Gujarat Assembly Poll 2022 : 89 सीटों पर लगभग 60.20 फीसद वोटिंग, जानिए किन प्रमुख चेहरों पर रहेंगी नजरें
Gujarat Assembly Poll 2022 के पहले चरण का मतदान लगभग शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। Voting Statistics पर निर्वाचन आयोग ने कहा कि 89 सीटों पर ओवरऑल 60.20 फीसद मतदान हुआ।
Gujarat Assembly Poll 2022 में पहले फेज की वोटिंग के बाद 788 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। सभी 89 विधानसभा सीटों पर मतदान लगभग शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। Voting Statistics के बारे में निर्वाचन आयोग ने बताया कि गुरुवार को गुजरात की 89 विधानसभा सीटों पर ओवरऑल 60.20 फीसद मतदान हुआ।
8 दिसंबर को फैसले का दिन
पहले चरण में मतदान के बाद जिन प्रमुख उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हुई है, इसमें पूर्व मंत्री, आम आदमी पार्टी के सीएम कैंडिडेट समेत सात बार विधायक रह चुके दिग्गज नेता शामिल हैं। जानिए ऐसे 11 वीआईपी उम्मीदवारों के बारे में, जिनकी सियासी पारी कितनी लंबी खिंचेगी, इसका फैसला 8 दिसंबर को बोने वाला है।
AAP के CM कैंडिडेट की किस्मत भी दांव पर
राजनीतिक मैदान में ताल ठोक रहे नेताओं में सबसे पहला नाम इसुदन गढ़वी का है। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान देवभूमि द्वारका जिले की खंभालिया सीट से चुनावी रण में उतरे हैं।
भावनगर की सीट पर समीकरण
भावनगर जिले में परषोत्तम सोलंकी भी बड़ा चेहरा हैं। भाजपा ने परषोत्तम पर एक बार फिर भावनगर ग्रामीण विधानसभा सीट से ही दांव लगाया है। परषोत्तम गुजरात में मंत्री रह चुके हैं। भावनगर ग्रामीण से मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री सोलंकी प्रमुख कोली नेता और गुजरात की सियासी चौसर पर 'मजबूत व्यक्ति' की छवि रखते हैं।
कांग्रेस की टिकट पर जीते, BJP में शामिल हो गए
सात बार विधायक रह चुके कुंवरजी बावलिया इस बार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राजकोट जिले की जसदण विधानसभा सीट से सात बार विधायक बन चुके बावलिया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रह चुके हैं। कोली समुदाय के प्रमुख नेता बावलिया कांग्रेस की टिकट पर जसदण से छह बार जीते। 2009 में कांग्रेसी सांसद के रूप में राजकोट लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले बावलिया 2018 में भाजपा में शामिल हो गए।
उपचुनाव जीते, मंत्री भी बने, फिर आजमा रहे 'भाग्य'
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में जसदण से कांग्रेस की टिकट पर जीते बावलिया ने 2018 में इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। तत्कालीन विजय रूपानी सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया। बाद में उपचुनाव कराया गया, जिसमें बावलिया ने उसी सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की।
पार्टियों की अदला-बदली
जसदण सीट पर कांटे की टक्कर की संभावना बन सकती है। बावलिया के खिलाफ कांग्रेस ने कोली नेता भोलाभाई गोहेल को मैदान में उतारा है। गोहेल 2012 में कांग्रेस की टिकट पर यह सीट जीत चुके हैं। 2017 में गोहेल के स्थान पर बावलिया ने कांग्रेस को जीत दिलाई। बाद में गोहेल भी भाजपा में शामिल हो गए। जब बावलिया ने भाजपा ज्वाइन की तब 2018 में गोहेल कांग्रेस में वापस चले आए।
मोरबी पुल हादसे के बाद सुर्खियों में आए पूर्व विधायक
कांतिलाल अमृतिया मोरबी विधानसभा सीट से ताल ठोक रहे हैं। मोरबी 'नायक' के रूप में लोकप्रिय कांतिलाल पांच बार विधायक रह चुके हैं। पूर्व भाजपा विधायक हाल ही में हुए मोरबी पुल हादसे के बाद सुर्खियों में आए। मोरबी जिले में नदी पर बने सस्पेंशन ब्रिज टूटने के बाद विधायक कांतिलाल अचानक सुर्खियों में आ गए। पीड़ितों को बचाने के लिए पानी में कूदते दिखे कांतिलाल की वीडियो वायरल होते ही इनकी चर्चा होने लगी। ये अहम इसलिए भी क्योंकि राजनीतिक गलियारों में लगभग भुला दिए गए कांतिलाल की सियासी अहमियत के साथ-साथ सामाजिक पैठ भी और मजबूत हुई।
पांच चुनावों में मिली जीत, एक और इनिंग का प्रयास
जनता के बीच कांतिलाल की लोकप्रियता का ही नतीजा रहा कि भाजपा ने उन्हें मोरबी विधानसभा सीट से टिकट देने में कोई संकोच नहीं किया। कानाभाई के नाम से भी मशहूर पूर्व MLA कांतिलाल 1995, 1998, 2002, 2007 और 2012 में मोरबी सीट से चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन 2017 में कांग्रेस उम्मीदवार बृजेश मेरजा से हार गए। बाद में मेरजा भी भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव में जीत हासिल की। गुजरात की वर्तमान भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में कार्यरत कांतिलाल एक बार फिर मोरबी सीट से जीत दर्ज कर छठी बार विधानसभा में प्रवेश करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।
