Yaas Cyclone:भारत में इस साल बार-बार चक्रवात क्यों आ रहे हैं ? जानिए
भुवनेश्वर, 25 मई: अरब सागर से उठे 'तौकते' चक्रवात के एक हफ्ते बाद ही 'यास' ने बंगाल की खाड़ी से ओडिशा में एंट्री की है। आशंका है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बाद यह झारखंड और बिहार समेत 8 राज्यों में भी काफी कहर मचा सकता है। भारत इस वक्त अजीब मोड़ पर खड़ा है। कोविड-19 की दूसरी लहर ने पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था की ऐसी-तैसी कर रखी है, ऊपर से एक के बाद एक खौफनाक समुद्री तूफानों की वजह से पश्चिमी, दक्षिणी और फिर पूर्वी भारत तहस-नहस होने की कगार पर आ गया है। सवाल है कि अचानक से भारतीय समुद्रों को क्या हो गया है? वह लगातार इतना रौद्र रूप क्यों दिखाने लगे हैं?
समुद्र का बढ़ा तापमान, चक्रवात ने मचाया कोहराम
भारत के दोनों तटों पर जो बहुत ही कम समय में दो-दो भयानक चक्रवातों ने दस्तक दी है, उसकी सबसे बड़ी वजह एक्सपर्ट इस साल भारतीय समुद्रों में पैदा हुई असाधारण गर्मी बता रहे हैं। इसके चलते वायुमंडलीय और समुद्री स्थिति ऐसी बन गई है, जिससे बार-बार चक्रवात के पैदा होने और उसकी तीव्रता बढ़ने का मौका मिल रहा है। चक्रवातों के निर्माण के लिए समुद्र की सतह के तापमान (एसएसटी) की सीमा रेखा का मान (थ्रेशोल्ड वैल्यू) 28 डिग्री सेल्सियस है। लेकिन, इस समय बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ही जगह ही यह थ्रेशोल्ड वैल्यू करीब 3-4 डिग्री ज्यादा यानी लगभग 31-32 डिग्री सेल्सियस है। इसकी वजह से आशंका यह जताई जा रही है कि 21वीं सदी में अगर जलवायु परिवर्तन इसी तरह से जारी रहा तो ऐसे चक्रवातों के बार-बार आने की आशंका आगे भी यूं ही बनी रह सकती है।
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यास और तौकते दोनों को मिला अनुकूल तापमान
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिओरॉलॉजी के वैज्ञानिक और आईपीसीसी ओशंन एंड क्रायोस्फेयर के मुख्य लेखक डॉक्टर रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा है, 'चक्रवात यास और तौकते में समानता ये है कि दोनों को ही पहले मुद्र की सतह का बहुत अधिक तापमान 31-32 डिग्री सेल्सियस मिल गया। यह उच्च तापमान साइक्लोन तौकते के लिए अनुकूल थे, जिसके चलते बहुत जल्दी ही वह भयानक चक्रवात में बदल गया। इसी तरह ज्यादा तापमान को ही यास के भी जल्दी भयानक चक्रवात में बदलने का अनुमान जताया गया। '
यास और तौकते की तीव्रता में अंतर का कारण ?
लेकिन, वैज्ञानिकों ने यास और तौकते की स्पीड में अंतर को लेकर बहुत बड़ी जानकारी दी है। मसलन, मैथ्यू ने कहा है कि तौकते अरब सागर में कई दिन रहा। इसकी वजह से उसे लगातार समुद्र से गर्मी और नमी मिलती रही और इसकी तीव्रता बढ़कर 220 किलो मीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा तक पहुंच गई। उन्होंने कहा, 'यास के मामले में यह है कि यह बंगाल की खाड़ी के उत्तर में ही बना और इसके चलते लैंडफॉल के लिए इसकी दूरी छोटी रही। इसका परिणाम यह हुआ कि इसे तौकते की तरह समुद्र में अपनी तीव्रता बढ़ाने के लिए लंबा समय नहीं मिला। मूल बात ये है कि समुद्र के बढ़ते तापमान के चलते दोनों खाड़ियों में चक्रवात को अपनी तीव्रता बढ़ाने में सहायता मिली।....'
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जलवायु परिवर्तन बहुत बड़ी समस्या
वहीं, स्काईमेट वेदर के मेट्रोलॉजिस्ट महेश पलावत का कहना है कि चक्रवात बनने के पीछे जलवायु परिवर्तन का हाथ है। भारतीय समुद्र इस साल असमान्य रूप से गर्म है। इसके चलते बार-बार चक्रवात बन रहे हैं और वह बहुत जल्द तीव्र हो जा रहे हैं। उनका कहना है कि इनके तेजी से भयानक शक्ल अख्तियार करने पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि इससे सीधे बारिश, बाढ़ के रूप में तबाही, धूल भरी हवाओं और लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। उन्होंने कहा, 'वैसे साइक्लोन यास की तीव्रता तौकते के मुकाबले कम होनी चाहिए, लेकिन तबाही मचाने के लिए तो यह काफी शक्तिशाली होगी।......' बता दें कि यास चक्रवात की वजह से 165 से 175 किलो मीटर प्रति घंटे से लेकर 185 किलो मीटर प्रति घंटे तक चक्रवाती हवाओं के दस्तक देने की आशंका जकाई गई थी, लेकिन लैंडफॉल के बाद इसकी संशोधित रफ्तार 130 से 140 किलो मीटर प्रति घंटे बताई गई है।