि क़ानूनों पर कहा, "ये नए क़ानून किसानों के हित में हैं लेकिन कोई भी नया क़ानून आए तो उसमें सुधार की गुंजाइश रहती है."

#FarmersProtest: आरएसएस से जुड़े संगठनों का एमएसपी पर क्या कहना है?

क़ानून में सुधार की वो कौन सी गुंजाश बची है? इस सम्बन्ध में वो चार सुधार गिनाते हैं:

सुधार 1: अगर सरकार किसान को अनाज मंडी से विमुख कर रही है तो नए प्राइवेट व्यापारी, जो किसानों की उपज ख़रीदेंगें वो अपना कार्टल न बना लें, इसको रोकने के लिए क़ानून में व्यवस्था होनी चाहिए.

सुधार 2: भारत की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है तो सरकार को किसान को भी सुरक्षित करना होगा. इसलिए किसान को अपनी उपज की लागत से 20 से 30 फ़ीसद ऊंची क़ीमत मिले, ये सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए. यह व्यवस्था क़ानून के जरिए ही सुनिश्चित हो. केंद्र सरकार को इसके लिए 'फ्लोर प्राइस' तय करना चाहिए.

सुधार 3: नए कृषि क़ानूनों में कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग की व्यवस्था की गई है. किसान किसी भी विवाद की सूरत में मामले को एसडीएम के पास ले जा सकते हैं. लेकिन अश्विनी महाजन की राय में कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग में अगर कोई विवाद होता है तो एसडीएम के पास जाने के बजाय अलग से 'किसान कोर्ट' की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके पीछे वो वजह भी बताते हैं. उनके मुताबिक़ आम किसान की एसडीएम तक पहुँच नहीं होती.

सुधार 4: कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग में किसान को अपनी फ़सल की लागत तब मिलती है जब फ़सल की कटाई पूरी हो जाती है. केंद्र सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि कुछ समय के अंतराल पर क़िस्तों में कुल तय क़ीमत का भुगतान किसानों को होता रहे. ऐसा इसलिए कि एक बार जब किसान और प्राइवेट पार्टी के बीच कॉन्ट्रैक्ट हो जाता है तो बीज बोने, कीटनाशक के छिड़काव से और सिंचाई तक में किसान को बहुत पैसा ख़र्च करना पड़ता है. साथ ही, नई व्यवस्था में अब 'बिचौलिए' बचे नहीं, जिन्हें ख़ुद बीजेपी नेता किसानों का 'एटीएम' कहते आए हैं. तो सरकार को उनके लिए नई एटीएम व्यवस्था तय करनी चाहिए.

एमएसपी पर कोई फ़ॉर्मूला निकाल सकती है सरकार

अश्विनी महाजन ने सुधार 2 में जिस 'फ्लोर प्राइस' की बात की, दरअसल किसान उसे ही 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' कह रहे हैं. किसानों की भी माँग है कि केंद्र सरकार लिखित में उन्हें आश्वासन दे कि एमएसपी जारी रहेगी और सरकारी ख़रीद भी.

इसी मुद्दे पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच सबसे ज़्यादा मतभेद भी है.

आरएसएस और मौजूदा सरकार के बीच का रिश्ता किसी से छुपा नहीं है. केंद्र सरकार की तरफ़ से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सरकार इस मुद्दे पर कोई फ़ॉर्मूला निकालने को तैयार हो सकती है.

सरकार की तरफ़ से वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा है कि फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर सरकार बहुत स्पष्ट है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा, "एमएसपी था, है और रहेगा. इसमें किसी को कोई शंका नहीं होनी चाहिए. सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. लिखकर देने के लिए तैयार है."

इन सुधारों के साथ अश्विनी महाजन ने किसानों से जुड़ी सरकार की कुछ नीतियों की तारीफ़ भी की. उनके मुताबिक़, केंद्र सरकार ने न सिर्फ़ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया, बल्कि ख़रीद भी ज़्यादा की है.

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'ये व्यापारियों के क़ानून हैं'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी एक दूसरी संस्था है, भारतीय किसान संघ. 'कृषि मित् कृषस्व' यानी 'किसानी करो' यही उनका ध्येय वाक्य है.

एक इंटरव्यू में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा कहते हैं, "ये तीनों क़ानून जब अध्यादेश के रूप में पाँच जून को आए थे, तो हमने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी. 25 हज़ार गाँवों से हमारे किसान भाइयों ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लिखित में शिकायत की है.''

''ये तीनों बिल व्यापारियों के बिल हैं. सरकार का कहना है कि व्यापारियों का अच्छा व्यापार चलेगा तो किसानों को फ़ायदा होगा. 90 के दशक से भारतीय किसान संघ किसानों के लिए 'एक देश एक मार्केट' की बात कर रही है. सरकार उसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए ये बिल लाई है तो हम उसका स्वागत करते हैं. पर इस बिल में कई दिक़्क़तें हैं."

भारतीय किसान संघ की भी माँग कुछ-कुछ स्वदेशी जागरण मंच की तरह ही है.

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अपनी माँगों के बारे में मोहिनी मोहन मिश्रा कहते हैं :

माँग 1: अगर नए क़ानून में केंद्र सरकार ये प्रावधान जोड़ देती है कि मंडी के अंदर और मंडी के बाहर एमएसपी के नीचे फ़सलों की ख़रीद नहीं होगी, तो ये क़ानून एतिहासिक बन जाएगा.

माँग 2: किसानों की फ़सल ख़रीदने वाले व्यापारी कौन होंगे? इसके लिए एक पोर्टल बनाकर सरकार उनके नाम सार्वजनिक कर देती तो बेहतर होता. दूर दराज़ गाँव में बैठे किसान को इस तरह से कोई व्यापारी छल नहीं सकेगा.

माँग 3: फ़सल ख़रीद के समय किसानों को व्यापारी बैंक गारंटी ज़रूर दें, इसका प्रावधान भी इस नए क़ानून में जोड़ा जाना चाहिए. अगर शुरुआत में कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग का वादा करके व्यापारी बाद में पलट जाएँगे तो ऐसे में बैंक गारंटी से ये सुनिश्चित होगा कि किसानों को अपनी फ़सल की लागत मिल ही जाएगी.

माँग 4: किसी भी विवाद की सूरत में निपटारा ज़िला स्तर पर हो, नए क़ानून में इसका भी प्रावधान जोड़ा जाना चाहिए.

भारतीय किसान संघ की माँग
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भारतीय किसान संघ की माँग

भारतीय किसान संघ की ये माँग अध्यादेश लाने के समय से ही रही है. बीबीसी से बातचीत में भारतीय किसान संघ के पंजाब राज्य के अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा कि हमारी माँगें पंजाब के दूसरे किसानों से जुदा नहीं है, पर हम धरने पर नहीं बैठे हैं. हमारा मानना है कि बातचीत से ही समस्या सुलझ सकती है. हमें कुछ सकारात्मक संकेत मिल भी रहे हैं.

BBC Hindi
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English summary
#FarmersProtest: What do organizations associated with RSS have to say on MSP?
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