69 साल के नेता भी लड़ रहे चुनाव
भाजपा नेता बाबू बोखिरिया पोरबंदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पोरबंदर जिले की इस सीट पर मेर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 69 वर्षीय बोखिरिया पहले भी चुनाव जीतते रहे हैं। 1995, 1998, 2012 और 2017 में पोरबंदर सीट जीतने वाले बोखिरिया 2002 और 2007 में, चुनाव हार गए थे। बोखिरिया को उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोधवाडिया ने हराया था। दोनों इस बार भी आमने-सामने हैं।
भाजपा के सामने कांग्रेस की कड़ी चुनौती
भगवान बराड़ को भाजपा ने गिर सोमनाथ जिले में तलाला विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। तलाला के कांग्रेस विधायक रहे भगवान इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थामा। पार्टी में शामिल होने के एक दिन बाद, 63 वर्षीय राजनेता भगवान बराड़ को उसी सीट से टिकट भी मिल गई। दिया है। बता दें कि भगवान बराड अहीर समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं। उन्होंने 2007 में और 2017 में भी तलाला निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। उनके भाई जशुभाई बराड ने 1998 और 2012 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। तलाला गिर सोमनाथ जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। 2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा जिले में अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी क्योंकि कांग्रेस ने चारों सीटों पर जीत हासिल की थी।
क्रिकेटर की बीवी का भाग्य भी दांव पर
रिवाबा जडेजा भाजपा की टिकट पर जामनगर उत्तर से चुनाव लड़ रही है। जामनगर जिले की इस सीट पर सेलिब्रिटी क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा का ये पहला सियासी अनुभव होगा। रिवाबा के पास राजनीतिक या चुनाव लड़ने का कोई पुराना अनुभव नहीं है। सत्ताधारी दल ने मौजूदा विधायक धर्मेंद्र सिंह जडेजा को टिकट नहीं दिया है।
नेता प्रतिपक्ष रहे, फिर लड़ रहे चुनाव
वीआईपी कैंडिडेट में परेश धनानी का नाम भी शामिल हैं। कांग्रेस का बड़ा चेहरा परेश धनानी अमरेली जिले की अमरेली विधानसभा सीट से ताल ठोक रहे हैं। धनानी पुरुषोत्तम रुपाला को हराने के कारण 'जायंट किलर' के रूप में भी जाने जाते हैं। जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक परेश धनानी ने 2002 में बेहद कम उम्र में दिग्गज भाजपाई पुरुषोत्तम रूपाला को पटखनी दी थी। हालांकि, 2007 में हारने के बाद 2012 और 2017 में पाटीदार बहुल सीट अमरेली पर कब्जा करने वाले धनानी गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं।
सबसे मजबूत विपक्षी आवाज
विरजी थुम्मर कांग्रेस की टिकट पर अमरेली जिले की लाठी विधानसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। लाठी के मौजूदा विधायक विरजी विपक्षी दल के वरिष्ठ नेताओं और मुखर आवाजों में से एक हैं। कांग्रेस की टिकट पर अमरेली से लोकसभा सांसद भी चुने जा चुके हैं।
पाटीदार आंदोलन के बाद सियासी चौसर
आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल इटालिया कटारगाम सीट से चुनावी मैदान में हैं। सूरत जिले की इस सीट पर AAP कैंडिडेट बनने से पहले हाल ही में गुजरात AAP के अध्यक्ष बनाए गए इटालिया वर्तमान में बीजेपी के कब्जे वाली सीट पर जीत के दावे कर चुके हैं। पाटीदार बहुल कटारगाम विधानसभा सीट से जुड़ी एक रोचक बात ये भी है कि पाटीदार कोटा आंदोलन के कारण 2017 में भाजपा के खिलाफ कथित प्रबल भावना के बावजूद कांग्रेस इस सीट पर भाजपा को हराने में नाकाम रही थी।
राजद्रोही के आरोपी को AAP की टिकट
आप नेता अल्पेश कथीरिया सूरत जिले की वराछा रोड विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। हार्दिक पटेल के पूर्व करीबी कथीरिया के सामने भाजपा की कड़ी चुनौती है। वर्तमान में भाजपा के पूर्व मंत्री किशोर कनानी वराछा रोड के विधायक हैं। आप नेता अल्पेश कथीरिया राजद्रोह का मामला भी चल रहा है। उनके खिलाफ हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले पाटीदार आंदोलन के दौरान कथित रूप से लोगों को भड़काने के आरोप लगे हैं।