Nagaland: जिस हाईकोर्ट की बिल्डिंग का कोई नामोनिशान नहीं उसके लिए निकाल लिए 70 करोड़, ED ने CM से की पूछताछ
नागालैंड (Nagaland) में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां हाई कोर्ट की उस बिल्डिंग के नाम से 70 करोड़ रुपए बैंक से निकाले गए हैं जो है ही नहीं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो से पूछताछ की है। नागालैंड के कोहिमा में हाई कोर्ट की बिल्डिंग के नाम पर 70 करोड़ रुपए बैंक से निकाले गए हैं, लेकिन कोहिमा में हाई कोर्ट की बिल्डिंग ही नहीं है, इसी सिलसिले में ईडी ने हाल ही में नेफियू रियो से पूछताछ की है। हाई कोर्ट की बिल्डिंग की नींव 2007 में रखी गई थी और अबतक राज्य सरकार की ओर से 70 करोड़ रुपए इसके लिए निकाले जा चुके हैं।
कोहिमा में हाई कोर्ट की बिल्डिंग का मूलभूत ढांचा तक नहीं खड़ा हो सका है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार नागालैंड की सरकार ने कथित तौर पर 2018 तक इसके लिए 44.24 करोड़ रुपए निकाले हैं। यह पैसे बिल्डिंग में बिजली का काम, पानी की सप्लाई आदि के लिए निकाले गए हैं। इसके अलावा 22.42 करोड़ रुपए जजों के बंगले बनाने के लिए निकाले गए हैं, लेकिन यह जगह अभी तक चिन्हित तक नहीं हो सकी है। रिपोर्ट के अनुसार यह पैसा मार्च 2009 से मार्च 2018 के बीच 18 अलग-अलग ट्रांजैक्शन के जरिए निकाला गया है। इस पैसे को नागालैंड के जस्टिस एंड लॉ डिपार्टमेंट की ओर से निकाला गया है।
इस मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री से कई घंटे तक पूछताछ की है, यह पूछताछ दीमापुर स्थित मिलिट्री एरिया में पिछले महीने हुई है, जहां पर ईडी ने मुख्यमंत्री को समन किया था। इस मामले में सीबीआई की टीम ने दो चार्जशीट जनवरी माह में दीमापुर स्पेशल कोर्ट में दायर की थी, जिसके बाद ईडी की टीम इस मामले में पूछताछ कर रही है। गौर करने वाली बात है कि मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर में भी हाई कोर्ट की बिल्डिंग के निर्माण का कार्य चल रहा है, इन सभी जगहों पर एक साथ काम शुरू हुआ था और इसे 2013 तक पूरा कर लिया गया था और यहां कोर्ट अब चल रही है।
नागालैंड में हाई कोर्ट नहीं होने की वजह से यहां के केस की सुनवाई अभी भी कोहिमा बेंच में होती है। जब 2018 तक कोर्ट की बिल्डिंग निर्माण का कोई काम नहीं हुआ तो इसको लेकर एक याचिका दायर की गई थी। यह याचिका नागालैंड ट्राइब्स काउंसिल की ओर से दायर की गई थी। साथ ही नागालैंड के सोशल एवं आरटीआई एक्टिविस्ट की ओर से गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मामले की सुनवाई कर रही बैंच ने इसे समझ से परे मामला बताया था। सरकार ने इस कोर्ट की बिल्डिंग के निर्माण के लिए कंसलटेंसी फर्म को 1.3 करोड़ रुपए दिए हैं।