दरभंगा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की करतूत, बायें हाथ की जगह दायें पर लगाया प्लास्टर
पटना: बिहार में जहां एक तरफ एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(चमकी बुखार) का कहर जारी है। इस बीमारी से बच्चों की लगातार हो रही मौत पर सरकार और अस्पताल दोनों निशाने पर हैं। इसी बीच दरभंगा के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सूबे की पूरी चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठाते दिए हैं। डीएमसीएच में डॉक्टरों की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां डॉक्टरों ने एक बच्चे के बाएं हाथ की जगह दाएं हाथ में प्लास्टर लगा दिया।
दाएं की जगह बांए हाथ में लगाया प्लास्टर
दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में फैजान नाम के बच्चे के बाएं हाथ में फ्रैक्चर था। डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर उसके बाएं हाथ की जगह दाएं हाथ पर प्लास्टर चढ़ा दिया। फैजान की मां का कहना है कि उन्हें अस्पताल में एक गोली तक नहीं दी गई। उन्होंने डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की मांग की।
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'स्वास्थ मंत्री ने दिए कार्रवाई के आदेश'
इस पूरे मामले पर दरभंगा के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के कॉलेज एवं अस्पताल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि स्वास्थ मंत्री ने मुझसे इस मामले में बातचीत की है। इस सिलसिले में जिम्मेदार लोगों से पूछताछ की जा रही है। मैं इस तरह की लापरवाही की घोर निंदा करता हूं। इस घटना के लिए जो जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 130 मरे
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) से मरने वालों बच्चों की संख्या 130 तक पहुंच गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए सोमवार को उत्तर प्रदेश, बिहार और केंद्र सरकार को इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत को लेकर नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सात दिन के भीतर इनसे हलफनामा दाखिल करने को कहा है। आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) में अब तक 110 बच्चों की मौत हो गई है। वहीं मुजफ्फरपुर के केजरीवाल हॉस्पिटल में भी 20 बच्चों की मौत चमकी बुखार के वजह से हो गई है।