क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

WATCH VIDEO: गलवान वाली गलती की तो खैर नहीं! 'त्रिशूल' और 'सैपर पंच' के झटके से बच नहीं पाएगा ड्रैगन

Google Oneindia News

नोएडा, 18 अक्टूबर: पिछले साल चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में धोखे से निहत्थे भारतीय जवानों पर हमला बोल दिया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना में ढेर हुए पीएलए जवानों की संख्या कहीं ज्यादा थी, जो आजतक शी जिनपिंग की सरकार ने नहीं बताई है। बाद में पैंगोंग लेक के उत्तरी किनारे पर भी चीनी सैनिक परंपरागत हथियारों के साथ आए थे और गलवान में मिली हार का बदला लेने की फिराक में थे। लेकिन, भारतीय सैनिकों के पास उस तरह के पारंपरिक हथियार नहीं थे, फिर भी उन्होंने चीन के जवानों का बखूबी मुकाबला किया और चीन पीछे हटने को मजबूर हुआ। लेकिन, अब भारतीय सेना को भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार किया जा रहा है। अब जब कभी भी आमने-सामने की भिड़ंत की नौबत आएगी तो भारतीय जवान भी बिना किसी घातक हथियार का इस्तेमाल किए पीएलए को छट्ठी का दूध याद दिला सकते हैं।

चीन ने गलवान वाली गलती की तो अब खैर नहीं!

चीन ने गलवान वाली गलती की तो अब खैर नहीं!

पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए)की कायरतापूर्ण हरकत की बुरी यादें आज भी भारत के लोग भुला नहीं पाए हैं और ना ही चीन का यह गुमान रह गया है कि जंग के मैदान में वह किसी भी तरह से भारत पर भारी पड़ सकता है। लेकिन, अब भारतीय सेना भी चीन की उन चालबाजियों का माकूल जवाब देने के लिए पहले से ही तैयार रहेगी। गलवान के बाद पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भी चीन के जवान कंटीले डंडों के साथ नजर आए थे। उसी से सीख लेते हुए मेक इन इंडिया के तहत यूपी के नोएडा स्थित एपास्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड ने भी भारतीय सुरक्षा बलों के लिए ऐसे ही गैर-घातक हथियार विकसित किए हैं, जो सामान्य तौर पर बहुत ही मामूली हथियार जैसे होंगे। लेकिन, ऐक्टिव करते ही वह मिनटों में दुश्मनों के दांत खट्टे करने में सक्षम होंगे।

Recommended Video

WATCH VIDEO: गलवान वाली गलती की तो खैर नहीं! 'त्रिशूल' और 'सैपर पंच' के झटके से बच नहीं पाएगा ड्रैगन
'त्रिशूल' की शक्ति के सामने कहां टिकेगा ड्रैगन ?

'त्रिशूल' की शक्ति के सामने कहां टिकेगा ड्रैगन ?

एपास्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) मोहित कुमार ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा है, 'गलवान संघर्ष में हमारे सैनिकों के खिलाफ चीनियों ने जो कंटीली तार वाली लाठी और टेसर का इस्तेमाल किया था उसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों की ओर से हमें भी गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था। तैनाती के दौरान भी हम चीनियों को अपने परंपरागत हथियारों से लैस देख सकते हैं।' नोएडा के स्टार्टअप ने भी भारतीय परंपरा के मुताबिक भगवान शिव के परंपरागत हथियार 'त्रिशूल' की तरह का एक गैर-घातक हथियार विकसित किया है। साथ ही टेसर भी तैयार किए गए हैं।

'वज्र' का वार नहीं जा सकता बेकार!

'वज्र' का वार नहीं जा सकता बेकार!

इंडियन सिक्योरिटी फोर्स के लिए बनाए गए नए गैर-घातक उपकरणों के बारे में मोहित कुमार ने बताया कि इसमें स्पाइक्स के साथ मेटल रोड टेसर विकसित किया गया है, जिसे वज्र का नाम दिया गया है। इसका इस्तेमाल शारीरिक भिड़ंत के दौरान भी किया जा सकता है और बुलेट-प्रूफ गाड़ियों को इससे पंक्चर भी किया जा सकता है। इनके स्पाइक्स में नियंत्रित मात्रा में बिजली की करंट भी दौड़ाई जा सकती है, जिससे हाथापाई के दौरान दुश्मन जवान शिथिल पड़ जाएं। त्रिशूल के बारे में उन्होंने कहा कि इसका उपयोग दुश्मनों के वाहनों को रोकने के साथ-साथ निषिद्ध क्षेत्रों में प्रवेश करने की उनकी कोशिशों को नाकाम करने के लिए किया जा सकता है।

'सैपर पंच' के पंच से दुश्मन बनेंगे पंगु!

'सैपर पंच' के पंच से दुश्मन बनेंगे पंगु!

वहीं दस्ताने की तरह दिखने वाले 'सैपर पंच' के बारे में दुश्मन सोच भी नहीं सकता कि ऐक्टिव स्थिति में उससे एक पंच से वह किस तरह से पंगु बन सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये सारे नए विकसित हथियार जितने ही प्रभावी हों, लेकिन इनमें से कोई भी घातक नहीं है और ना तो इससे किसी की मौत हो सकती है और ना ही गंभीर रूप से जख्मी होने का खतरा है। सिर्फ ये हथियार हाथापाई की स्थिति के दौरान तात्कालिक तौर पर दुश्मनों को झटका देकर निष्क्रिय बनाने के काम में लाया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें- China energy crisis:कैसे भारत के रसायन और इस्पात उद्योगों की होने वाली है बल्ले-बल्ले ? जानिएइसे भी पढ़ें- China energy crisis:कैसे भारत के रसायन और इस्पात उद्योगों की होने वाली है बल्ले-बल्ले ? जानिए

पीएलए को उसी की जुबान में जवाब देने की तैयारी!

गौरतलब है कि पिछले साल जून में चीन की सेना के जवान ऐसे ही हथियार लेकर आए थे। लेकिन, भारतीय सेना के जवानों ने निहत्थे ही उनसे मुकाबला किया था, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक 35 से ज्यादा पीएलए के जवानों की मौत हो गई थी। लेकिन, इसमें हमारे 20 जांबाजों की भी शहादत हुई थी। बाद में चीनी सैनिक उत्तरी पैंगोंग इलाके में भी वैसे ही हथियार लेकर आए थे, लेकिन वह मुंह ताकते ही रह गए और भारतीय स्पेशल फोर्स के जवानों ने सभी ऊंची सामरिक चोटियों पर डेरा डालकर उन्हें नाकाम कर दिया था। उसके बाद से दोनों सेनाओं के बीच 13 राउंड की बातचीत हो चुकी है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ इलाकों में गतिरोध अभी भी खत्म नहीं हुआ है।

Comments
English summary
A UP-based startup company has developed such non-lethal weapons, which are according to Indian tradition, but are also modern for LAC
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X